Monday, July 21, 2025
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प्रसूता की मौत की कीमत 6 लाख रुपए , आरोप—मुआवज़े के बदले दबाव डाल रहे खादीधारी और बिचौलिए

देवरिया,रुद्रपुर के सेमरौना पुल के पास एक निजी अस्पताल में ऑपरेशन के दौरान प्रसूता की संदिग्ध मौत का मामला सामने आया है। परिजन न्याय की मांग कर रहे हैं, वहीं कुछ प्रभावशाली लोग मामले को दबाने की कोशिश में लगे हैं।

रुद्रपुर(उत्तर प्रदेश)। सेमरौना पुल के पास मलह टोली वार्ड में स्थित एक निजी अस्पताल में ऑपरेशन के दौरान एक प्रसूता की संदिग्ध मौत का मामला सामने आया है। इस घटना से पूरे क्षेत्र में हड़कंप मच गया है। मृतका के परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही से ऑपरेशन करने और मामले को छुपाने का गंभीर आरोप लगाया है।

सबसे पहले, पीड़ित परिवार ने बताया कि कस्बा चौहट्टा वार्ड निवासी कुश राजभर की बेटी सुनैना को वार्ड की ही एक आशा कार्यकर्ता बहला-फुसलाकर अस्पताल ले गई थी। शनिवार रात ऑपरेशन के बाद सुनैना ने एक पुत्र को जन्म दिया, लेकिन इसके कुछ ही देर बाद उसकी मौत हो गई।

इसके बाद, सुनैना के पिता और पति ने अस्पताल प्रशासन पर जानबूझकर गलत तरीके से ऑपरेशन करने का आरोप लगाया। मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम कराया। वहीं, अस्पताल संचालक मौके से फरार हो गया और अस्पताल में ताला लगा दिया गया।

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दिलचस्प बात यह है कि, पीड़ित परिवार का दावा है कि कुछ खादीधारी और विभागीय बिचौलिए इस मामले को रफा-दफा करने में जुटे हैं। उन्होंने सुनैना के पिता कुश राजभर को छह लाख रुपये की पेशकश कर केस न दर्ज कराने का दबाव डाला है। कुश ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि उसे रुपये नहीं, बल्कि अपनी बेटी की मौत पर न्याय चाहिए।

इसके अतिरिक्त, कुश ने यह भी आरोप लगाया कि एक स्थानीय नेता और अस्पताल का कर्मचारी उसके दामाद को भी रुपये देकर चुप कराने का प्रयास कर रहे हैं। इससे पूरा परिवार मानसिक दबाव में है।

प्रभारी निरीक्षक रतन कुमार पांडेय ने बताया कि शव का पोस्टमार्टम कराया जा चुका है और स्वास्थ्य विभाग की ओर से जांच समिति गठित की गई है। जांच रिपोर्ट और पीड़ित पक्ष की तहरीर के आधार पर पुलिस आगे की कार्रवाई करेगी।

निष्कर्षतः, यह मामला केवल चिकित्सा लापरवाही का ही नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार और प्रभावशाली लोगों की दखलंदाजी का भी प्रतीक बन गया है। पीड़ित परिवार जहां न्याय की मांग कर रहा है, वहीं कुछ लोग मामले को दबाने की कोशिश कर रहे हैं। अब देखना यह है कि प्रशासन दोषियों को कब तक न्याय के कटघरे में लाता है।

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➡️अर्जुन कुमार वर्मा की रिपोर्ट

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