Monday, July 21, 2025
spot_img

विद्या के नाम पर व्यापार, किताबें बिक रहीं, मिड डे मील गायब – चित्रकूट में शिक्षा का संकट गहराया!

उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिले में शिक्षा व्यवस्था की पोल खुली – स्कूलों में शिक्षकों की लापरवाही, मिड डे मील में गड़बड़ी, निजी स्कूलों की अवैध वसूली और सरकारी किताबों की कालाबाज़ारी से जूझते अभिभावक। पढ़ें पूरी पड़ताल।

सरकारी स्कूलों में “भवन” तो है, पर “शिक्षा” नहीं

चित्रकूट के दर्जनों स्कूल ऐसे हैं जहाँ इमारतें तो मौजूद हैं, पर उनमें न तो पर्याप्त शिक्षक हैं, न पढ़ाई का माहौल। कुछ जगहों पर एक ही शिक्षक पूरे विद्यालय का संचालन कर रहा है। बच्चों की पढ़ाई से अधिक ध्यान उपस्थिति रजिस्टर भरने और मिड डे मील के नाम पर खानापूर्ति पर दिया जा रहा है।

उदाहरण: मऊ ब्लॉक के एक प्राथमिक विद्यालय में निरीक्षण के दौरान पाया गया कि कुल 60 नामांकित बच्चों में से मात्र 12 उपस्थित थे, और शिक्षक स्कूल की बजाय पंचायत भवन में बैठे थे।

उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिले में शिक्षा प्रणाली से जुड़ी कई गंभीर समस्याएं सामने आई हैं, जो छात्रों, अभिभावकों और समाज के लिए चिंता का विषय हैं। इन मुद्दों में सरकारी स्कूलों में अनियमितताएं, शिक्षकों की लापरवाही, मिड डे मील में गड़बड़ी, निजी स्कूलों द्वारा अवैध वसूली, और सरकारी किताबों की चोरी जैसी घटनाएं शामिल हैं।

Read  जब मां की ममता और मजबूरी आमने-सामने हो गई — वायरल वीडियो ने दिल तोड़ दिया

सरकारी स्कूलों में अनियमितताएं और लापरवाही

चित्रकूट जिले के मऊ तहसील के चकौर गांव में आयोजित एक चौपाल में ग्रामीणों ने सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की गैरहाजिरी और मिड डे मील में गड़बड़ी की शिकायतें दर्ज कराईं। जांच के बाद, प्राथमिक विद्यालय कलारन पुरवा के प्रधानाध्यापक संतोष पाण्डेय को लगातार अनुपस्थिति और उपस्थिति रजिस्टर में हेराफेरी के कारण निलंबित किया गया। इसी तरह, प्राथमिक विद्यालय चकौर के प्रधानाध्यापक रमा शंकर यादव का वेतन मिड डे मील में गड़बड़ी के आरोप में रोका गया ।

इसके अलावा, बीएसए बीके शर्मा द्वारा किए गए औचक निरीक्षण में कई विद्यालयों में बच्चों की कम उपस्थिति और शैक्षिक गुणवत्ता की कमी पाई गई। इस पर चार प्रधानाध्यापकों का वेतन रोकते हुए तीन दिन में स्पष्टीकरण मांगा गया ।

शिक्षकों की समस्याएं और सरकारी उपेक्षा

दिव्यांग राज्य विश्वविद्यालय में आयोजित माध्यमिक शिक्षक कल्याण एसोसिएशन के अधिवेशन में शिक्षकों ने वर्तमान शिक्षा प्रणाली की समस्याओं पर चर्चा की। उन्होंने सरकार पर बेरोजगारी बढ़ाने और शिक्षकों की समस्याओं की अनदेखी करने का आरोप लगाया। शिक्षकों ने वेतन विसंगतियों, स्थायी नियुक्तियों की कमी, और पेंशन जैसी सुविधाओं की मांग की ।

Read  जब सिस्टम ने मुँह मोड़ा, तो जलने को मजबूर हुआ बेटा… डीएम ऑफिस के बाहर आत्मदाह की कोशिश
सरकारी किताबों की चोरी और बिक्री

सरकारी स्कूलों में वितरित की जाने वाली मुफ्त किताबें भी सुरक्षित नहीं हैं। हाल ही में पकड़ी गई वैन इस बात की मिसाल है कि किस तरह से पुरानी या बची हुई किताबों को बेचने का रैकेट काम कर रहा है। ये किताबें निजी दुकानों तक पहुँचती हैं, जहाँ उन्हें मनमाने दामों पर बेचा जाता है।

मऊ तहसील के कंपोजिट विद्यालय हरदी कलां में सरकारी स्कूल की पुरानी किताबों से लदी वैन को ग्रामीणों ने पकड़ा। ग्रामीणों का आरोप था कि इन किताबों को बेचने के लिए ले जाया जा रहा था। खंड शिक्षाधिकारी ने मौके पर पहुंचकर किताबों को सील कर दिया और बेसिक शिक्षाधिकारी को रिपोर्ट भेजी ।

प्रशासनिक प्रयास और सुधार की पहल

इन समस्याओं के समाधान के लिए प्रशासनिक स्तर पर भी प्रयास किए गए हैं। चित्रकूट के जिलाधिकारी अभिषेक आनंद को स्कूलों के बुनियादी ढांचे में सुधार और छात्रों तथा शिक्षकों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री द्वारा पुरस्कृत किया गया। उन्होंने ग्राम पंचायतों, क्षेत्र पंचायतों, जिला खनिज निधि, नीति आयोग, सांसदों, विधायकों और सीएसआर फंड से 320 स्कूलों में सुधार कार्य किए ।

Read  जगन्नाथ की 'बहुदा यात्रा' में उमड़ा उज्ज्वल नगर, परिसर, ‘जय जगन्नाथ’ के जयघोष से गूंज उठा

इसके अलावा, मुख्य विकास अधिकारी की अध्यक्षता में जिला शिक्षा एवं अनुश्रवण समिति की बैठक में विद्यालयों की सुविधाओं और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के निर्देश दिए गए। उन्होंने बीईओ को विद्यालयों की व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने का आदेश दिया और निरीक्षण में कमियां मिलने पर कार्यवाही की चेतावनी दी ।

निजी स्कूल: शिक्षा नहीं, शोषण का अड्डा

चित्रकूट के कई निजी स्कूलों ने शिक्षा को पूरी तरह से एक बिजनेस मॉडल में बदल दिया है। हर साल नए प्रकाशनों की किताबें, ब्रांडेड यूनिफॉर्म, बंधी हुई दुकानों से खरीदारी की बाध्यता — ये सब मिलकर अभिभावकों की कमर तोड़ रहे हैं। जिनके पास विकल्प नहीं है, वे कर्ज लेकर बच्चों की फीस भर रहे हैं।

चित्रकूट जिले में शिक्षा प्रणाली से जुड़े इन मुद्दों को गंभीरता से लेने की आवश्यकता है। सरकारी और निजी दोनों स्तरों पर हो रही अनियमितताओं, लापरवाहियों और अवैध वसूली के खिलाफ सख्त कदम उठाने की जरूरत है, ताकि छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और सुविधाएं मिल सकें। प्रशासन द्वारा किए जा रहे सुधार प्रयासों को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए समाज के सभी वर्गों का सहयोग आवश्यक है।

➡️संजय सिंह राणा की रिपोर्ट

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

0FansLike
0FollowersFollow
22,400SubscribersSubscribe

न्यूज़ पोर्टल को गैरकानूनी बताना कानून की अवहेलना है—पढ़िए सच्चाई

जगदंबा उपाध्याय की खास रिपोर्ट हाल के दिनों में एक भ्रामक और तथ्यविहीन खबर सोशल मीडिया, व्हाट्सएप और कुछ पोर्टलों पर बड़ी तेजी से फैल...

बड़े शहरों जैसी सुविधाएं अब ग्रामीण बच्चों के लिए भी सुलभ… ग्राम प्रधान की दूरदर्शी सोच से शिक्षा को मिला नया आयाम…

✍ संजय सिंह राणा की रिपोर्ट ग्राम पंचायत रैपुरा (चित्रकूट) में निःशुल्क डिजिटल लाइब्रेरी की स्थापना से शिक्षा का नया युग शुरू हो चुका है।...
- Advertisement -spot_img
spot_img

डिजिटल जाल में फंसा इंसान: जब एक वीडियो कॉल आपकी ज़िंदगी बदल देता है

चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट 21वीं सदी का इंसान जितना आगे तकनीक में बढ़ रहा है, उतनी ही तेजी से उसके जीवन में खतरे भी गहराते...

स्कूल बंद करने के फैसले के खिलाफ आम आदमी पार्टी का हल्ला बोल, बच्चों-अभिभावकों संग गेट पर धरना

आजमगढ़ में आम आदमी पार्टी का शिक्षा बचाओ आंदोलन तेज, प्राथमिक विद्यालय पल्हनी को बंद करने के फैसले के विरोध में बच्चों-अभिभावकों संग जोरदार...