प्रयागराज की सदर तहसील में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है, जहां पाकिस्तान में रह रही एक महिला को ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र जारी किया गया। जांच में सामने आए तथ्य अफसरों की मिलीभगत की ओर इशारा करते हैं। जानिए पूरा मामला।
अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट
प्रयागराज। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले की सदर तहसील में एक चौंकाने वाला मामला उजागर हुआ है, जिसने सरकारी प्रमाण पत्रों की प्रक्रिया और उसमें फैले भ्रष्टाचार की पोल खोल दी है। मंडलायुक्त विजय विश्वास पंत के निर्देश पर हुई जांच में सामने आया है कि निकाह के बाद पाकिस्तान में रह रही एक महिला को यहां का ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया।
महत्वपूर्ण बात यह है कि यह महिला अपनी मां की आश्रित पेंशन का लाभ भी भारत सरकार से उठा रही है। अफसरों को इस महिला के पाकिस्तान में रहने की जानकारी होने के बावजूद अब तक उसका सर्टिफिकेट निरस्त नहीं किया गया है, जिससे सिस्टम की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
भ्रष्टाचार की परतें खुलीं
डीएम रविंद्र कुमार मांदड़ के आदेश पर एक मजिस्ट्रेटी जांच बिठाई गई थी, जिसके दौरान सामने आया कि सदर तहसील के लेखपाल, कानूनगो और नायब तहसीलदार ने नियमों को ताक पर रखकर धनी और अयोग्य लोगों को भी ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र बांटे।
जांच में यह भी सामने आया कि कुछ लाभार्थियों के माता-पिता सरकारी अधिकारी रहे हैं। उदाहरण के तौर पर एक मामले में पिता एक प्रतिष्ठित सरकारी संस्थान में लेखाधिकारी थे और मां उप प्रधानाचार्य रहीं। फिर भी उनके बच्चों को आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग का लाभ दिया गया।
आलीशान मकानों के मालिक भी ‘कमज़ोर’ घोषित
जांच में और भी चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। जिन व्यक्तियों के पास 200 से 1000 वर्ग गज के प्लॉट हैं, और जिनके मकान दो से चार मंज़िला तक के हैं, उन्हें भी ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया।
स्पष्ट रूप से यह साबित करता है कि प्रमाण पत्र निर्गत करते समय दस्तावेजों की सत्यता की जाँच नहीं की गई, या फिर जानबूझकर अनदेखी की गई।
पाकिस्तान चली गई महिला, सर्टिफिकेट बरकरार
गौरतलब है कि शिकायत के बाद उक्त महिला हाल ही में अपने पति के साथ प्रयागराज आई थीं और इसके बाद खाड़ी देश होते हुए पाकिस्तान वापस चली गईं। बावजूद इसके, उनका ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र अभी तक निरस्त नहीं किया गया है।
शशांक राय का केस बना जांच का टर्निंग पॉइंट
इस घोटाले के खुलासे की एक अहम कड़ी रहे प्रयागराज के सीएमपी डिग्री कॉलेज के असिस्टेंट प्रोफेसर शशांक शेखर राय, जिनका ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र पहले ही उनके गृह जनपद गाजीपुर से निरस्त कर दिया गया था।
उनके खिलाफ एक स्थानीय मुस्लिम महिला ने शिकायत की थी, जिसके बाद उनका वेतन तक रोक दिया गया। बाद में उसी महिला की बहन का मामला उजागर हुआ, जो पाकिस्तान में रहते हुए भी भारत में सरकारी लाभ ले रही हैं।
यह पूरा प्रकरण केवल एक व्यक्ति विशेष से जुड़ा नहीं है, बल्कि यह प्रशासनिक लापरवाही और भ्रष्टाचार का जीता-जागता उदाहरण बन चुका है। अधिकारियों द्वारा नियमों की अनदेखी, ईडब्ल्यूएस की पात्रता की अनदेखी, और राजनीतिक या सामाजिक दबाव के चलते ऐसे प्रमाण पत्र जारी करना – यह सब कुछ सिस्टम की पारदर्शिता और जवाबदेही पर गहरा सवाल खड़ा करता है।
अब देखना यह होगा कि मंडलायुक्त और जिला प्रशासन इस गंभीर मामले में कितनी तेजी और सख्ती से कार्रवाई करता है, ताकि भविष्य में ऐसे फर्जीवाड़े पर रोक लगाई जा सके।