आजमगढ़ में दिव्यांग अशोक कुमार की शिकायत पर प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई करते हुए चकबंदी प्रक्रिया में रास्ता दिया और मनरेगा से खड़ंजा लगाने के निर्देश जारी किए। पढ़ें पूरी खबर।
जगदंबा उपाध्याय की रिपोर्ट
आजमगढ़। कहते हैं यदि प्रशासन संवेदनशील हो तो आम आदमी की तकलीफें भी कम हो जाती हैं। आजमगढ़ में एक ऐसा ही उदाहरण सामने आया है, जहां एक दिव्यांग की शिकायत पर जिलाधिकारी ने त्वरित संज्ञान लेते हुए उसे उसके घर तक पहुंचने के लिए पक्का रास्ता उपलब्ध कराने की प्रक्रिया शुरू करवा दी है। खास बात यह है कि अब इस रास्ते पर मनरेगा योजना के अंतर्गत खड़ंजा भी लगाया जाएगा।
दरअसल, मामला है चिरैयाकोट क्षेत्र के ग्राम कुंजी निवासी अशोक कुमार का, जो एक दिव्यांग हैं। अशोक कुमार ने 22 जुलाई 2025 को जिलाधिकारी कार्यालय में जनसुनवाई के दौरान एक प्रार्थना पत्र सौंपते हुए अपनी व्यथा व्यक्त की। उन्होंने अवगत कराया कि उनका मकान गाटा संख्या 364 पर स्थित है, लेकिन वहां तक पहुंचने के लिए कोई समुचित रास्ता नहीं है।
उन्होंने यह भी बताया कि वर्षा ऋतु में स्थिति और भी गंभीर हो जाती है, क्योंकि खेतों से होकर आने-जाने में उन्हें बहुत अधिक कठिनाई झेलनी पड़ती है। इसके अलावा, गांव में इस समय चकबंदी की प्रक्रिया भी चल रही है, जिससे समस्या और उलझी हुई थी।
जिलाधिकारी का त्वरित संज्ञान
प्रशासन की संवेदनशीलता का परिचय तब मिला, जब जिलाधिकारी ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए संबंधित चकबंदी अधिकारी को तत्काल आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश दिया।
चकबंदी अधिकारी सठियांव ने जिलाधिकारी को अवगत कराया कि प्रार्थी के घर तक जाने वाला चकमार्ग चकबंदी प्रक्रिया में प्रस्तावित है। उसी दिन मुआयना कर रास्ते की पैमाइश कराई गई और फिर नियमानुसार सीमांकन की कार्यवाही भी पूरी की गई।
खेत में बने मकान से जुड़ी जमीनी हकीकत
प्राप्त जानकारी के अनुसार, अशोक कुमार का पुराना घर गांव की आबादी में था। लेकिन लगभग दस वर्ष पूर्व उन्होंने अपने खेत में एक नया मकान बना लिया था और तब से वहीं रह रहे हैं। घर तक आने-जाने के लिए उन्हें खेत की मेढ़ से होकर गुजरना पड़ता था, जो उनके जैसे दिव्यांग व्यक्ति के लिए अत्यंत जोखिम भरा और असुविधाजनक था।
इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए प्रशासन ने आखिरकार समाधान की ओर कदम बढ़ाया और चकबंदी प्रक्रिया के अंतर्गत उन्हें 10 कड़ी (लगभग 66 फीट) का रास्ता स्वीकृत कर दिया गया।
खड़ंजा निर्माण की कार्यवाही भी शुरू
इतना ही नहीं, जिलाधिकारी ने मुख्य विकास अधिकारी को निर्देशित किया कि उक्त सीमांकित रास्ते पर जल्द से जल्द मनरेगा योजना के अंतर्गत खड़ंजा लगवाया जाए, ताकि दिव्यांग अशोक कुमार को आने-जाने में कोई असुविधा न हो।
यह कार्य न केवल एक जरूरतमंद व्यक्ति के लिए राहत का कारण बनेगा, बल्कि गांव में सार्वजनिक सहयोग और प्रशासनिक उत्तरदायित्व की मिसाल भी बनेगा।
प्रशासनिक इच्छाशक्ति का सकारात्मक उदाहरण
वर्तमान समय में जब आम नागरिकों को छोटी-छोटी समस्याओं के लिए महीनों सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ते हैं, ऐसे में आजमगढ़ का यह उदाहरण उम्मीद की किरण दिखाता है। यह घटना न केवल प्रशासन की तत्परता को दर्शाती है, बल्कि यह भी प्रमाणित करती है कि जब इच्छाशक्ति और संवेदनशीलता साथ होती हैं, तब बदलाव संभव होता है।