चित्रकूट में मां मंदाकिनी नदी की सफाई से लेकर विकास कार्यों तक, हर ओर सरकारी धन के दुरुपयोग और भ्रष्टाचार की परतें उजागर हो रही हैं। जानें पूरी पड़ताल इस रिपोर्ट में।
संजय सिंह राणा की रिपोर्ट
चित्रकूट में विकास कार्य या भ्रष्टाचार की कहानी?
चित्रकूट जनपद एक ओर तो आध्यात्मिक नगरी के रूप में विख्यात है, वहीं दूसरी ओर अब यह सरकारी योजनाओं की लूट और भ्रष्टाचार के लिए चर्चा में आ गया है। चाहे बात मां मंदाकिनी नदी की सफाई की हो या फिर ब्लॉक स्तर पर हो रहे निर्माण कार्यों की—हर जगह सरकारी धन की ‘साफ-सफाई’ तेजी से हो रही है।
मां मंदाकिनी नदी: श्रद्धा का केंद्र या राजनीतिक मंच?
मां मंदाकिनी नदी की सफाई को लेकर अक्सर सरकार और समाजसेवी दोनों ही वाहवाही लूटने में लगे रहते हैं। कभी जलशक्ति मंत्री तो कभी स्थानीय जनप्रतिनिधि—सब कैमरों के सामने नदी से कचरा निकालते दिखाई देते हैं। लेकिन हकीकत कुछ और ही है।
कुछ ही दिनों बाद वही नदी फिर से कचरे और गंदगी से भर जाती है। न तो सिंचाई विभाग और न ही नगर पालिका कोई स्थायी समाधान दे पा रही है। शहर के नालों का गंदा पानी सीधे मां मंदाकिनी में गिर रहा है, जिससे नदी दिन-प्रतिदिन और अधिक दूषित होती जा रही है।
सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार की गूंज
स्वच्छता और विकास योजनाओं के नाम पर सिंचाई विभाग, लघु सिंचाई विभाग और पंचायत स्तर पर भारी गड़बड़ियां सामने आ रही हैं। मनरेगा, अमृत सरोवर योजना, तालाब गहरीकरण और चेकडैम निर्माण जैसी योजनाएं महज़ कागज़ी साबित हो रही हैं। लाखों रुपये खर्च होने के बावजूद धरातल पर परिणाम नगण्य हैं।
ब्लॉक प्रमुखों की मनमानी और नियमों की अनदेखी
चित्रकूट जिले के पांच ब्लॉकों में ब्लॉक प्रमुखों द्वारा शासन की गाइडलाइनों को दरकिनार करते हुए अपने हिसाब से विकास कार्य कराए जा रहे हैं।
पंद्रहवें वित्त आयोग की टाइड और अनटाइड ग्रांट का दुरुपयोग भी बड़े पैमाने पर हो रहा है।
अनटाइड ग्रांट का उपयोग जल निकासी, जल संरक्षण और कूड़ा निस्तारण जैसे कार्यों में होना चाहिए, लेकिन इसका उपयोग सड़कों के निर्माण में किया जा रहा है, जो नियमों के खिलाफ है।
टाइड ग्रांट से यात्री प्रतीक्षालय, पेयजल व्यवस्था, हैंडपंप री-बोर आदि कार्य कराए जाने चाहिए, पर वहां भी भारी अनियमितता देखी जा रही है।
मानिकपुर ब्लॉक: भ्रष्टाचार का हॉटस्पॉट
ब्लॉक मानिकपुर की स्थिति सबसे गंभीर बताई जा रही है। यहां इंटरलॉकिंग खड़ंजा, सीसी रोड और ब्लॉक परिसर में डामरीकरण जैसे कार्य शासन की गाइडलाइन की अनदेखी करते हुए कराए गए हैं।
चर गांव में वाल्मीकि नदी पर बना रपटा पहले ही दरारें छोड़ने लगा है, जिससे निर्माण की गुणवत्ता पर सवाल उठ रहे हैं।
वहीं बरदहा नदी में कराए गए रपटा निर्माण और कर्वी-मानिकपुर मार्ग पर बन रहे नाले में भी स्थानीय खनिज सामग्री का अवैध उपयोग सामने आया है।
तालाबों और अमृत सरोवरों की बदहाली
तालाबों के जीर्णोद्धार, गहरीकरण और अमृत सरोवर योजना में भी जमकर खेल हुआ है। कई तालाबों के विकास कार्यों के नाम पर सरकारी धन तो खर्च हुआ, लेकिन आज भी वे बदहाल हैं। इन कार्यों में मानक की अनदेखी और निर्माण सामग्रियों की गुणवत्ता पर ध्यान न देना गंभीर लापरवाही को दर्शाता है।
प्रशासनिक चुप्पी और सरकार के दावों पर सवाल
एक ओर सरकार जीरो टॉलरेंस की नीति का दावा करती है, वहीं दूसरी ओर ज़मीनी हकीकत इसके उलट है। संबंधित विभागों और जनप्रतिनिधियों द्वारा खुलेआम नियमों को तोड़ा जा रहा है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों की चुप्पी कई सवाल खड़े करती है।
क्या होगी निष्पक्ष जांच और कार्यवाही?
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर कब इन भ्रष्टाचारियों पर शिकंजा कसेगा? कब विकास कार्यों की आड़ में सरकारी धन की लूट करने वालों पर जांच होगी?
चित्रकूट की जनता यह जानना चाहती है कि विकास की योजनाएं वास्तव में धरातल पर उतरेंगी या यह सब महज दिखावा बनकर रह जाएगा?
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अगले अंक में: विकास योजनाओं की आड़ में भ्रष्टाचार के और खुलासे…