उत्तर प्रदेश में बिजली की दरें 13 रुपये प्रति यूनिट तक पहुंच सकती हैं। पावर कॉरपोरेशन के प्रस्ताव पर उपभोक्ता परिषद ने जताई चिंता, नियामक आयोग ने मांगा जवाब। जानिए प्रस्तावित दरों की पूरी डिटेल।
चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में बिजली उपभोक्ताओं को जल्द ही बड़ा झटका लग सकता है। पावर कॉरपोरेशन द्वारा प्रस्तावित नई दरों के अनुसार, घरेलू उपभोक्ताओं को प्रति यूनिट बिजली 13 रुपये तक चुकानी पड़ सकती है। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने इस प्रस्ताव पर आपत्ति जताते हुए इसे जनविरोधी बताया है और नियामक आयोग ने मामले की गंभीरता को देखते हुए पावर कंपनियों से जवाब-तलब किया है।
दरों में जबरदस्त उछाल का प्रस्ताव
दरअसल, उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन ने नई वार्षिक राजस्व आवश्यकता (ARR) रिपोर्ट के तहत बिजली दरों में इजाफे का प्रस्ताव पेश किया है। इस प्रस्ताव में शहरी उपभोक्ताओं के लिए दो स्लैब — 101 से 300 यूनिट और 300 यूनिट से अधिक — निर्धारित किए गए हैं। इसके साथ ही फिक्स चार्ज व एनर्जी चार्ज में भी उल्लेखनीय बढ़ोतरी का सुझाव दिया गया है।
वर्तमान और प्रस्तावित बिजली दरों की तुलना (राशि रुपये में):
स्वीकृत भार कुल यूनिट वर्तमान भुगतान दर/यूनिट प्रस्तावित भुगतान दर/यूनिट
1KW 100 ₹660 ₹6.60 ₹840 ₹8.40
2KW 200 ₹1345 ₹6.73 ₹1830 ₹9.15
3KW 300 ₹2055 ₹6.85 ₹2830 ₹9.40
5KW 500 ₹3575 ₹7.15 ₹5000 ₹10.00
5KW 200 ₹1675 ₹8.38 ₹2400 ₹12.00
नियामक आयोग ने तलब किया जवाब
इस वृद्धि के पीछे के कारणों की जानकारी देने के लिए उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग (UPERC) ने पावर कंपनियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। साथ ही, आयोग ने यह भी पूछा है कि क्यों पुरानी तीन स्लैब की प्रणाली को घटाकर दो स्लैब में समाहित कर दिया गया है? अब उपभोक्ताओं को 101 से 300 यूनिट और 300 यूनिट से ऊपर के लिए एकीकृत दरों का भुगतान करना होगा, जिससे आम उपभोक्ता पर वित्तीय बोझ बढ़ेगा।
उपभोक्ता परिषद ने जताया विरोध
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने आयोग के समक्ष याचिका दायर कर इस प्रस्ताव का विरोध किया है। उनका कहना है कि दरों में इस प्रकार की बढ़ोतरी न केवल आमजन पर आर्थिक दबाव बनाएगी, बल्कि यह जनविरोधी नीति का प्रतीक है। परिषद ने मांग की है कि उपभोक्ताओं की राय लिए बिना इस प्रस्ताव को स्वीकार न किया जाए।
निजीकरण को लेकर भी उबाल
बिजली दरों की वृद्धि के साथ ही निजीकरण के मुद्दे पर भी कर्मचारियों और अधिकारियों में असंतोष बढ़ता जा रहा है। पावर सेक्टर में लगातार निजी हाथों को सौंपे जाने की प्रक्रिया का विरोध करते हुए कई जिलों में प्रदर्शन किए जा रहे हैं।