संजय कुमार वर्मा की रिपोर्ट
गाजियाबाद कमिश्नरेट में क्राइम ब्रांच के हेड इंस्पेक्टर को धर्मांतरण और मानव तस्करी के आरोपी छांगुर बाबा गिरोह की मदद के आरोप में सस्पेंड कर दिया गया है। यह गिरोह हिंदू युवतियों को प्रेमजाल में फंसाकर धर्मांतरण कराता और विदेश भेज देता था। जानिए पूरे नेटवर्क का पर्दाफाश।
📍 धर्मांतरण, मनी लॉन्ड्रिंग और पुलिस संरक्षण: गाजियाबाद से दुबई तक फैला साजिश का जाल
गाजियाबाद पुलिस कमिश्नरेट की क्राइम ब्रांच के निरीक्षक अब्दुर रहमान सिद्दीकी को निलंबित कर दिया गया है। उन पर आरोप है कि उन्होंने छांगुर बाबा नामक एक संगठित धर्मांतरण और मानव तस्करी गिरोह की मदद की। इस गंभीर प्रकरण की पुष्टि मेरठ पुलिस की रिपोर्ट के आधार पर हुई, जिसे ध्यान में रखते हुए पुलिस आयुक्त जे. रविंदर गौड़ ने त्वरित कार्रवाई की।
यह मामला मात्र एक सस्पेंशन नहीं, बल्कि उस गहरे और खतरनाक जाल की ओर इशारा करता है जिसमें नाबालिग और युवा हिंदू लड़कियों को पहले प्रेमजाल में फंसाया जाता, फिर धर्मांतरण के बाद विदेशों में भेज दिया जाता—बहुधा देह व्यापार या बंधुआ मज़दूरी के लिए।
🧩 कैसे जुड़ती हैं कड़ियाँ: एक बहन की चश्मदीद आपबीती
गाजियाबाद की एक पीड़िता ने बताया कि वर्ष 2019 में उसकी बहन दिल्ली में टूर एंड ट्रैवल्स का कोर्स कर रही थी, तभी उसकी मुलाकात मेरठ निवासी बदर अख्तर सिद्दीकी से हुई। बदर ने युवती को मॉडलिंग और हाई प्रोफाइल लाइफ का सपना दिखाकर उसे अपने प्रेमजाल में फंसा लिया।
धीरे-धीरे युवती का व्यवहार पूरी तरह बदल गया। वह देवी-देवताओं के नाम से नफरत करने लगी और पूजा-पाठ छोड़ दिया। 24 अक्टूबर 2019 को बदर अख्तर उसे एक परदों वाली स्कोडा कार में लेकर चला गया, फिर वह कभी घर नहीं लौटी।
🔥 सिगरेट से दागना, पासपोर्ट बनवाना और छांगुर बाबा से मुलाकात
बदर अख्तर युवती के साथ लगातार हिंसा करता था। उसके शरीर पर सिगरेट से दागे जाने के निशान थे। परिजनों को यह भी पता चला कि वह युवती को दुबई में नौकरी दिलाने के नाम पर पासपोर्ट बनवा चुका था। यह आशंका जताई जा रही है कि वह उसे किसी फर्जी पहचान पर विदेश भेज चुका है।
सबसे चौंकाने वाला मोड़ तब आया जब युवती ने “छांगुर बाबा” नाम का उल्लेख किया और कहा—”मैं अब हिंदू धर्म छोड़ दूंगी, बदर ने मुझे बाबा से मिलवाया है।”
🧠 कौन है छांगुर बाबा?
छांगुर बाबा एक ऐसा नाम है जो अब एक अंतरराज्यीय धर्मांतरण और मानव तस्करी नेटवर्क का केंद्रबिंदु बन चुका है। सूत्रों के अनुसार, छांगुर बाबा के नेतृत्व में यह गिरोह उत्तर प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, महाराष्ट्र और यहां तक कि खाड़ी देशों तक सक्रिय है।
🧾 आरोपों की श्रृंखला
- प्रेमजाल में फंसाना
- धार्मिक मानसिकता में परिवर्तन
- मारपीट, मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना
- धर्मांतरण के बाद पासपोर्ट बनवाना
- दुबई, ओमान और कतर जैसे देशों में भेजना
- देह व्यापार और बंधुआ मज़दूरी में धकेलना
📊 कितनी लड़कियां हुईं शिकार?
पीड़ित परिजनों और स्थानीय सामाजिक संगठनों के अनुसार, कम से कम 27 से अधिक लड़कियों के गायब होने की जानकारी सामने आ चुकी है। इन लड़कियों की उम्र 18 से 25 वर्ष के बीच है। इनमें से कई के परिजनों ने मेरठ, गाजियाबाद, बुलंदशहर और लखनऊ में शिकायतें भी दर्ज कराई थीं, लेकिन जांच दबा दी गई।
⚖️ इंस्पेक्टर अब्दुर रहमान की भूमिका संदिग्ध क्यों?
वर्ष 2019 में मेरठ सिविल लाइन थाने में दर्ज शिकायतों के अनुसार, इंस्पेक्टर अब्दुर रहमान ने न तो पीड़िता की कोई सुनवाई की और न ही बदर अख्तर या छांगुर बाबा से संबंधित शिकायतों पर कार्रवाई की। उल्टा, पीड़ित परिवार को ही धमकाकर थाने से भगा दिया गया।
इतना ही नहीं, वे कई संवेदनशील थानों में प्रभारी रह चुके हैं। वर्ष 2023 में 26 जनवरी के मौके पर उन्हें “उत्कृष्ट कार्य” के लिए सम्मानित भी किया गया था।
अब सवाल उठता है—क्या यह सम्मान उस चुप्पी की कीमत थी जो उन्होंने इस नेटवर्क के सामने साधी थी?
💸 कहां से आता था फंड?
सूत्र बताते हैं कि इस धर्मांतरण गिरोह को विदेशी फंडिंग, खाड़ी देशों से हवाला नेटवर्क और फर्जी एनजीओ के जरिए आर्थिक सहयोग मिलता था। विशेषकर धार्मिक पहचान के आधार पर लड़कियों को इस्लाम कबूल करवाकर उन्हें वैचारिक कट्टरता में ढाला जाता और फिर उन्हें विदेश भेजा जाता।
कुछ लड़कियों के परिजनों ने यह भी आरोप लगाए हैं कि पासपोर्ट और वीजा की प्रक्रिया में स्थानीय राजनीतिक संरक्षण और पुलिस मिलीभगत भी शामिल रही है।
🛑 क्या कहती है पुलिस?
गाजियाबाद के पुलिस कमिश्नर जे. रविंदर गौड़ ने पुष्टि की है कि मेरठ पुलिस से आए तथ्यों और जांच रिपोर्ट के आधार पर ही अब्दुर रहमान सिद्दीकी को निलंबित किया गया है। उनके खिलाफ विभागीय जांच भी जारी है।
🔍 यह केवल एक अपराध नहीं, व्यवस्था पर धब्बा है
यह मामला न केवल एक संगठित धर्मांतरण और मानव तस्करी गिरोह के अस्तित्व की ओर इशारा करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि किस प्रकार राज्य तंत्र के भीतर कुछ अधिकारी ही ऐसे गिरोहों के संरक्षक बन सकते हैं।
यदि इस मामले में निष्पक्ष और कठोर जांच नहीं हुई, तो आने वाले समय में यह रैकेट और भी गहरा और व्यापक रूप ले सकता है।
📢 समाचार दर्पण की अपील
हम सरकार और जांच एजेंसियों से मांग करते हैं कि इस मामले की CBI या NIA जैसी निष्पक्ष और उच्च स्तरीय एजेंसी से जांच कराई जाए और पीड़ित लड़कियों को न्याय, सुरक्षा और पुनर्वास सुनिश्चित किया जाए।