Sunday, July 20, 2025
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इन अफसरों ने पूरा साथ दिया छांगुर बाबा को उसके गोरखधंधे में, धर्मांतरण-हवाला नेटवर्क पर बड़ा खुलासा

धर्मांतरण, हवाला और विदेशी फंडिंग के गंभीर आरोपों में घिरे जलालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा को लेकर जांच एजेंसियों ने चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। ईडी और एटीएस की कार्रवाई में अफसरों की संलिप्तता, संपत्ति का जाल और अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क की परतें खुल रही हैं।

चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट

लखनऊ और मुंबई से बलरामपुर तक फैले हवाला नेटवर्क और धर्मांतरण की साजिश में फंसे जलालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा को लेकर एक के बाद एक चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ED) और उत्तर प्रदेश एटीएस की छानबीन में सामने आया है कि बाबा का नेटवर्क न केवल देश के कई हिस्सों में फैला है, बल्कि यूएई, तुर्की और सऊदी अरब जैसे देशों से मिली विदेशी फंडिंग के जरिए देशविरोधी गतिविधियों को अंजाम दिया जा रहा था।

🏢 मुंबई में दो स्थानों पर ईडी की छापेमारी

प्रवर्तन निदेशालय ने गुरुवार को देशभर के 14 ठिकानों पर एक साथ सर्च ऑपरेशन चलाया, जिनमें से मुंबई के बांद्रा और माहिम स्थित दो स्थान प्रमुख रहे। कार्रवाई का फोकस छांगुर बाबा का करीबी शहजादा था, जिसके बैंक खाते में 2 करोड़ रुपये का संदिग्ध ट्रांजैक्शन मिला है। यह रकम नवीन नामक व्यक्ति से ट्रांसफर हुई थी, जो बाबा का एक और सहयोगी बताया जा रहा है।

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🧾 विदेशी बैंक खातों से फंडिंग और हवाला ट्रांजैक्शन

अब तक की जांच में छांगुर बाबा के 18 बैंक अकाउंट्स का पता चला है, जिनमें 70 करोड़ रुपये से अधिक का संदिग्ध लेनदेन हुआ है। पिछले तीन महीनों में कुछ खातों में 7-8 करोड़ रुपये का ट्रांजैक्शन हुआ है। ईडी के मुताबिक, यह रकम धर्मांतरण और कट्टरपंथी विचारधारा फैलाने के लिए प्रयोग की गई। हवाला नेटवर्क के तार यूएई, सऊदी अरब और तुर्की के बैंक खातों से जुड़े हैं।

🕵️‍♂️ अब अफसर भी जांच के घेरे में

इस बीच, एसटीएफ की गोपनीय जांच में चौकाने वाला खुलासा हुआ है। जांच में सामने आया है कि बलरामपुर में 2019 से 2024 के बीच तैनात एक एडीएम, दो सर्किल ऑफिसर (सीओ) और एक इंस्पेक्टर छांगुर बाबा को संरक्षण देने और सहयोग करने के आरोप में संदिग्ध पाए गए हैं।

 हालांकि एजेंसियां यह जांच रही हैं कि ये नाम बाबा की खुद को बचाने की चाल है या वास्तव में उनकी संलिप्तता रही है। सबूत मिलने पर कार्रवाई की तैयारी शुरू हो चुकी है।

📈 पुरानी बाइक से करोड़ों की संपत्ति तक का सफर

छांगुर बाबा का सफर 2015 में एक पुरानी बाइक और अंगूठी बेचने से शुरू हुआ था, लेकिन 2020 के बाद उसकी हैसियत तेजी से बढ़ी।

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 2022 तक वह लग्जरी गाड़ियों में घूमता था, उसके पास अचल संपत्ति और जमीनें थीं। जांच में खुलासा हुआ है कि बीते चार वर्षों में उसकी संपत्ति में बेतहाशा इजाफा हुआ है।

🏠 सरकारी जमीनों पर कब्जा और फर्जी रजिस्ट्रियां

स्थानीय प्रशासन की मिलीभगत से छांगुर ने उतरौला और आसपास के क्षेत्रों की सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जा कर लिया। तहसील स्तर पर मिलीभगत का फायदा उठाकर उसने एक बड़े तालाब की जमीन अपने नाम कराई, जिसे उसने 12 नवंबर 2023 को नीतू उर्फ नसरीन रोहरा को बेच भी दिया।

 इस जमीन की कीमत लगभग 1 करोड़ रुपये बताई जा रही है। इसके अलावा लालगंज, रेहरा माफी, चपरहिया, बनघुसरा जैसी जगहों की जमीनों पर भी उसकी नजर थी।

💔 विदेशी फंडिंग को लेकर रिश्तों में दरार

फंडिंग को लेकर छांगुर और नीतू उर्फ नसरीन के बीच संबंध बिगड़ गए थे। सूत्रों के अनुसार, पीर बाबा ने फंड का नियंत्रण अपने बेटे महबूब को सौंप दिया था, जिससे नसरीन नाराज़ हो गई।

 महबूब की गिरफ्तारी के बाद छांगुर ने खुद विदेश भागने की योजना बनाई और रेहरा माफी व मधुपुर के कुछ लोगों के खातों में पैसे ट्रांसफर किए। इन खातों की जांच अब यूपी एटीएस कर रही है।

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🧠 धर्मांतरण का मास्टरमाइंड

जांच में यह भी सामने आया है कि छांगुर ने नेपाल सीमा से सटे 46 गांवों को अपने निशाने पर रखा था। वह धार्मिक जलसों के जरिए युवाओं की मानसिकता को परखता और फिर जिहादी विचारधारा की ओर झुकाव रखने वालों को आर्थिक मदद देने की योजना बनाता था।

 सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, इस नेटवर्क को मजबूत करने के लिए करीब 10 करोड़ रुपये की विदेशी फंडिंग की तैयारी थी।

🔎 क्या आगे होगा?

अब जबकि बाबा का धर्मांतरण, हवाला और अफसरों की मिलीभगत वाला नेटवर्क उजागर हो चुका है, तो एजेंसियों के सामने सबसे बड़ा लक्ष्य है—

  • विदेशी फंडिंग के स्रोतों की पुष्टि,
  • अवैध संपत्तियों की जब्ती,
  • और संदिग्ध अफसरों पर सख्त कार्रवाई।

यह मामला सिर्फ एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि एक संगठित राष्ट्र-विरोधी साजिश की ओर इशारा करता है, जो प्रशासन, धर्म और धन के गठजोड़ से संभव हो पाया।

 छांगुर बाबा का मामला महज धर्मांतरण का नहीं, बल्कि देश के सामाजिक और प्रशासनिक तंत्र में घुसे गंभीर खतरे की घंटी है। यह जांच अब केवल बाबा पर केंद्रित नहीं, बल्कि उन सत्ता और व्यवस्था के चेहरों पर भी है जो पर्दे के पीछे इस खेल को संभव बनाते रहे।

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