प्रदेश की 6 चीनी मिलों द्वारा वर्षों से लंबित गन्ना भुगतान पर सरकार ने सख्त कार्रवाई करते हुए वसूली प्रमाण-पत्र जारी किए हैं। किसानों को शीघ्र मिलेगा बकाया भुगतान। पढ़ें पूरी खबर।
चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट
गोंडा। वर्षों से गन्ना किसानों का भुगतान रोकने वाली प्रदेश की 6 चीनी मिलों पर अब शासन ने कड़ा रुख अपनाया है। किसानों की लगातार बढ़ रही परेशानियों के बीच गन्ना एवं चीनी आयुक्त ने इन मिलों के खिलाफ वसूली प्रमाण-पत्र (RC) जारी कर दिए हैं। इस कदम को गन्ना मूल्य भुगतान में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में अहम माना जा रहा है।
इन चीनी मिलों पर कसा शिकंजा
गन्ना आयुक्त प्रमोद कुमार उपाध्याय ने जानकारी दी कि जिन मिलों के खिलाफ आरसी जारी की गई है, उनमें शामिल हैं:
गोंडा की कुंदरखी मिल, पीलीभीत की बरखेड़ा मिल, शाहजहांपुर की मकसूदापुर मिल, बरेली की बहेड़ी और नवाबगंज मिल, बागपत की मलकपुर मिल।
इन मिलों को बार-बार निर्देश दिए जाने के बावजूद किसानों का भुगतान नहीं किया गया, जिससे अब इन पर भू-राजस्व अधिनियम के अंतर्गत वसूली की जाएगी।
भू-राजस्व की तरह होगी वसूली, किसानों को मिलेगा लाभ
आरसी जारी होने के बाद जिला प्रशासन इन मिलों से भू-राजस्व की भांति बकाया वसूलेगा, जिससे किसानों को उनका भुगतान शीघ्र प्राप्त होने की संभावना है। इसके अतिरिक्त, आयुक्त ने संकेत दिया कि भविष्य में ऐसे मिलों के गन्ना क्रय क्षेत्रफल के पुनर्निधारण पर भी विचार किया जाएगा।
गन्ना मूल्य भुगतान की ताजा स्थिति
प्रदेश की कुल 122 चीनी मिलों में से केवल 65 मिलों ने ही 100% भुगतान किया है।
22 मिलों ने 84% से अधिक भुगतान किया है। शेष मिलें अभी भी किसानों का पैसा दबाए बैठी हैं।
इस स्थिति की निगरानी मुख्यालय स्तर से की जा रही है, जिससे समयबद्ध भुगतान सुनिश्चित किया जा सके।
गन्ना विभाग की सख्ती बनी मिसाल
यह कार्रवाई न केवल बकायेदार मिलों पर दबाव बनाएगी, बल्कि अन्य चीनी मिलों के लिए भी चेतावनी का काम करेगी। यह स्पष्ट संदेश है कि यदि किसान हितों की अनदेखी की गई तो सख्त प्रशासनिक कार्रवाई तय है।