उन्नाव के आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर भीषण सड़क हादसे में एक ही परिवार के चार लोगों की मौत हो गई। कार तेज रफ्तार में कंटेनर में जा घुसी। जानें पूरा घटनाक्रम, कारण और aftermath
ठाकुर बख्श सिंह की रिपोर्ट
तेज रफ्तार ने छीनी चार जिंदगियां, ग़म में डूबा गाजियाबाद का परिवार
उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर रविवार को एक दर्दनाक हादसा हुआ, जिसमें 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ती एक्सयूवी कार एक कंटेनर में जा घुसी। हादसा इतना भीषण था कि कार का आधा हिस्सा कंटेनर के नीचे समा गया। इस दुर्घटना में चार लोगों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि एक घायल ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया।
हादसे की भयावहता: 50 मीटर तक खिंचते रहे टायर
प्रत्यक्षदर्शियों और पुलिस के अनुसार, कार चला रहे बृजेश ने कंटेनर को देखकर ब्रेक लगाने की कोशिश की, जिसकी पुष्टि घटनास्थल से 50 मीटर तक टायरों के निशानों से होती है। इससे अनुमान लगाया जा रहा है कि कंटेनर संभवतः खड़ा था, हालांकि पुलिस इसे मानने से इनकार कर रही है।
सीसीटीवी का अभाव बना जांच में रोड़ा
हादसे वाली जगह पर कोई सीसीटीवी कैमरा नहीं लगा है, जिससे सटीक कारणों की पुष्टि करना मुश्किल हो रहा है। CO अरविंद चौरसिया ने बताया कि कार की स्पीड लगभग 120 किमी/घंटा थी और वह कंटेनर को बाईं ओर से ओवरटेक करने की कोशिश कर रही थी। तभी कंटेनर भी बाईं ओर आ गया और कार सीधा उसमें घुस गई।
हादसे का शिकार हुए लोग
इस हादसे में जिनकी मौत हुई, उनमें शामिल हैं
विनय पाठक (55) – गाजियाबाद निवासी, सीमा उपाध्याय (40) – बहन, ब्रजेश कुमार (43) – बिजनेस पार्टनर व कांग्रेस नेता (बिहार प्रदेश उपाध्यक्ष), आरुषि (26) – सीमा की बेटी, दिल्ली हाईकोर्ट में वकील, गंभीर रूप से घायल आयुष – सीमा का बेटा, जो पटना में मौसा के पास था और हादसे में बच गया।
आयुष के हिस्से में बचा सिर्फ सन्नाटा
इस हादसे के बाद आयुष पूरी तरह अकेला हो गया है। पहले पिता अजीत उपाध्याय की 2020 में हृदयगति रुकने से मौत हो चुकी थी, अब मां और बहन भी इस दुर्घटना में चल बसीं।
पत्नी की चेतावनी अनसुनी, नहीं लौटे विनय
विनय पाठक अपनी पत्नी अपराजिता और तीन बच्चों को गाजियाबाद में छोड़कर तेरहवीं संस्कार में शामिल होने देवरिया गए थे। उन्होंने पत्नी से वादा किया था कि जल्द लौट आएंगे। उन्होंने जाते वक्त पत्नी से फोन पर कहा भी था, “धीरे चलकर आराम से लौटूंगा।” लेकिन किसे पता था कि अब वह कभी वापस नहीं आएंगे।
हादसे की पृष्ठभूमि और घटनाक्रम
हादसे से पहले, विनय और ब्रजेश 23 मई को गोरखपुर में मंगनी समारोह में शामिल हुए थे। वहां से 24 मई की तड़के गाजियाबाद लौटने के लिए निकले। दोपहर दो बजे के आसपास बांगरमऊ क्षेत्र में हादसा हुआ। टक्कर के बाद एक्सयूवी के पहिए तक उठ गए, और कार पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई।
रेस्क्यू ऑपरेशन: मौत से जूझती आरुषि
घटनास्थल से गुजर रहे कन्नौज सदर कोतवाली प्रभारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने देखा कि आरुषि की सांस चल रही है। उन्होंने तुरंत उसे कन्नौज मेडिकल कॉलेज और फिर कानपुर के हैलट अस्पताल पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।
प्रशासन की कार्रवाई
बांगरमऊ कोतवाली प्रभारी चंद्रकांत सिंह और यूपीडा की टीम ने कटर से कार काटकर शवों को बाहर निकाला। फिलहाल कंटेनर चालक फरार है और पुलिस उसकी तलाश कर रही है।
यह दुर्घटना एक बार फिर तेज रफ्तार, ओवरटेकिंग और खराब ट्रैफिक मैनेजमेंट के खतरनाक मेल को उजागर करती है। एक्सप्रेसवे पर सीसीटीवी की गैर-मौजूदगी और सही समय पर एंबुलेंस सुविधा की कमी जैसे मुद्दे भी सामने आए हैं।