Monday, July 21, 2025
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शाम को आएगी बारात, लेकिन दुल्हन बैठी धरने पर ? वजह प्रेरणास्पद है, लेकिन हैरान कर देगी

बागपत की एक दुल्हन शादी से पहले पिता की ज़मीन बचाने के लिए धरने पर बैठ गई। दिल्ली-देहरादून इकोनॉमिक कॉरिडोर के लिए अधिग्रहण हो रही ज़मीन को लेकर उठे इस मामले ने पूरे गांव का ध्यान खींचा है।

बागपत, उत्तर प्रदेश। उत्तर प्रदेश के बागपत जिले से एक अनोखा और प्रेरणादायक मामला सामने आया है, जहां एक बेटी ने अपनी शादी से ठीक पहले अपने पिता की ज़मीन बचाने के लिए धरना दे दिया। यह मामला बड़ौत कोतवाली क्षेत्र के बिजरौल-जलालपुर गांव का है, जहां वंशिका नामक युवती ने अपने हाथों में मेहंदी लगाए हुए सड़क पर बैठकर शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया।

दिल्ली-देहरादून इकोनॉमिक कॉरिडोर बना विवाद की वजह

दरअसल, सरकार दिल्ली-देहरादून इकोनॉमिक कॉरिडोर के निर्माण के लिए ज़मीन अधिग्रहण कर रही है। वंशिका के परिवार का कहना है कि वे पहले ही पांच एकड़ ज़मीन इस परियोजना के लिए दे चुके हैं। बावजूद इसके, अब सरकार उनकी बची हुई एक बीघा ज़मीन भी अधिग्रहित करना चाहती है, जिस पर इस समय गेहूं की फसल खड़ी है।

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दुल्हन का दो टूक ऐलान – “ज़मीन नहीं जाएगी!”

वंशिका ने स्पष्ट रूप से कहा कि वह शादी जरूर करेंगी, लेकिन अपने पिता की ज़मीन गंवा कर नहीं। उनका यह साहसिक कदम न केवल परिवार, बल्कि पूरे गांव के लिए गर्व का विषय बन गया है। शादी से एक दिन पहले, जब अधिकांश लड़कियां सजने-संवरने में व्यस्त होती हैं, वंशिका प्रशासन से न्याय की गुहार लगा रही थीं।

प्रशासनिक अधिकारियों को लौटना पड़ा खाली हाथ

जैसे ही अधिकारियों को इस धरने की जानकारी मिली, वे मौके पर पहुंचे और वंशिका को समझाने की कोशिश की। हालांकि, गांव वालों और वंशिका के तीखे विरोध के कारण उन्हें बैरंग लौटना पड़ा। गांव वालों का कहना है कि सरकार पहले ही बहुत ज़मीन ले चुकी है, अब जो बचा है, उसे भी छीनना न्यायसंगत नहीं है।

गांव में बनी चर्चा का विषय

वंशिका का यह कदम गांव में चर्चा का विषय बना हुआ है। लोग उसकी सराहना कर रहे हैं और उसके साहस को सलाम कर रहे हैं। वंशिका का कहना है कि जब तक उन्हें न्याय नहीं मिलेगा, वे धरने से नहीं उठेंगी।

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इस घटना ने यह साबित कर दिया कि ज़मीन से जुड़ी संवेदनाएं केवल पुरुषों की नहीं होतीं, बेटियां भी अपने हक के लिए खड़ी हो सकती हैं। वंशिका की यह लड़ाई न सिर्फ ज़मीन के लिए है, बल्कि यह एक संदेश है कि न्याय के लिए आवाज़ उठाना हर नागरिक का अधिकार है।

➡️ ठाकुर बख्श सिंह की रिपोर्ट

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