Monday, July 21, 2025
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UP की सियासत में पलटवार! सर्वे में NDA ने ली बढ़त, सपा को बड़ा झटका

इंडिया टुडे और C वोटर्स के ‘मूड ऑफ द नेशन’ सर्वे में उत्तर प्रदेश की सियासी तस्वीर में बड़ा बदलाव देखने को मिला है। जानिए किसे हुआ फायदा और कौन हुआ पीछे।

संजय कुमार वर्मा की रिपोर्ट

2024 के लोकसभा चुनाव परिणामों ने सभी को चौंका दिया था। जहां एक ओर भाजपा ने 400 पार का दावा किया था, वहीं असल नतीजों में पार्टी बहुमत के आंकड़े से भी पीछे रह गई। विपक्ष ने भाजपा को 240 सीटों पर रोक दिया, जबकि उम्मीदें कहीं ज्यादा थीं।

इस चुनाव के बाद से इंडिया टुडे और C वोटर्स की ओर से दो बार ‘मूड ऑफ द नेशन पोल’ जारी किया गया है—पहला अगस्त 2024 में और दूसरा फरवरी 2025 में। इन दोनों सर्वेक्षणों में उत्तर प्रदेश की सियासी तस्वीर में बड़ा बदलाव देखने को मिला है। आइए जानते हैं, किस पार्टी का ग्राफ चढ़ा और किसे झेलनी पड़ी गिरावट।

अगस्त 2024: इंडिया गठबंधन था आगे

अगस्त में आए आंकड़ों के मुताबिक, इंडिया गठबंधन को एनडीए पर मामूली बढ़त मिलती दिखाई दी थी।

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इंडिया गठबंधन: 40 सीटें

समाजवादी पार्टी (सपा): 34

कांग्रेस: 6

एनडीए: 39 सीटें

भाजपा: 35

अपना दल (एस): 2

रालोद: 2

इन आंकड़ों से साफ था कि उस समय जनता का झुकाव इंडिया गठबंधन की ओर कुछ ज्यादा था।

फरवरी 2025: एनडीए ने फिर ली बढ़त

हाल ही में आए फरवरी 2025 के आंकड़े काफी दिलचस्प हैं। अब तस्वीर पूरी तरह बदल चुकी है।

एनडीए को 43 से 45 सीटों का अनुमान

भाजपा: 40

अपना दल व रालोद: 4 से 5

इंडिया गठबंधन को 34 से 36 सीटें

सपा: 30

कांग्रेस: 5

यानि अब अगर चुनाव होते हैं, तो भाजपा के नेतृत्व वाला एनडीए इंडिया गठबंधन पर बढ़त बना सकता है।

किसे कितना हुआ फायदा या नुकसान?

अगर तुलना करें लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों और फरवरी 2025 के सर्वे के आंकड़ों से, तो ये साफ हो जाता है कि:

सपा

2024 में 37 सीटें जीती थीं

अब 30 सीटों का अनुमान

7 सीटों का नुकसान

भाजपा

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2024 में 33 सीटें जीती थीं

अब 40 सीटों का अनुमान

7 सीटों का फायदा

कांग्रेस

पहले 6 सीटें, अब 5 का अनुमान

1 सीट का हल्का नुकसान

बदलते सर्वे आंकड़ों से साफ है कि उत्तर प्रदेश में सियासी गणित तेजी से बदल रहा है। जहां अगस्त 2024 में इंडिया गठबंधन को बढ़त दिखाई दी थी, वहीं फरवरी 2025 तक एनडीए ने बढ़त बना ली है। इससे यह भी संकेत मिलता है कि भाजपा ने बीते महीनों में अपने खोए हुए जनाधार को काफी हद तक वापस पा लिया है, जबकि सपा को अपने मजबूत गढ़ में भी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।

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