Monday, July 21, 2025
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सूखा पड़ा, कर्ज़ बढ़ा, और सरकार खामोश – बुंदेलखंड के किसान की कडवी सच्चाई

उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में स्थित बांदा जिला पिछले पांच वर्षों में कृषि और किसानों की दृष्टि से कई चुनौतियों और प्रयासों का साक्षी रहा है। यहां की कृषि मुख्यतः मानसून पर निर्भर है, जिससे सूखा, जलवायु परिवर्तन और ऋण जैसी समस्याएं किसानों के लिए गंभीर बनी हुई हैं।

मुख्य चुनौतियाँ

1. कर्ज़ का बोझ: चित्रकूट मंडल (जिसमें बांदा भी शामिल है) के चार लाख किसानों पर लगभग ₹80,000 करोड़ का कर्ज़ है। कई किसान ऋण माफी की मांग कर रहे हैं, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति की गंभीरता स्पष्ट होती है।

2. सिंचाई और जल संकट: बांदा में सिंचाई की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। कई क्षेत्रों में किसान वर्षा जल पर निर्भर हैं, जिससे सूखे के समय फसलें प्रभावित होती हैं।

3. जलवायु परिवर्तन का प्रभाव: बांदा कृषि विश्वविद्यालय के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के कारण फसलों की उत्पादकता में कमी आ रही है। इसके समाधान हेतु ‘निकरा’ परियोजना के तहत जलवायु अनुकूल कृषि तकनीकों को बढ़ावा दिया जा रहा है।

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सरकारी प्रयास और पहल

1. प्राकृतिक खेती को बढ़ावा: बांदा कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय द्वारा गौ आधारित प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इससे किसानों की लागत कम हो रही है और मृदा की गुणवत्ता में सुधार हो रहा है।

2. कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम: कृषि विज्ञान केंद्र, बांदा द्वारा किसानों को प्राकृतिक खेती, मृदा स्वास्थ्य और जल संरक्षण पर प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिससे वे आधुनिक और टिकाऊ कृषि तकनीकों को अपना सकें।

3. जलवायु जागरूकता अभियान: ‘निकरा’ परियोजना के तहत किसानों को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से अवगत कराया जा रहा है और उन्हें अनुकूल कृषि तकनीकों के बारे में जानकारी दी जा रही है।

किसानों की आवाज़

स्थानीय किसान शत्रुघ्न यादव के अनुसार, “प्राकृतिक खेती में एक देसी गाय से 30 एकड़ तक की खेती की जा सकती है। इससे लागत कम होती है और उत्पाद की गुणवत्ता बढ़ती है।”

बांदा जिले के किसान पिछले पांच वर्षों में कई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, लेकिन सरकारी प्रयासों और किसानों की मेहनत से स्थिति में सुधार की संभावनाएं हैं। प्राकृतिक खेती, जलवायु अनुकूल तकनीकों और प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से किसानों को सशक्त बनाया जा रहा है। यदि इन प्रयासों को और प्रभावी ढंग से लागू किया जाए, तो बांदा की कृषि में सकारात्मक परिवर्तन संभव है।

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➡️संतोष कुमार सोनी के साथ सुशील मिश्रा की खास रिपोर्ट

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