Sunday, July 20, 2025
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नगर पालिका परिषद से 3.5 करोड़ की ठगी, सगे भाइयों की गिरफ्तारी से खुला राज

रायबरेली नगर पालिका परिषद से जुड़े 3.5 करोड़ के डिजिटल घोटाले का खुलासा, सगे भाइयों की गिरफ्तारी, डिजिटल सिग्नेचर के दुरुपयोग से हुआ फर्जी ट्रांजेक्शन। पढ़िए पूरा मामला।

ठाकुर बख्श सिंह की रिपोर्ट

रायबरेली। उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले में नगर पालिका परिषद से जुड़े एक बहुचर्चित घोटाले का पर्दाफाश करते हुए क्राइम ब्रांच ने साढ़े तीन करोड़ रुपये की ठगी में शामिल दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है। चौंकाने वाली बात यह है कि दोनों आरोपी सगे भाई हैं, जिनमें से एक पहले नगर पालिका परिषद में एडहॉक कंप्यूटर ऑपरेटर के तौर पर काम कर चुका है।

धोखाधड़ी की शुरुआत: एनपीएस से गबन

जानकारी के अनुसार, मुख्य आरोपी विक्रम शर्मा ने वर्ष 2022 में सबसे पहले कर्मचारियों की नेशनल पेंशन स्कीम (NPS) से धनराशि का गबन किया था। मामला सामने आने पर उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई और उसे जेल भेज दिया गया। हालांकि, जमानत पर रिहा होने के बाद भी वह नहीं सुधरा और 2023 में उसने और बड़ा घोटाला अंजाम दिया।

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डिजिटल सिग्नेचर का दुरुपयोग और सरकारी धन की ट्रांसफरिंग

रिहाई के बाद विक्रम शर्मा ने प्रधानमंत्री स्वच्छ भारत मिशन के तहत नगर पालिका को मिले साढ़े तीन करोड़ रुपये को अपने घर से ही फर्जी तरीके से सीतापुर और मेरठ के अलग-अलग खातों में ट्रांसफर कर दिया। इसके लिए उसने नगर पालिका परिषद के कार्यकारी अधिकारी (EO) स्वर्ण सिंह के डिजिटल सिग्नेचर और आधार कार्ड की स्कैन कॉपी का दुरुपयोग किया।

विक्रम के पास पहले से ही ये दस्तावेज मौजूद थे, जिन्हें उसने अपडेट करके सिस्टम में दोबारा इस्तेमाल किया। इस पूरे अपराध में उसका भाई जसवंत शर्मा भी सक्रिय रूप से शामिल था।

अलर्ट से खुली पोल, तत्काल हुई कार्रवाई

यह घोटाला तब उजागर हुआ जब नगर पालिका के एक कर्मचारी को बैंक खाते से रकम निकासी का अलर्ट मिला। मामले की गंभीरता को समझते हुए ईओ स्वर्ण सिंह ने तत्काल पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।

इसके बाद क्राइम ब्रांच हरकत में आई और गहन जांच के बाद दोनों भाइयों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। सबसे अहम बात यह रही कि विवेचना के दौरान अधिकारियों ने गबन की गई पूरी रकम को नगर पालिका के खाते में वापस जमा करा दिया, जिससे सरकारी धन की रक्षा हो सकी।

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पुलिस का बयान और चेतावनी

एडिशनल एसपी संजीव कुमार सिन्हा ने बताया कि इस मामले में डिजिटल धोखाधड़ी से संबंधित कई सुराग मिले हैं, जिनकी जांच जारी है। उन्होंने यह भी कहा कि आरोपियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी ताकि भविष्य में कोई भी इस तरह की हरकत करने से पहले दस बार सोचे।

साथ ही उन्होंने सभी सरकारी विभागों को डिजिटल दस्तावेजों और सिग्नेचर की सुरक्षा के प्रति और अधिक सतर्क रहने की सलाह दी है, ताकि इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके।

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