Sunday, July 20, 2025
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गांव पर राज, हाथ में बंदूक: प्रधान पति का वीडियो देख कांपे पत्रकार और ग्रामीण

संजय सिंह राणा की रिपोर्ट

चित्रकूट के कर्वी ब्लॉक की ग्राम पंचायत अकबरपुर में ग्राम प्रधान पति शंभू सिंह चंदेल का बंदूक के साथ वायरल वीडियो सुर्खियों में है। पत्रकारों और ग्रामीणों ने लगाया डर फैलाने और धमकी देने का आरोप। पीड़ित पत्रकार ने पुलिस से सुरक्षा की मांग की।

ज़िले के सदर ब्लॉक कर्वी की ग्राम पंचायत अकबरपुर इन दिनों एक वायरल वीडियो के चलते चर्चा में है। वीडियो में ग्राम प्रधान पति/प्रतिनिधि शंभू सिंह चंदेल हाथ में बंदूक लिए निर्माण स्थल पर बेखौफ घूमते नजर आ रहे हैं। यही नहीं, इस दौरान पृष्ठभूमि में एक धमकी भरा गाना बज रहा है — “जो भी होगा विरोधी… वह पाछे पछताएगा…”।

समाज में डर फैलाने का प्रयास?

इस वीडियो के वायरल होने के बाद इलाके में दहशत का माहौल पैदा हो गया है। कई पत्रकारों और स्थानीय ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि यह वीडियो उन्हें डराने-धमकाने के मकसद से सोशल मीडिया पर पोस्ट किया गया है।

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एक स्थानीय पत्रकार ने सामने आकर अपनी बात रखते हुए कहा,

“मैंने भी भरतकूप क्षेत्र के स्वच्छता अभियान और विकास कार्यों में अनियमितताओं को लेकर रिपोर्ट प्रकाशित की थी। अब जब यह वीडियो सामने आया है, तो मुझे डर है कि कहीं यह अप्रत्यक्ष रूप से मेरे जैसे पत्रकारों को धमकाने की कोशिश तो नहीं है।”

पुलिस और प्रशासन से सुरक्षा की मांग

पीड़ित पत्रकार, जो स्वयं अनुसूचित जाति समुदाय से आते हैं, ने पुलिस अधीक्षक चित्रकूट और भरतकूप थाना प्रभारी से जान-माल की सुरक्षा की गुहार लगाई है। उन्होंने यह भी मांग की है कि वायरल वीडियो में हथियार के साथ दिखने वाले ग्राम प्रधान पति शंभू सिंह चंदेल के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर कड़ी कार्रवाई की जाए।

चुनावी माहौल में बढ़ रही दबंगई?

स्थानीय लोगों का कहना है कि अकबरपुर ग्राम पंचायत अनुसूचित जाति बहुल क्षेत्र है, जहां कोल आदिवासी समाज की संख्या अधिक है। यह वर्ग आज भी आर्थिक और सामाजिक रूप से हाशिए पर है।

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इस संबंध में पत्रकार ने सवाल उठाया है:

 “क्या अब गांव के गरीब और दलित लोग अपने प्रतिनिधि बंदूक के डर से चुनेंगे? क्या लोकतंत्र में चुनाव ‘जनता के प्यार’ से नहीं, ‘दहशत के दम’ पर होंगे?”

प्रशासन की भूमिका पर उठे सवाल

अब यह मामला केवल एक वीडियो तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह लोकतंत्र की स्वतंत्रता और पत्रकारिता की आज़ादी से जुड़ गया है। ग्रामीणों और पत्रकारों की मांग है कि जिला प्रशासन इस मामले को गंभीरता से ले और ऐसे तत्वों के विरुद्ध तुरंत सख्त कार्रवाई करे, ताकि समाज में भय का वातावरण समाप्त हो सके और चुनाव निष्पक्ष रूप से संपन्न हो सकें।

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यह घटना न केवल लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी है, बल्कि यह समाज में भय का माहौल पैदा करने की एक निंदनीय कोशिश भी है। अब देखना होगा कि जिला प्रशासन इस मामले पर कितनी संवेदनशीलता से कार्रवाई करता है।

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