Sunday, July 20, 2025
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‘बेबस नहीं, सुरक्षित हैं हमारे गौवंश’! छीबों गौशाला पर फैलाए जा रहे झूठ से उठता एक बड़ा सवाल

चित्रकूट(रामनगर)। रामनगर विकासखंड की ग्राम पंचायत छीबों स्थित गौवंश विहार को लेकर इन दिनों सोशल मीडिया पर अफवाहों का बाजार गर्म है। कुछ अराजकतत्वों द्वारा गौशाला के संबंध में भ्रामक खबरें फैलाई जा रही हैं, जिनमें गौवंशों को मृत दिखाकर गलत तस्वीरें वायरल की जा रही हैं। लेकिन जब जमीनी सच्चाई की पड़ताल की गई, तो तस्वीर बिल्कुल अलग निकली।

जीत आपकी – चलो गांव की ओर” जागरूकता अभियान के संस्थापक संजय सिंह राणा जब स्वयं मौके पर पहुंचे, तो गौशाला की स्थिति देखकर हैरान रह गए।

गौशाला में गौवंशों के लिए भूसे, पानी, चारे और साफ-सफाई की समुचित व्यवस्था पाई गई। चरहियों में भूसा भरा हुआ था, और पानी की टंकियों से निरंतर आपूर्ति हो रही थी। पशुओं के रखरखाव में किसी भी प्रकार की लापरवाही नहीं दिखी।

ग्राम प्रधान अनिल कुमार मिश्रा ने क्या कहा?

जब इस पूरे मामले पर छीबों के ग्राम प्रधान अनिल कुमार मिश्रा से बात की गई तो उन्होंने बताया,

“हमारे गांव में पहले गौवंशों के लिए कोई ठोस व्यवस्था नहीं थी, लेकिन 2019 में गौवंश विहार की स्थापना के बाद से लगभग साढ़े चार सौ गौवंशों की समुचित देखभाल की जा रही है। कुछ असामाजिक तत्व जानबूझकर जिंदा गायों की तस्वीरों को मृत बताकर वायरल कर रहे हैं।”

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जो पत्रकार सोशल मीडिया पर खबरें चला रहे हैं, उन्होंने कभी भी गौशाला का दौरा नहीं किया, और न ही इस बारे में उनसे कोई जानकारी ली गई।

“बिना पुष्टि किए खबरें वायरल करना सरासर गैर-जिम्मेदाराना और षड्यंत्रकारी है।”

पशु चिकित्सा अधिकारी भी रखते हैं नियमित निगरानी

ग्राम प्रधान ने जानकारी दी कि गौशाला में नियुक्त पशु चिकित्सा अधिकारी समय-समय पर निरीक्षण करते हैं और पशुओं की सेहत पर नज़र रखते हैं। जिन गौवंशों को मृत बताया जा रहा है, वे पूरी तरह स्वस्थ और जीवित हैं।

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सोशल मीडिया पर फैल रही अफवाहों की प्रशासन करेगा जांच

सोशल मीडिया पर वायरल हो रही झूठी खबरों को गंभीरता से लेते हुए जिला प्रशासन ने मामले की जांच शुरू कर दी है। जो भी सच्चाई होगी, वह जल्द ही सामने आ जाएगी। साथ ही यह भी जांच की जाएगी कि किन लोगों द्वारा यह अफवाहें फैलाई गईं और उनके पीछे क्या मंशा थी।

सवाल उठता है: क्या अब भी बिना सत्यापन के खबरें चलाना जायज़ है?

यह मामला एक बार फिर इस बात की ओर इशारा करता है कि डिजिटल युग में बिना तथ्यों की जांच किए खबरें वायरल करना किस कदर नुकसानदेह हो सकता है। खासकर तब, जब इसका उद्देश्य किसी की छवि को धूमिल करना हो।

अंततः, सवाल यह है कि क्या प्रशासन ऐसे मामलों में सख्त कदम उठाएगा या कुछ लोगों को बेबुनियाद खबरों के जरिए ग्राम प्रधानों और व्यवस्थाओं को बदनाम करने की खुली छूट मिलती रहेगी?

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➡️: संजय सिंह राणा की रिपोर्ट

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