Monday, July 21, 2025
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आमों की बगिया में बारूद की बू! मलिहाबाद से उठा आतंक का धुआं

मलिहाबाद, लखनऊ में एक हकीम की आड़ में चल रही अवैध असलहा फैक्ट्री का भंडाफोड़। पुलिस को पीओके से संदिग्ध बातचीत के साक्ष्य मिले, एटीएस जांच में जुटी। पढ़ें सनसनीखेज रिपोर्ट।

चुन्नीलाल प्रधान के साथ ठाकुर बख्श सिंह की रिपोर्ट

लखनऊ, मलिहाबाद। जिस मलिहाबाद को दुनिया आमों के लिए जानती है, अब वह एक चौंकाने वाले खुलासे की वजह से सुर्खियों में है। यहां एक 68 वर्षीय बुज़ुर्ग हकीम, जो लोगों को जड़ी-बूटी की दवा देता था, असल में अवैध हथियारों का सौदागर निकला। इतना ही नहीं, जांच में उसके पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) से संबंध के प्रमाण मिलने के बाद खुफिया एजेंसियों में हड़कंप मच गया है।

🔴 हकीम नहीं, ‘हथियारों का हाकिम’ निकला सलाउद्दीन

लखनऊ के मलिहाबाद थाना क्षेत्र से मात्र 100 मीटर की दूरी पर रहने वाला हकीम सलाउद्दीन उर्फ ‘लाला’ एक झोलाछाप डॉक्टर की आड़ में असलहों की फैक्ट्री चला रहा था। वर्षों से बंद पड़े एक पुराने सिनेमा हॉल को उसने हथियार निर्माण का अड्डा बना रखा था। गुरुवार देर रात मिली गुप्त सूचना के आधार पर पुलिस ने छापेमारी की और इस फर्जी हकीम के काले कारनामों की पोल खोल दी।

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🔍 क्या-क्या मिला सलाउद्दीन के ठिकानों से?

पुलिस की कार्रवाई में जो बरामद हुआ, वह बेहद चौंकाने वाला था।

एडीसीपी जितेंद्र दुबे के मुताबिक:

3 देसी पिस्टल

1 तमंचा और 2 देसी तमंचे (.22 बोर)

1 रायफल

7 एयरगन

118 जिंदा कारतूस (315, 22 और 12 बोर)

41 खोखे

6 बांका, 2 छुरियां, 9 फरसे व गड़ासे

हथियार बनाने की ड्रिलिंग मशीनें और उपकरण

एक लैपटॉप, जिसमें संदिग्ध डाटा

और सबसे चौंकाने वाली चीज — हिरन की प्रतिबंधित खाल

इस बरामदगी के आधार पर पुलिस ने आयुध अधिनियम और वन्य जीव संरक्षण अधिनियम की दो एफआईआर दर्ज की हैं।

📞 कश्मीर और पीओके कनेक्शन से हड़कंप

जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ी, एक और चौंकाने वाला मोड़ सामने आया। सलाउद्दीन के कॉल रिकॉर्ड में पीओके के कुछ संदिग्ध नंबरों से संपर्क की पुष्टि हुई है। यही नहीं, फॉरेंसिक जांच में उसके मोबाइल व लैपटॉप से ऐसे सुराग मिले हैं, जिनसे शक गहराया है कि वह न केवल यूपी बल्कि जम्मू-कश्मीर तक हथियारों की सप्लाई करता था।

एटीएस (आतंकवाद निरोधक दस्ते) ने मामले की गंभीरता को देखते हुए छानबीन शुरू कर दी है।

🕵️‍♂️ हकीम की दुकान या तस्करी का अड्डा?

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सलाउद्दीन मलिहाबाद के मिर्जागंज मोहल्ले में एक हकीम की दुकान चलाता था। दुकान के बाहर एक बोर्ड पर लिखा था कि वह हर दिन तीन घंटे मरीजों को देखता है (जुम्मे को छोड़कर)। लेकिन हकीकत कुछ और ही निकली।

स्थानीय लोगों ने बताया कि उसके घर से अक्सर रात में मशीनों की आवाजें आती थीं। किसी को शक नहीं हुआ कि यह आवाजें हथियार बनाने की थीं। लोग यह मानते रहे कि शायद वह शहद निकालने के उपकरण चला रहा है, क्योंकि सलाउद्दीन का एक और कारोबार शहद का व्यापार भी था।

👥 कौन आते थे सलाउद्दीन के घर?

पुलिस ने जब इलाके में पड़ताल की, तो पड़ोसियों ने बताया कि उसके घर में अजनबी और संदिग्ध चेहरे अक्सर आते-जाते रहते थे। कई बार चार-पांच युवक उसके घर में कई दिनों तक रुके रहते थे। ये लोग न तो स्थानीय लगते थे और न ही किसी काम से आते दिखते थे।

सलाउद्दीन ने अपने घर में किराए के कमरे भी बना रखे थे, जो तस्करी के नेटवर्क का हिस्सा हो सकते हैं। जांच एजेंसियों को संदेह है कि यही लोग हथियार ले जाने वाले तस्कर थे।

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🔎 अब तक क्या-क्या सामने आया?

सलाउद्दीन लल्लन खां (मलिहाबाद तिहरे हत्याकांड का आरोपी) का रिश्तेदार है

वह पेशे से हकीम और शौकिया शिकारी है

शहद का व्यापार भी करता था

पिछले कई वर्षों से उसके पुराने सिनेमा हॉल में फैक्ट्री चल रही थी

मलिहाबाद थाने से महज 100 मीटर की दूरी पर यह अवैध काम चल रहा था और स्थानीय पुलिस को भनक तक नहीं लगी?

🚔 पुलिस और एटीएस की अगली कार्रवाई

पुलिस ने सलाउद्दीन को गिरफ्तार कर लिया है। उसके पास से बरामद मोबाइल, लैपटॉप और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की फॉरेंसिक जांच कराई जा रही है।

एटीएस, आईबी और एसटीएफ की टीमें अब सलाउद्दीन के नेटवर्क को खंगाल रही हैं।

🔻 क्या यह केवल तस्करी है या आतंक का हिस्सा?

अब सबसे बड़ा सवाल यही है — क्या यह नेटवर्क केवल अवैध असलहों की तस्करी तक सीमित है या फिर देश-विरोधी गतिविधियों का कोई बड़ा चेहरा है?

यदि पीओके से कनेक्शन की पुष्टि होती है, तो यह मामला सीधा राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ जाएगा।

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