उत्तर प्रदेश में बिजली कर्मियों ने निजीकरण के खिलाफ मूक प्रदर्शन कर विद्युत नियामक आयोग से RFP दस्तावेज खारिज करने और निजीकरण प्रक्रिया पर रोक लगाने की मांग की। जानें पूरी रिपोर्ट।
चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में बिजली कर्मचारियों ने निजीकरण के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए सोमवार को राजधानी स्थित विद्युत नियामक आयोग कार्यालय के बाहर मूक प्रदर्शन किया। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के आह्वान पर यह प्रदर्शन किया गया, जिसमें कर्मचारियों ने हाथों में तख्तियां लेकर शांतिपूर्ण ढंग से अपना विरोध दर्ज कराया।
नियामक आयोग को सौंपी गई मांगों की सूची
शाम चार बजे बड़ी संख्या में बिजलीकर्मी विद्युत नियामक आयोग के मुख्यद्वार पर एकत्र हुए। प्रदर्शन के दौरान आयोग के सचिव स्वयं बाहर आए और कर्मचारियों से उनका ज्ञापन प्राप्त किया। ज्ञापन के माध्यम से संघर्ष समिति ने आयोग द्वारा पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के प्रस्तावित निजीकरण पर आपत्ति जताई और स्पष्ट रूप से विरोध प्रकट किया।
निजीकरण के मसौदे पर कड़ा ऐतराज
संघर्ष समिति ने यह स्पष्ट किया कि पावर कॉर्पोरेशन प्रबंधन द्वारा सौंपे गए RFP (रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल) दस्तावेज को मंजूरी देना जनहित के विपरीत होगा। उन्होंने मांग की है कि आयोग इन दस्तावेजों को अस्वीकार करे और प्रस्तावित निजीकरण की प्रक्रिया पर तत्काल रोक लगाए।
समिति को भी मिले सुनवाई का अवसर
इसके साथ ही संघर्ष समिति ने यह भी मांग रखी कि आयोग इस गंभीर मुद्दे पर निर्णय लेने से पूर्व विद्युत कर्मचारियों के पक्ष को भी सुने और उन्हें आयोग के समक्ष अपनी बात रखने का मौका दे। समिति का मानना है कि यह मुद्दा न केवल कर्मचारियों बल्कि उपभोक्ताओं और राज्य की ऊर्जा संरचना से भी जुड़ा हुआ है।
प्रदेशभर में हुआ विरोध
उल्लेखनीय है कि इसी दिन प्रदेश के सभी जिलों और परियोजना मुख्यालयों पर भी इसी तरह के विरोध कार्यक्रम आयोजित किए गए, जहाँ कर्मचारियों ने शांतिपूर्वक प्रदर्शन करते हुए निजीकरण के निर्णय का विरोध किया।