Monday, July 21, 2025
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एसडीएम की पहल बनी नज़ीर : बेटी का दाखिला सरकारी स्कूल में कर अफसर ने दिखाया सिस्टम पर भरोसा

एसडीएम सौरभ यादव ने बेटी का दाखिला मऊ के छिवलहा इंग्लिश मीडियम सरकारी स्कूल में कर पेश की नज़ीर। जानिए कैसे यह स्कूल बना शिक्षा का नया मॉडल।

मऊ,चित्रकूट। आज के समय में जब अधिकतर अभिभावक अपने बच्चों के लिए निजी स्कूलों को ही प्राथमिकता देते हैं, मऊ तहसील के एसडीएम सौरभ यादव ने एक सराहनीय पहल करते हुए अपनी बेटी आद्या का दाखिला छिवलहा इंग्लिश मीडियम-प्रथम सरकारी विद्यालय में कराया है। यह कदम समाज में एक सकारात्मक संदेश भेजता है कि सरकारी स्कूल भी अब गुणवत्ता और अनुशासन में किसी से कम नहीं हैं।

सरकारी स्कूल में क्यों कराया दाखिला?

एसडीएम सौरभ यादव ने बताया कि उन्होंने इस विद्यालय का कई बार निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान उन्हें स्कूल का वातावरण, पढ़ाई का स्तर और अनुशासन काफी बेहतर लगा। उन्होंने महसूस किया कि इस स्कूल में वह सब कुछ मौजूद है जो किसी भी अच्छे निजी स्कूल में होता है – और वह भी बेहद कम फीस में।

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स्कूल की विशेषताएं

अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई, बेहतर अनुशासन और वातावरण, न्यूनतम फीस स्ट्रक्चर, गांवों से आने वाले बच्चों की बढ़ती संख्या, 200 से अधिक छात्रों का नामांकन।

प्रधानाध्यापक पवन जायसवाल के अनुसार, इस समय स्कूल में 200 से अधिक छात्र पढ़ाई कर रहे हैं। छह किलोमीटर दूर तक के गांवों से छात्र इस स्कूल में पढ़ने आते हैं। यह प्रमाण है कि यह स्कूल शिक्षा के क्षेत्र में एक नया मानक स्थापित कर रहा है।

समाज में संदेश

इस कदम से समाज को यह संदेश मिलता है कि सरकारी स्कूलों में भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जा सकती है – बशर्ते अधिकारी, शिक्षक और अभिभावक मिलकर प्रयास करें।

बीईओ केडी पांडेय और रामनगर बीईओ का कहना है कि इस तरह की पहल से अन्य अधिकारी और आम नागरिक भी प्रेरित होंगे। इससे सरकारी स्कूलों में भरोसा और नामांकन दोनों बढ़ेंगे।

एसडीएम का बयान

 “हर अभिभावक अपने बच्चे को बेहतर शिक्षा देना चाहता है। मैंने इस स्कूल का माहौल देखा, जो बेहतर लगा। इसीलिए बेटी को इसमें दाखिला दिलवाया। यह कोई बड़ी बात नहीं है, बल्कि एक सहज निर्णय है।”

सौरभ यादव, एसडीएम, मऊ (चित्रकूट)

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एसडीएम द्वारा लिया गया यह फैसला न केवल व्यक्तिगत स्तर पर महत्वपूर्ण है, बल्कि यह शैक्षिक व्यवस्था में विश्वास का प्रतीक भी है। यह उदाहरण दर्शाता है कि अगर सरकारी स्कूलों को सही दिशा और संसाधन मिलें, तो वे भी उत्कृष्ट शिक्षा दे सकते हैं।

➡️संजय सिंह राणा की रिपोर्ट

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