कानपुर के राणा प्रताप नगर में 23 वर्षीय महिला ने अपने दो मासूम बच्चों के सामने आत्महत्या कर ली। तीन साल के बेटे ने बर्तनों से सीढ़ी बनाकर दरवाजा खोला। जानिए पूरी दर्दनाक घटना और पुलिस की जांच की स्थिति।
ठाकुर बख्श सिंह की रिपोर्ट
📍 कानपुर से एक झकझोर देने वाली घटना ने हर किसी को स्तब्ध कर दिया है।
उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में एक 23 वर्षीय मां ने अपने ही दो मासूम बच्चों के सामने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। यह दिल दहला देने वाली घटना राणा प्रताप नगर इलाके की है, जहां मृतका रोशनी अपने पति सूरज कुशवाहा और दो बेटों के साथ किराए पर रह रही थी।
🧵 सब कुछ सामान्य था, लेकिन कुछ पल में बदल गया मंजर
बीते शुक्रवार की रात सबकुछ सामान्य था। पति सूरज ने बताया कि रोशनी ने उसे 100 रुपये देकर बाजार से कुछ सामान लाने के लिए भेजा था। लेकिन जब वह करीब एक घंटे बाद लौटा, तो दरवाजा अंदर से बंद मिला।
🚪 अंदर से आ रही थी बच्चों की चीखें
सूरज ने कई बार दरवाजा खटखटाया, पर अंदर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। तभी उसे भीतर से अपने बच्चों के रोने की आवाजें सुनाई दीं। अनहोनी की आशंका से उसका दिल दहल उठा। घबराकर उसने तीन वर्षीय बेटे कृष्णा से दरवाजा खोलने को कहा।
🪜 मासूम ने बर्तनों से बनाई सीढ़ी
मासूम कृष्णा ने कमरे में रखे तसले और बर्तन एक के ऊपर एक रखे और उन्हें सीढ़ी बनाकर दरवाजे की ऊँचाई तक पहुंचा। किसी तरह उसने कुंडी खोली और दरवाजा खुला।
💔 सामने थी वो तस्वीर, जिसे देखकर कांप उठेगा दिल
जैसे ही सूरज अंदर पहुंचा, उसके पैरों तले जमीन खिसक गई। सामने पत्नी रोशनी का शव पंखे से लटका हुआ था और दोनों मासूम बच्चे सहमे हुए रो रहे थे। इस मंजर को देख पति का दिल चीत्कार कर उठा। उसने तत्काल पुलिस को सूचना दी।
🕵️♀️ पुलिस जांच में जुटी, आत्महत्या की वजह अब भी रहस्य
घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और शव को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा। वहीं, शुरुआती जांच में कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है। आत्महत्या के पीछे की वजह जानने के लिए पुलिस गहराई से छानबीन कर रही है।
👨👩👦 बिखर गया एक परिवार, सवालों के घेरे में समाज
इस घटना ने कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। आखिर एक मां किस मानसिक पीड़ा से गुजर रही थी, जो उसने अपने बच्चों के सामने ऐसा आत्मघाती कदम उठाया? क्या यह पारिवारिक तनाव था या फिर कोई अन्य कारण?
🧠 मानसिक स्वास्थ्य पर फिर से चर्चा जरूरी
यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि मानसिक स्वास्थ्य आज भी हमारे समाज में नजरअंदाज क्यों किया जाता है? जब तक हम मानसिक समस्याओं को गंभीरता से नहीं लेंगे, ऐसी त्रासदियां यूं ही सामने आती रहेंगी।
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कानपुर की यह दर्दनाक घटना न केवल एक परिवार का विनाश है, बल्कि समाज के लिए एक चेतावनी भी है। मानसिक स्वास्थ्य, पारिवारिक संवाद और भावनात्मक सहयोग—इन सभी पर अब हमें और भी ज्यादा ध्यान देना होगा।