चित्रकूट के पूर्व माध्यमिक विद्यालय सरैया भाग 1 में शिक्षकों और प्रधानाध्यापक के बीच विवाद गहराया, शिक्षकों ने डीबीएसए को पत्र लिखकर अनियमितताओं की जांच की मांग की।
संजय सिंह राणा की रिपोर्ट
चित्रकूट,मानिकपुर। चित्रकूट जिले के मानिकपुर क्षेत्र स्थित पूर्व माध्यमिक विद्यालय सरैया भाग 1, जो कभी नेशनल अवार्ड से सम्मानित होकर गौरव का प्रतीक रहा है, आजकल शिक्षकों के आपसी मतभेद और प्रशासनिक अनियमितताओं के चलते चर्चा में है। विद्यालय के शिक्षकों ने प्रधानाध्यापक उमाशंकर पांडेय पर गंभीर आरोप लगाते हुए जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को पत्र सौंपा है, जिसमें प्रधानाध्यापक के विरुद्ध कठोर कार्यवाही की मांग की गई है।
शिक्षकों के आरोप इस प्रकार हैं
1. परीक्षा में अंक छेड़छाड़
छात्रों के वार्षिक परीक्षा अंकों में जानबूझकर हेरफेर किया गया, जिससे प्रतिस्पर्धा की भावना कमजोर हो रही है।
2. पोषण योजना की अनदेखी
नवंबर से मार्च के बीच सप्लीमेंट्री न्यूट्रिशन एक बार भी वितरित नहीं किया गया, जिससे बच्चों के स्वास्थ्य पर असर पड़ा है।
3. विद्यालय प्रबंध समिति का मनमाना गठन
बिना खुली बैठक के और स्टाफ को सूचित किए बिना हर वर्ष समिति का गठन किया गया।
4. महत्वपूर्ण दस्तावेजों को छिपाना
प्रधानाध्यापक कार्यालय में ताला लगाकर महत्वपूर्ण दस्तावेज छुपाते हैं ताकि भविष्य में जांच से बचा जा सके।
5. अनाधिकृत आकस्मिक अवकाश
हर वर्ष निर्धारित सीमा (14 दिन) से अधिक (17+ दिन) आकस्मिक अवकाश रजिस्टर में दर्ज किए गए।
6. रजिस्टर में हेरफेर
उपस्थिति रजिस्टर में सफेदा लगाकर हस्ताक्षर किए गए, जबकि अवकाश पत्र व्यवहार रजिस्टर में दर्ज है।
7. सेवा पुस्तिका में जानकारी दर्ज न करना
मानव संपदा पोर्टल से पूर्व लिए गए चिकित्सीय अवकाश सेवा पुस्तिका में दर्ज नहीं हैं।
8. विकलांग प्रमाणपत्र का दुरुपयोग
प्रधानाध्यापक शारीरिक रूप से अक्षम नहीं हैं, फिर भी विकलांग सर्टिफिकेट लेकर टैक्स छूट सहित अन्य लाभ उठा रहे हैं।
9. स्कूल समय में निजी कार्य
विद्यालय समय में प्रधानाध्यापक निजी प्रचार कार्यों में व्यस्त रहते हैं।
10. वित्तीय अनियमितताएं
विद्यालय प्रबंध समिति का पैसा सीधे दुकानदारों के खाते में डालकर बाद में शिक्षकों के खातों में स्थानांतरित किया जाता है, जिससे उन्हें फंसाया जा सके।
11. फल-दूध वितरण में कोताही
शासनादेश अनुसार प्रत्येक सप्ताह फल एवं दूध वितरण अनिवार्य है, लेकिन इसे भी अनदेखा किया गया।
12. छात्राओं से अभद्र व्यवहार
एक छात्रा द्वारा ऑनलाइन शिकायत भी दर्ज कराई गई थी, जिसे खंड शिक्षा अधिकारी द्वारा निस्तारित किया गया।
13. गलत टोल फ्री नंबर दर्ज करना
एमडीएम टोल फ्री नंबर गलत अंकित किया गया और सही नहीं किया गया, ताकि कोई शिकायत न कर सके।
14. अभद्र भाषा का प्रयोग
प्रधानाध्यापक द्वारा विद्यालय स्टाफ और रसोइयों के साथ अमर्यादित भाषा का प्रयोग किया जाता है।
शिक्षकों का कहना है कि जब इन मुद्दों पर प्रधानाध्यापक से चर्चा की जाती है, तो वे उल्टा शिक्षकों को निलंबन की धमकी देते हैं और एक फर्जी एसएमसी अध्यक्ष के माध्यम से भी दबाव बनाते हैं।
प्रधानाध्यापक का पक्ष
प्रधानाध्यापक उमाशंकर पांडेय ने सभी आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि,
“मैं 2011 से इस विद्यालय में सेवा दे रहा हूं। हमारे सामूहिक प्रयासों से यह विद्यालय नेशनल अवार्ड से नवाजा गया था। अब कुछ शिक्षक मुझे विद्यालय से हटाने के लिए झूठे आरोप लगा रहे हैं।”
जांच कमेटी गठित
शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए जिला प्रशासन द्वारा जांच कमेटी गठित की गई है। इस कमेटी में राजकीय बालिका इंटर कॉलेज कर्वी की प्रधानाचार्या शशिकला, खंड शिक्षा अधिकारी रामनगर नागेश्वर प्रताप सिंह और खंड शिक्षा अधिकारी अतुल दत्त तिवारी शामिल हैं। कमेटी शीघ्र ही जांच पूरी कर रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी, जिसके बाद कोई निर्णायक कार्यवाही की जाएगी।
विद्यालय जैसे पवित्र संस्थानों में इस प्रकार की प्रशासनिक अनियमितताएं शिक्षा की गुणवत्ता और बच्चों के भविष्य के लिए खतरे की घंटी हैं। जांच रिपोर्ट आने के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो सकेगी कि वास्तविक दोषी कौन है — प्रधानाध्यापक या आरोप लगाने वाले शिक्षकगण।