Sunday, July 20, 2025
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दबंगई की हदें पार: सरकारी ज़मीन पर कब्जा, फिर पत्नी को प्रधान बनाकर विकास कार्यों में लूट

चित्रकूट जिले की ग्राम पंचायत अमचुर नेरुवा में दबंगई और भ्रष्टाचार की चौंकाने वाली कहानी — सार्वजनिक ज़मीन पर कब्जा, पत्नी को ग्राम प्रधान बनाकर सरकारी योजनाओं में लूट, और प्रशासन की चुप्पी। पढ़ें पूरी रिपोर्ट👇

संजय सिंह राणा की रिपोर्ट

चित्रकूट(मानिकपुर)। चित्रकूट जिले के मानिकपुर विकास खंड की ग्राम पंचायत अमचुर नेरुवा इन दिनों जबरदस्त प्रशासनिक अनदेखी और भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ती नज़र आ रही है। यहां के एक दबंग व्यक्ति ने न सिर्फ गांव की सार्वजनिक ज़मीन पर अवैध कब्जा जमाया, बल्कि चालाकी और जालसाजी से गांव की बागडोर भी अपने हाथों में ले ली।

शुरुआत दबंगई से, अंजाम सत्ता तक

ग्राम पंचायत किहुनिया निवासी मनोज कुमार द्विवेदी पुत्र केशव प्रसाद द्विवेदी ने योजनाबद्ध तरीके से अमचुर नेरुवा ग्राम पंचायत को अपनी दबंगई और चालाकी का केंद्र बना लिया। बताया जा रहा है कि गाटा संख्या 231 — जो कि ग्राम सभा की सार्वजनिक ज़मीन है — पर उन्होंने पहले कब्जा जमाया और फिर वहीं घर बनाकर बस गए।

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इसके बाद, उन्होंने परिवार रजिस्टर और वोटर लिस्ट में नाम दर्ज करवा लिया और अंततः अपनी पत्नी प्रिया द्विवेदी को ग्राम प्रधान का चुनाव लड़वाकर निर्वाचित भी करवा दिया। यहीं से शुरू हुआ भ्रष्टाचार और सरकारी योजनाओं में लूट का खेल।

ग्राम प्रधान बनते ही भ्रष्टाचार की खुली छूट

ग्राम प्रधान पद मिलने के बाद प्रिया द्विवेदी ने विकास कार्यों के नाम पर सरकारी धन का बेहिसाब और मनमाना तरीके से दुरुपयोग शुरू कर दिया। निर्माण कार्यों में घटिया सामग्री, अधूरे प्रोजेक्ट, और बिना मापदंडों के भुगतान जैसे मामले आम हो गए।

गांव में प्रधान प्रतिनिधि के तौर पर मनोज कुमार द्विवेदी का असर इतना अधिक है कि कोई भी ग्रामीण उनके खिलाफ़ बोलने की हिम्मत नहीं कर पाता। विशेष रूप से कोल आदिवासी समाज, जो इस ग्राम पंचायत में बहुसंख्यक हैं, पूरी तरह से इस दबंगई का शिकार हो रहे हैं।

सड़क निर्माण में घोटाला और ग्रामीणों की परेशानी

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ग्राम पंचायत के भेड़ा कोलान मजरे में इंटरलॉकिंग खड़ंजा का कार्य प्रारंभ हुआ था, जिसमें भारी अनियमितताएं की जा रही थीं। जब ग्रामीणों ने इसका विरोध किया तो मनोज द्विवेदी ने निर्माण कार्य रुकवा दिया और सारी निर्माण सामग्री उठाकर ले गया। परिणामस्वरूप, सड़क का काम अधूरा रह गया और बारिश के मौसम में गांव की गलियां कीचड़ और पानी से भर गईं। गरीब ग्रामीणों के घरों में पानी घुसने लगा और अब मकानों के गिरने का डर बना हुआ है।

आवास योजनाओं में भारी लापरवाही

मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री आवास योजनाओं के अंतर्गत आए लगभग 200 आवासों में से अधिकतर अधूरे हैं — कुछ की छतें तक नहीं पड़ी हैं। ग्रामीणों के अनुसार, ग्राम प्रधान और सचिव द्वारा सर्वेक्षण में लापरवाही बरती गई, जिससे जरूरतमंद लोगों को योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है।

जुर्माना लगा, पर कार्रवाई नहीं

ग्राम सभा की सार्वजनिक ज़मीन (गाटा संख्या 231) पर अवैध कब्जा करने के मामले में धारा 67(1) के अंतर्गत मनोज कुमार द्विवेदी पर ₹1,17,000 का जुर्माना लगाया गया था। लेखपाल द्वारा जांच कर रिपोर्ट भी प्रस्तुत की जा चुकी है, फिर भी अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। सवाल उठता है कि जब स्पष्ट रूप से अवैध कब्जे की पुष्टि हो चुकी है, तो प्रशासनिक कार्रवाई क्यों ठप है?

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अब क्या करे प्रशासन?

क्या जिला प्रशासन इस मामले को गंभीरता से लेकर दबंग भू-माफिया मनोज कुमार द्विवेदी से जुर्माना वसूल करेगा और सार्वजनिक ज़मीन से अवैध निर्माण को हटवाएगा? या फिर भ्रष्टाचार और दबंगई ऐसे ही शासन व्यवस्था का मज़ाक उड़ाते रहेंगे?

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