🧾चित्रकूट में दलाल बेनी माधव पटेल द्वारा खेत तालाब योजना समेत कई सरकारी योजनाओं में धोखाधड़ी कर करोड़ों की संपत्ति बनाने का खुलासा। पढ़िए पूरी पड़ताल, पीड़ितों के बयान और प्रशासन से उठते सवाल।
संजय सिंह राणा की रिपोर्ट
📍चित्रकूट। जिले में भूमि संरक्षण विभाग और उद्यान विभाग के नाम पर वर्षों से चल रहे घोटाले का बड़ा खुलासा हुआ है। इन विभागों में वर्षों से सक्रिय एक नामचीन दलाल बेनी माधव पटेल पर आरोप है कि उसने सरकारी योजनाओं — खासकर खेत तालाब योजना — के माध्यम से फर्जीवाड़ा और धोखाधड़ी कर करोड़ों की संपत्ति अर्जित की है।
फर्जी कागज़ात के आधार पर निकाला गया सरकारी धन
सबसे पहले, देवकली गांव के लाभार्थियों ने खुलकर आरोप लगाए हैं। चुन्नी देवी और बाबूलाल ने बताया कि खेत तालाब योजना के तहत उनके नाम पर पैसा तो निकाला गया, लेकिन जमीन पर एक इंच खुदाई भी नहीं करवाई गई। इससे यह स्पष्ट होता है कि योजना को केवल कागजों में ही पूर्ण दिखाया गया।
📅घोटाले की संभावित टाइमलाइन (संभावित घटनाक्रम का कालक्रम)
2018-2019 खेत तालाब योजना के तहत पहले लाभार्थियों का चयन शुरू हुआ। बेनी माधव पटेल ने दलाली के जरिए लाभार्थियों से संपर्क साधा।
2019-2021 बिना खुदाई के ही कागजों में योजनाओं को पूर्ण दिखाकर बड़ी मात्रा में सरकारी धन निकाला गया। कई पीड़ितों के खाते में पैसा नहीं पहुंचा।
2022 चित्रकूट और आसपास के क्षेत्रों में पटेल द्वारा की गई ज़मीनों की खरीदी शुरू हुई। ट्रक और जेसीबी की खरीद भी इसी अवधि में हुई।
2023-2024 देवकली गांव सहित कई लाभार्थियों ने मौखिक शिकायतें कीं, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई।
2025 (वर्तमान) पीड़ितों ने खुलकर मीडिया के सामने बयान दिए, मामला उजागर हुआ। जांच की मांग तेज़ हो गई।
डरे-सहमे पीड़ित और बेखौफ दलाल
पीड़ितों के अनुसार, बेनी माधव पटेल की दबंगई के चलते कई लोग अब तक चुप थे। लेकिन अब जब धीरे-धीरे पीड़ित खुलकर सामने आने लगे हैं, तो यह अनुमान लगाया जा रहा है कि ऐसे और भी कई मामले उजागर हो सकते हैं, जिनमें सरकारी योजनाओं का दुरुपयोग कर लाभार्थियों को ठगा गया।
👥 गवाहों और पीड़ितों की सूची (अभी तक सामने आए नाम)
1 चुन्नी देवी पत्नी बाबूलाल देवकली बिना खुदाई के योजना की राशि निकाली गई
2 बाबूलाल पुत्र शंभू देवकली फर्जी कागज़ात से पैसा हड़पा गया
3 अन्य 10+ लाभार्थी (नाम गोपनीय) मानिकपुर ब्लॉक तालाब खुदाई न होने के बावजूद पैसा निकालना
(नोट: कई पीड़ित अभी भी सामने आने से डर रहे हैं)
जमीन, जेसीबी और लग्ज़री संपत्तियां: आय से कहीं अधिक संपत्ति का खुलासा
सूत्रों की मानें तो बेनी माधव पटेल ने:
ट्रांसपोर्ट नगर, राष्ट्रीय राजमार्ग के पास लगभग ₹63 लाख का प्लॉट खरीदा,
उसके बाद ₹75 लाख की एक और जमीन राजकुमार पटेल और राजेश पटेल से खरीदी,
कलेक्ट्रेट रोड, सिद्धपुर, और अन्य क्षेत्रों में भी कई बीघे जमीनें उसके नाम पर हैं,
साथ ही जेसीबी, ट्रक और अन्य भारी वाहन भी मौजूद हैं।
🏠बेनी माधव पटेल की प्रमुख संपत्तियां (संलग्न चल-अचल संपत्ति का विवरण)
प्लॉट ट्रांसपोर्ट नगर (राष्ट्रीय राजमार्ग के पास) ₹63 लाख
ज़मीन बटखरा क्षेत्र में राजकुमार व राजेश पटेल से खरीदी ₹75 लाख
प्लॉट कलेक्ट्रेट रोड ₹25–30 लाख
कृषि भूमि सिद्धपुर 8-10 बीघे (अनुमानित ₹1.5 करोड़)
मशीनरी जेसीबी, ट्रक आदि ₹80 लाख+
अन्य कछार पुरवा में आवासीय भवन ₹50 लाख+
इस प्रकार, उसने योजनाओं में फर्जी दस्तावेज़ों से करोड़ों की चल-अचल संपत्ति अर्जित की, जो उसकी ज्ञात आय से कहीं अधिक है।
क्या सरकारी महकमे भी दोषी हैं?
गंभीर सवाल यह उठता है कि अगर इतने बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा हुआ है, तो भूमि संरक्षण विभाग और उद्यान विभाग के अधिकारी और कर्मचारी कैसे अनजान रहे?
स्थिति से प्रतीत होता है कि विभागीय मिलीभगत के बिना इस तरह की जालसाजी असंभव थी।
अब ज़िम्मेदारी जिला प्रशासन की
अब पूरा मामला सामने आने के बाद जनता की निगाहें जिला प्रशासन पर टिकी हैं।
क्या प्रशासन इस भ्रष्टाचार के जड़ तक जाकर कार्रवाई करेगा? या फिर एक बार फिर यह मामला भी अन्य घोटालों की तरह दबा दिया जाएगा?