Monday, July 21, 2025
spot_img

उत्तर प्रदेश 2027: 80-20 बनाम 90-10 की सियासी जंग, किसका फॉर्मूला पड़ेगा भारी?

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2027 की सियासी बिसात अभी से बिछाई जा रही है। सीएम योगी के 80-20 बनाम अखिलेश यादव के 90-10 फॉर्मूले की जंग में किसका पलड़ा भारी पड़ेगा? पढ़ें पूरी रिपोर्ट।

उत्तर प्रदेश की राजनीति एक बार फिर करवट लेने लगी है। 2027 विधानसभा चुनाव भले ही दूर हो, लेकिन सियासी गलियारों में हलचल अभी से तेज हो चुकी है। जहां एक ओर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने पुराने और आजमाए हुए ’80-20′ फॉर्मूले को फिर से धार दे रहे हैं, वहीं समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने इसके जवाब में नया ’90-10′ का कार्ड खेल दिया है।

बहरहाल, यह देखना दिलचस्प होगा कि यह चुनाव धार्मिक ध्रुवीकरण की दिशा लेता है या जातिगत गोलबंदी की राह पकड़ता है।

योगी आदित्यनाथ का ’80-20′ फॉर्मूला फिर से एक्टिव

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक बार फिर अपने चिर-परिचित हिंदुत्व के एजेंडे को हवा दे दी है। उनका कहना है कि यूपी में 80 फीसदी जनता ऐसी है जो बीजेपी और उसके विकास कार्यों को पसंद करती है, जबकि बाकी 20 फीसदी स्वार्थ की राजनीति करने वालों के साथ है।

Read  सपा की मासिक बैठक में एकजुटता का नया संदेश, नए नेताओं का स्वागत और भाजपा पर जमकर बरसे हवलदार यादव

इस बयान को स्पष्ट रूप से सांप्रदायिक आधार पर देखा जा रहा है, जहां 80 फीसदी हिंदू जनसंख्या बनाम 20 फीसदी मुस्लिम आबादी की राजनीतिक ध्रुवीकरण की रणनीति सामने आती है। गौरतलब है कि, योगी इस फॉर्मूले के जरिए जातीय विभाजन को दरकिनार करते हुए एक समग्र हिंदू पहचान को गढ़ने की कोशिश कर रहे हैं।

बीते उपचुनावों और विधानसभा चुनाव 2022 में भी इसी रणनीति ने भाजपा को बड़ा फायदा दिलाया था। तब बीजेपी को 255 सीटें मिली थीं, जबकि सपा को 111 सीटों पर संतोष करना पड़ा था। इसी सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए, योगी 2027 में भी इसी एजेंडे पर टिके रहने के संकेत दे चुके हैं।

अखिलेश यादव का ’90-10′ फॉर्मूला: जातियों का संगठित समीकरण

दूसरी ओर, सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने योगी के 80-20 नैरेटिव को खारिज करते हुए नया समीकरण पेश किया है—90 बनाम 10। अखिलेश का दावा है कि 90 फीसदी आबादी अब बीजेपी के खिलाफ खड़ी हो चुकी है।

Read  2027 चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी में बड़ा फेरबदल, अखिलेश यादव का निर्णायक कदम

खास बात यह है कि, यह 90 फीसदी वह तबका है जो पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक और महिलाएं हैं—जिसे पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) के नाम से सपा प्रचारित कर रही है। इसके साथ ही, सपा अब ब्राह्मण, ठाकुर और वैश्य जैसे सवर्ण वोटबैंक में भी सेंध लगाने की रणनीति बना रही है, जो परंपरागत रूप से बीजेपी के साथ रहा है।

अखिलेश यादव ने ऐलान किया है कि 8 से 14 अप्रैल के बीच अंबेडकर जयंती सप्ताह के तहत ‘स्वाभिमान-सम्मान समारोह’ का आयोजन सपा के दलित संगठन मिलकर करेंगे। इसका उद्देश्य साफ है—दलित समुदाय को बीजेपी से छीनकर सपा के पक्ष में खड़ा करना।

जातिगत बनाम धार्मिक ध्रुवीकरण: कौन बनेगा बादशाह?

यदि आंकड़ों की बात करें तो उत्तर प्रदेश में लगभग 43 फीसदी पिछड़े, 21 फीसदी दलित और करीब 19 फीसदी मुस्लिम आबादी है। यानी कुल मिलाकर करीब 85 फीसदी जनता वह है, जिसे सपा अपने साथ मानकर चल रही है। वहीं, सवर्ण आबादी लगभग 15 फीसदी है, जिसमें ब्राह्मण (8%), ठाकुर (4%) और वैश्य (2-3%) शामिल हैं।

Read  “डबल इंजन की सरकार नहीं, ईंधन की तलाश में इंजन लगे हैं" — अखिलेश यादव का भाजपा पर करारा वार

इस पृष्ठभूमि में, जहां बीजेपी हिंदुत्व की एकजुटता को हवा दे रही है, वहीं सपा जातिगत समीकरणों के जरिए सत्ता की चाबी ढूंढ रही है। सियासी विश्लेषकों की मानें तो 2027 का चुनाव पूरी तरह से जातीय आधार पर लड़ा जाएगा।

कौन रहेगा भारी?

उत्तर प्रदेश की राजनीति में 2027 की लड़ाई केवल सीटों की नहीं, बल्कि दो विचारधाराओं की भी है। योगी आदित्यनाथ जहां धार्मिक पहचान को एकजुट करने में लगे हैं, वहीं अखिलेश यादव सामाजिक न्याय और जातीय समरसता की बात कर रहे हैं।

अब यह देखना बाकी है कि, यूपी की जनता किस नैरेटिव को स्वीकारती है—धर्म आधारित 80-20 या जाति आधारित 90-10?

➡️अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

0FansLike
0FollowersFollow
22,400SubscribersSubscribe

न्यूज़ पोर्टल को गैरकानूनी बताना कानून की अवहेलना है—पढ़िए सच्चाई

जगदंबा उपाध्याय की खास रिपोर्ट हाल के दिनों में एक भ्रामक और तथ्यविहीन खबर सोशल मीडिया, व्हाट्सएप और कुछ पोर्टलों पर बड़ी तेजी से फैल...

बड़े शहरों जैसी सुविधाएं अब ग्रामीण बच्चों के लिए भी सुलभ… ग्राम प्रधान की दूरदर्शी सोच से शिक्षा को मिला नया आयाम…

✍ संजय सिंह राणा की रिपोर्ट ग्राम पंचायत रैपुरा (चित्रकूट) में निःशुल्क डिजिटल लाइब्रेरी की स्थापना से शिक्षा का नया युग शुरू हो चुका है।...
- Advertisement -spot_img
spot_img

डिजिटल जाल में फंसा इंसान: जब एक वीडियो कॉल आपकी ज़िंदगी बदल देता है

चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट 21वीं सदी का इंसान जितना आगे तकनीक में बढ़ रहा है, उतनी ही तेजी से उसके जीवन में खतरे भी गहराते...

स्कूल बंद करने के फैसले के खिलाफ आम आदमी पार्टी का हल्ला बोल, बच्चों-अभिभावकों संग गेट पर धरना

आजमगढ़ में आम आदमी पार्टी का शिक्षा बचाओ आंदोलन तेज, प्राथमिक विद्यालय पल्हनी को बंद करने के फैसले के विरोध में बच्चों-अभिभावकों संग जोरदार...