नरैनी क्षेत्र में भारी बारिश से केन और रंज नदियों में बाढ़ जैसे हालात, कई गांव जलमग्न, युवक नदी में फंसा, प्रशासन की सतर्कता से रेस्क्यू कर सुरक्षित निकाला गया।
सोनू करवरिया की रिपोर्ट
नरैनी, बाँदा, लगातार हो रही मूसलाधार बारिश ने बुंदेलखंड क्षेत्र के नरैनी तहसील को बुरी तरह प्रभावित किया है। विगत रात्रि से जारी तेज बारिश के चलते मध्यप्रदेश सीमा से निकली केन और रंज नदियाँ उफान पर आ गई हैं। इन नदियों के जलस्तर में अचानक वृद्धि से आसपास के गांवों में बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं।
केन और रंज नदियाँ बनीं संकट का कारण
प्राकृतिक जलस्रोतों में प्रमुख, केन नदी का उद्गम मध्यप्रदेश के जबलपुर क्षेत्र से होता है और यह उत्तर प्रदेश के बांदा जिले से होकर बहती है। वहीं रंज नदी नरैनी के आसपास के ग्रामीण इलाकों से होकर गुजरती है। दोनों नदियों में अत्यधिक वर्षा के कारण जलस्तर खतरनाक स्तर पर पहुँच गया, जिससे तटवर्ती गांवों में तबाही मच गई।
केन नदी के किनारे बसे विदुवापुरवा, बिलहरका, नई दुनियां और घरार नाले के पास बसे रानीपुर व भांवरपुर जैसे गांवों में पानी भर गया।
वहीं रंज नदी का पानी रेहुंची, मोहनपुरवा, खलारी और पुकारी के मजरा धोबिन पुरवा तक फैल गया।
घरों में घुसा बाढ़ का पानी, बर्बाद हुई गृहस्थी
निचले इलाकों में बसे गांवों के घरों में पानी घुसने से लोगों की पूरी गृहस्थी जलमग्न हो गई। दैनिक जीवन प्रभावित हुआ, लोगों को खाना, पानी और सुरक्षित स्थानों की चिंता सताने लगी। गांवों के संपर्क मार्ग कट गए, खेतों में खड़ी फसलें तबाह हो गईं।
नदी में फंसे तीन युवक, एक फंसा रह गया दूसरी ओर
बारिश के दौरान धोबिन पुरवा में उस समय सनसनी फैल गई जब रंज नदी के तेज बहाव में तीन युवक—राम आसरे पुत्र छोटू निषाद, बुद्धू पुत्र राजकुमार, और देवीदीन पुत्र छोटू निषाद नदी पार कर रहे थे। अचानक जलस्तर बढ़ने के कारण वे नदी के बीचोंबीच फंस गए।
हालांकि किसी तरह राम आसरे और बुद्धू जान जोखिम में डालकर वापस किनारे आ गए, लेकिन देवीदीन दूसरी ओर ही फंस गया। स्थिति गंभीर होते देख ग्रामीणों ने तत्काल प्रशासन को सूचित किया।
प्रशासन अलर्ट मोड पर, सफल रहा रेस्क्यू ऑपरेशन
सूचना मिलते ही उपजिलाधिकारी अमित शुक्ला, तहसीलदार नरैनी सतीश वर्मा, क्षेत्राधिकारी कृष्णकांत त्रिपाठी, लेखपाल रामकिशोर वर्मा और पुलिस चौकी करतल प्रभारी अनिल कुमार राय टीम के साथ मौके पर पहुंचे।
युवक को बचाने के लिए तत्काल रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया। नाव की व्यवस्था कर प्रशासन ने पेशेवर नाविकों की मदद से देवीदीन को सुरक्षित नदी पार कराया। रेस्क्यू के दौरान पुलिस और प्रशासन की सतर्कता काबिल-ए-तारीफ रही।
ग्रामीणों में दहशत, राहत शिविरों की मांग
इस आपदा से दहशत में आए गांववालों ने प्रशासन से राहत शिविरों की मांग की है। गांवों में पीने के पानी, बिजली और दवा की गंभीर समस्या उत्पन्न हो चुकी है।
इस आपदा ने फिर से यह सवाल खड़ा कर दिया है कि मानसून से पहले नदियों के किनारे बसे गांवों के लिए कोई ठोस सुरक्षा और पुनर्वास नीति क्यों नहीं बनाई जाती?
प्रशासन की तत्परता ने एक युवक की जान तो बचा ली, लेकिन यह घटना आने वाले समय में जलवायु परिवर्तन और सरकारी तैयारी को लेकर गहरे प्रश्न छोड़ गई है। आने वाले दिनों में यदि बारिश का दौर इसी तरह जारी रहा, तो स्थितियाँ और भी विकराल हो सकती हैं।