चित्रकूट की ग्राम पंचायत अमचुर नेरुवा में ग्राम सभा की ज़मीन पर अवैध कब्जा, फर्जी हस्ताक्षर और विकास कार्यों में भारी घोटाले का खुलासा। पढ़ें प्रशासन की निष्क्रियता और जनप्रतिनिधियों की दबंगई की पूरी कहानी।
संजय सिंह राणा की रिपोर्ट
📍चित्रकूट, मानिकपुर: जहां एक ओर सरकार ग्राम विकास के नाम पर करोड़ों की योजनाएं चला रही है, वहीं दूसरी ओर ज़मीनी हकीकत कुछ और ही बयान कर रही है। मानिकपुर तहसील की ग्राम पंचायत अमचुर नेरुवा में ग्राम प्रधान और भू माफियाओं की मिलीभगत से ग्राम सभा की जमीनें तक सुरक्षित नहीं रह गईं।
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🔷 सार्वजनिक ज़मीन पर मकान निर्माण, बना निजी कार्यालय
सबसे गंभीर मामला ग्राम सभा की बंजर आबादी की जमीन गाटा संख्या 231/1 पर अवैध कब्जे का है। यह ज़मीन मारकुंडी-मानिकपुर संपर्क मार्ग के किनारे स्थित है, जहाँ पर ग्राम प्रधान प्रिया द्विवेदी के पति मनोज द्विवेदी ने दबंगई दिखाते हुए पहले से ही मकान निर्माण कार्य शुरू करवा दिया था।
गौर करने वाली बात यह है कि पंचायत चुनाव से पहले ही निर्माण कार्य की शुरुआत कर दी गई थी और चुनाव जीतते ही टाइल्स एवं फर्श का कार्य करवा कर उस अवैध मकान को निजी कार्यालय में तब्दील कर दिया गया।
🔷 विकास कार्यों में धांधली का खुला खेल
इतना ही नहीं, विकास कार्यों में भी जमकर भ्रष्टाचार देखने को मिल रहा है। पंचायत के अंदर योजनाओं को लागू करने के नाम पर फर्जी जॉब कार्ड बनाए गए। हैरानी की बात यह है कि इन कार्डों में प्रधान और सचिव के परिवारीजनों के नाम शामिल हैं।
इसके बाद फर्जी मस्टर रोल तैयार कर लाखों रुपये का भुगतान दर्शा दिया गया। विशेष रूप से राज्य वित्त एवं पंद्रहवें वित्त आयोग की धनराशि का उपयोग दिखा कर, हैंडपंप रीबोरिंग और मरम्मत सामग्री के नाम पर घोटाला किया गया।
🔷 फर्जी हस्ताक्षर, खुलेआम सरकारी आदेशों की अवहेलना
जानकारी के अनुसार, ग्राम प्रधान प्रिया द्विवेदी के फर्जी हस्ताक्षर बनाकर उनके पति मनोज द्विवेदी द्वारा सरकारी दस्तावेजों पर कार्य कराए जा रहे हैं। सचिव बीरेंद्र सिंह के साथ मिलकर यह कार्यवाही लीपापोती से आगे बढ़ रही है।
जाहिर है कि सचिव और प्रधान पति की इस सांठगांठ से यह कहना मुश्किल हो गया है कि क्या विकास कार्यों में फर्जीवाड़ा हो रहा है या फिर फर्जीवाड़ा ही विकास कार्य बन चुका है।
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🔷 सवाल उठाता है ग्राम पंचायत का हर कार्य
यदि इन तमाम प्रकरणों की जांच निष्पक्ष ढंग से कराई जाए, तो करोड़ों के भ्रष्टाचार का पर्दाफाश हो सकता है। सवाल यह भी है कि प्रशासन कब जागेगा और ऐसे जनप्रतिनिधियों पर शिकंजा कब कसेगा?
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🔴 अगले अंक में पढ़ें:
ग्राम पंचायत अमचुर नेरुवा में सार्वजनिक भूमि पर कब्जा कर बनाए गए अवैध निर्माण और विकास योजनाओं में हुए लाखों के फर्जी भुगतान की विस्तृत तहकीकात।
मुलताई में कुछ बैंक, कुछ शॉपिंग कॉम्प्लेक्स बिना पार्किंग के संचालित हो रहे हैं, तथा कुछ लोगों ने पार्किंग के लिए जगह बहुत कम दी है। जो वाहन पार्किंग के लिए पर्याप्त नहीं है। इससे ग्राहको को वाहन खड़े करने में बहुत परेशानी होती है। आखिर बिना पार्किंग के बैंक कैसे संचालित हो रहे हैं। ये तो नियमों का उल्लघंन हो रहा है। सड़क किनारे वाहन खड़े करने से यातायात व्यवस्था प्रभावित होती है। कई बार दुर्घटना तक हो जाती है। सरकारी जमीन पर वाहन खड़े हो रहे हैं ।जबकि जिस भवन मे बैंक संचालित होती है उसकी स्वयं की पार्किंग होना जरूरी है। मुलताई में संचालित सभी बैंकों की पार्किंग व्यवस्था की जांच होना चाहिए।
कुछ बेसमेंट बिना अनुमति के बने हैं। कुछ व्यावसायिक भवनों के नक्शे बिना पार्किंग दिए पास हुए हैं। कुछ लोगों ने सरकारी जमीन पर पक्का अतिक्रमण कर लिया है। जांच होना चाहिए।
रवि खवसे, मुलताई (मध्यप्रदेश)