Monday, July 21, 2025
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मुहर्रम में बच्चों का अद्भुत जज़्बा—पुकारी में निकला परंपरा और प्रेम से भरा ताजिया जुलूस

बांदा के नरैनी क्षेत्र के ग्राम पुकारी में मुहर्रम के अवसर पर पारंपरिक तरीके से ताजिया जुलूस निकाला गया। मातमी धुनों के साथ निकले जुलूस में हिन्दू-मुस्लिम एकता की मिसाल देखने को मिली। शांतिपूर्ण आयोजन में पुलिस की भूमिका सराहनीय रही।

संतोष कुमार सोनी के साथ सुशील कुमार मिश्रा की रिपोर्ट

नरैनी, बांदा जनपद के नरैनी तहसील अंतर्गत ग्राम पुकारी में इस्लाम धर्म के अनुयायियों ने मुहर्रम का पर्व पूरी श्रद्धा और परंपरा के साथ मनाया। यह अवसर केवल धार्मिक आस्था का ही नहीं, बल्कि गंगा-जमुनी तहज़ीब और साम्प्रदायिक सौहार्द का भी प्रतीक बन गया।

हर वर्ष की भांति इस बार भी मुहम्मद इमाम हुसैन की शहादत की याद में मातमी धुनों और श्रद्धाभाव के साथ ताजिया जुलूस का आयोजन किया गया। गाँव के विभिन्न स्थानों पर बनाए गए ताजियों को पहले विधिपूर्वक रखा गया, तत्पश्चात मातमी धुनों के साथ उन्हें जुलूस के रूप में निकाला गया।

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विशेष बात यह रही कि इस जुलूस में महिला एवं पुरुषों की सहभागिता बराबरी की रही। मातमी गीतों के सुरों में डूबे लोगों का कारवां जब गांव की गलियों से होकर इमामबाड़े की ओर बढ़ा, तो माहौल पूरी तरह आस्था और श्रद्धा से ओतप्रोत नजर आया। इसके पश्चात सभी ताजियों को एकत्र कर भव्य जुलूस के साथ ‘करबला’ ले जाकर ‘सुपुर्द-ए-खाक’ किया गया।

इस बार का आयोजन कई मायनों में खास रहा। जहां एक ओर धार्मिक अनुशासन और परंपराओं का अनुपालन हुआ, वहीं दूसरी ओर हिन्दू-मुस्लिम समुदाय के लोगों ने मिलकर भाईचारे की अनूठी मिसाल पेश की। गाँव के हिन्दू नागरिकों ने भी आयोजन में न केवल सक्रिय सहभागिता निभाई, बल्कि ताजिया निर्माण, सजावट और जल वितरण जैसी व्यवस्थाओं में भी अहम भूमिका अदा की।

बच्चे ताजिया के साथ

एक विशेष आकर्षण रहा नन्हे-मुन्ने बच्चों द्वारा निकाला गया ताजिया, जिसे देखने के लिए ग्रामीणों की भीड़ उमड़ पड़ी। बच्चों के पारंपरिक वेशभूषा में सजकर ताजिया उठाने के जज्बे ने हर किसी का दिल जीत लिया।

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जुलूस में शामिल लोग

पूरे आयोजन के दौरान सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद रही। क्षेत्रीय पुलिस चौकी करतल के प्रभारी अनिल कुमार राय ने अपने सहयोगी पुलिस कर्मियों के साथ मुस्तैदी से निगरानी रखी। उनकी सतर्कता एवं समन्वय से संपूर्ण कार्यक्रम पूर्णतः शांति व सौहार्द के वातावरण में संपन्न हुआ।

ग्राम पुकारी में मनाया गया यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था की अभिव्यक्ति रहा, बल्कि आपसी प्रेम, समर्पण और शांति की मिसाल भी बना।

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