चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट
21वीं सदी का इंसान जितना आगे तकनीक में बढ़ रहा है, उतनी ही तेजी से उसके जीवन में खतरे भी गहराते जा रहे हैं। मोबाइल फोन और इंटरनेट की सहज उपलब्धता ने जहां संचार को आसान बनाया है, वहीं इसके जरिए अपराध का एक नया संसार भी जन्म ले चुका है। व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम, फेसबुक, टेलीग्राम जैसे प्लेटफॉर्म अब केवल संवाद के साधन नहीं, बल्कि साइबर ठगी, ब्लैकमेलिंग और मानसिक उत्पीड़न के नए अड्डे बनते जा रहे हैं।
ऐसे में एक साधारण-सा दिखने वाला मैसेज — “हेलो, क्या आप वीडियो कॉल पर मेरे साथ थ्री एक्स चैट करना चाहते हैं?” — सुनने में जितना सामान्य लगता है, असल में उतना ही घातक है। यह महज़ एक वाक्य नहीं, बल्कि एक साइबर अपराध की शुरुआत है, जिसकी चपेट में आकर न जाने कितने लोग अपनी इज़्ज़त, मानसिक संतुलन, धन और सामाजिक प्रतिष्ठा तक खो चुके हैं।
एक खतरनाक शुरुआत: जब वीडियो कॉल बना फांसी का फंदा
कल्पना कीजिए कि आप एक आम दिन मोबाइल चला रहे हैं। अचानक एक अनजान नंबर से व्हाट्सएप पर मैसेज आता है। वह मैसेज जितना स्पष्ट है, उतना ही उद्दीपक भी — “क्या आप वीडियो कॉल पर मेरे साथ थ्री एक्स चैट करना चाहते हैं?”
आपका मन जिज्ञासा या उत्तेजना में बह जाता है। सोचते हैं कि क्या हर्ज है, देख तो लें। जवाब देने से पहले ही एक वीडियो कॉल आ जाती है। दूसरी तरफ एक युवती, जो बेहद आकर्षक और उत्तेजक अवस्था में होती है, कैमरे के सामने उकसाने वाली हरकतें करती है। बातचीत या जवाब की कोई ज़रूरत नहीं — वो बोलती है, मुस्कराती है, और आपका ध्यान अपनी तरफ खींच लेती है।
आप भूल जाते हैं कि यह एक जाल है।
और फिर जो होता है, वो रोंगटे खड़े कर देता है…
कुछ ही देर बाद, आपको वही वीडियो क्लिप वापस भेजी जाती है — लेकिन उसमें आपकी भी तस्वीर है, आपकी प्रतिक्रिया, आपकी आवाज़ या आपकी स्क्रीन से जुड़ी चीजें जोड़ दी गई हैं। यह एक AI-जेनरेटेड डीपफेक वीडियो होती है — इतनी वास्तविक कि खुद आपको भी भ्रम हो जाए कि क्या वाकई आपने ऐसा किया?
फिर शुरू होता है असली खेल। सामने से मैसेज आता है:
- “अगर आप इतने पैसे नहीं भेजते तो हम यह वीडियो आपके दोस्तों, रिश्तेदारों और सोशल मीडिया पर डाल देंगे।”
- आपका दिल बैठ जाता है, सांस अटक जाती है, और धड़कनें जैसे बंद होने लगती हैं।
इस पूरे षड्यंत्र में क्या हो रहा है?
1. मन की कमजोरी को लक्ष्य बनाना: अपराधी जानते हैं कि अधिकांश लोग इंटरनेट पर अनैतिक कंटेंट देखने या जुड़ने की जिज्ञासा रखते हैं। वे इसी कमजोरी का लाभ उठाते हैं।
2. AI और Deepfake तकनीक का इस्तेमाल: साइबर अपराधी अब कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का उपयोग करके नकली वीडियो बनाते हैं, जिनमें आपकी सच्ची शक्ल और आवाज़ जुड़ जाती है।
3. ब्लैकमेलिंग और मानसिक उत्पीड़न: अपराधी जब आपकी यह ‘शर्मनाक वीडियो’ भेजते हैं, तो आपके आत्म-सम्मान और समाज में आपकी छवि को लेकर डर पैदा करते हैं। पीड़ित अक्सर डर के मारे पैसे दे देते हैं या आत्महत्या जैसे खतरनाक कदम तक उठा लेते हैं।
प्रमुख उदाहरण
दिल्ली विश्वविद्यालय का छात्र: एक 19 वर्षीय छात्र ने अनजान लड़की के वीडियो कॉल के बाद ब्लैकमेलिंग में फंसकर आत्महत्या कर ली। वह लगातार 25 हज़ार रुपए ट्रांसफर कर चुका था और अपराधी और मांग कर रहे थे।
राजस्थान का सरकारी कर्मचारी: उसकी वीडियो को सोशल मीडिया पर डालने की धमकी दी गई, जब उसने पैसे नहीं भेजे। परिवार और समाज में बदनामी के डर से उसने नौकरी छोड़ दी।
ऐसे अपराध क्यों बढ़ रहे हैं?
- इंटरनेट की सुलभता और अश्लीलता की भरमार
- साइबर सुरक्षा की जागरूकता का अभाव
- अपराधियों के लिए कानून का डर न होना
- पीड़ितों का चुप रहना और रिपोर्ट न करना
क्या कहता है कानून?
भारत में ऐसे अपराधों को रोकने के लिए आईटी एक्ट, 2000 के तहत कई प्रावधान हैं:
- धारा 66E: निजता का उल्लंघन करने पर 3 साल तक की सजा या जुर्माना।
- धारा 67 और 67A: अश्लील सामग्री प्रसारित करने पर 5 साल तक की सजा।
- IPC की धारा 384: ब्लैकमेलिंग के लिए दंडनीय अपराध।
- लेकिन सबसे बड़ी चुनौती यह है कि पीड़ित अपराध को रिपोर्ट ही नहीं करते।
कैसे बचें ऐसे डिजिटल जाल से?
1. अनजान नंबर से आई कॉल या मैसेज का जवाब न दें।
2. अपना कैमरा और स्क्रीन रिकॉर्डिंग परमिशन सुरक्षित रखें।
3. AI और Deepfake तकनीकों की वास्तविकता को समझें।
4. कभी भी लालच या उत्तेजना में बहकर निर्णय न लें।
5. अगर आप फंस जाएं, तो घबराएं नहीं — तुरंत पुलिस या साइबर सेल से संपर्क करें।
6. NCW (राष्ट्रीय महिला आयोग), CERT-In जैसी एजेंसियों से मदद लें।
हमारा सामाजिक दायित्व क्या है?
हमें यह समझना होगा कि पीड़ित व्यक्ति केवल एक इंसान है, जो एक तकनीकी छलावे का शिकार हुआ है। उसका मज़ाक उड़ाना, वीडियो शेयर करना या उसे तिरस्कार की दृष्टि से देखना, एक प्रकार का नैतिक अपराध है।
हमें ऐसे लोगों का सहारा बनना चाहिए, उन्हें साइबर हेल्पलाइन की जानकारी देना चाहिए और इस मुद्दे पर खुलकर चर्चा करनी चाहिए।
एक संदेश जो सबको समझना चाहिए
आज का युग डिजिटल है, लेकिन नैतिकता और सतर्कता की ज़रूरत इससे कहीं अधिक है। एक क्षण की जिज्ञासा, लालच या उत्तेजना आपकी पूरी ज़िंदगी को बर्बाद कर सकती है। अपराधी केवल आपकी कमजोरी का इंतज़ार कर रहे हैं — उन्हें मौका मत दीजिए।
अगर हम सतर्क रहें, तकनीकी जानकारी रखें, और समाज में जागरूकता फैलाएं, तो इस साइबर युग में भी सुरक्षित रह सकते हैं।
याद रखिए
“कोई भी वीडियो कॉल, कोई भी मैसेज, कोई भी क्लिक… आपकी प्रतिष्ठा, करियर और जीवन का आखिरी पड़ाव बन सकता है।”
तो सोचिए, समझिए और सतर्क रहिए।