अर्जुन वर्मा की रिपोर्ट
देवरिया की जिलाधिकारी दिव्या मित्तल ने एक अहम बैठक में जनप्रतिनिधियों को दो टूक संदेश देते हुए ट्रांसफर-पोस्टिंग में हस्तक्षेप से मना किया। इस दौरान बैठक में हुए विवाद और वायरल वीडियो ने सोशल मीडिया पर चर्चा का माहौल बना दिया है।
देवरिया में डीएम का कड़ा रुख, जनप्रतिनिधियों को दिया साफ संदेश
उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में एक प्रशासनिक बैठक के दौरान उस समय माहौल गर्मा गया, जब जिलाधिकारी दिव्या मित्तल ने ट्रांसफर और पोस्टिंग जैसे मामलों में हस्तक्षेप को लेकर जनप्रतिनिधियों को कड़ा संदेश दे डाला। यह बयान न केवल बैठक में मौजूद सभी लोगों के लिए चौंकाने वाला था, बल्कि अब इसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जो चर्चा का केंद्र बना हुआ है।
विवाद की शुरुआत कैसे हुई?
यह सारा मामला तब शुरू हुआ जब जिले में दिशा (जिला योजना समिति) की बैठक चल रही थी। इस बैठक में शामिल थे –
राज्य मंत्री विजयलक्ष्मी गौतम, बीजेपी प्रवक्ता एवं विधायक शलभ मणि त्रिपाठी, बीजेपी विधायक सुरेंद्र चौरसिया, विधायक सभा कुंवर, सपा सांसद रमाशंकर राजभर (सलेमपुर), एमएलसी देवेंद्र प्रताप सिंह और जिले के अन्य उच्च अधिकारी।
बैठक के दौरान बरहज से विधायक दीपक मिश्रा ने जिले की बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) शालिनी श्रीवास्तव से एक महिला शिक्षिका के महीनों से लंबित वेतन का मुद्दा उठाया। इसके साथ ही उन्होंने अपने क्षेत्र के एक संविदा अकाउंटेंट के ट्रांसफर को रोके जाने पर भी सवाल उठाया।
बढ़ता गया विवाद, विधायक ने छोड़ी बैठक
विधायक दीपक मिश्रा का आरोप था कि BSA ने उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों को गंभीरता से नहीं लिया। जब उन्होंने अपने क्षेत्र की खस्ताहाल सड़कों के बारे में PWD अधिकारियों से जवाब मांगा, तो हालात और तनावपूर्ण हो गए। बात इस हद तक पहुंच गई कि नाराज विधायक बैठक छोड़कर बाहर चले गए।
इसके बाद अन्य जनप्रतिनिधियों ने भी अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए और आरोप लगाए कि अधिकारी उनकी बातों को नजरअंदाज करते हैं। यहां तक कि किसी ने यह भी कह दिया कि “अगर कलम न फंसे तो ट्रांसफर कर देना चाहिए।”
डीएम दिव्या मित्तल ने दिया दो टूक जवाब
जनप्रतिनिधियों की इन बातों को सुनते ही जिलाधिकारी दिव्या मित्तल ने कड़ा रुख अपनाया और साफ शब्दों में कहा कि:
“किसी जनप्रतिनिधि को यह अधिकार नहीं है कि वह किसी अधिकारी पर ट्रांसफर या पोस्टिंग को लेकर दबाव बनाए। यह प्रक्रिया शासन स्तर पर तय होती है और इसके लिए स्पष्ट नियम हैं।”
उनके इस बयान के बाद बैठक कक्ष में उपस्थित कई अधिकारी तालियां बजाते नजर आए। यह वीडियो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, और आम जनता से लेकर प्रशासनिक हलकों तक इस पर चर्चाएं हो रही हैं।
क्यों खास है यह बयान?
डीएम दिव्या मित्तल का यह स्पष्ट और निडर संदेश इस बात की ओर इशारा करता है कि प्रशासनिक कार्यों में राजनीतिक दखलअंदाज़ी पर रोक लगनी चाहिए और अधिकारियों को स्वतंत्र रूप से काम करने देना चाहिए। उनके इस स्टैंड ने ईमानदार प्रशासनिक कार्यशैली की ओर एक महत्वपूर्ण कदम बताया जा रहा है।
जहां एक ओर जनप्रतिनिधि जनहित के मुद्दे उठाने का अधिकार रखते हैं, वहीं अधिकारियों को कार्य करने की स्वतंत्रता देना भी ज़रूरी है। देवरिया की डीएम दिव्या मित्तल ने इस संतुलन को बनाए रखने का साहसिक प्रयास किया है, जो न केवल प्रशंसनीय है बल्कि भविष्य में प्रशासन और राजनीति के बीच बेहतर तालमेल की नींव भी रखता है।