उत्तर भारत में वैश्विक मौसम परिवर्तन और मानसून की असामान्य चाल को ध्यान में रखते हुए, यह रिपोर्ट उत्तर प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली और पंजाब राज्यों में मौजूदा और आगामी मानसूनी गतिविधियों का विस्तृत, तथ्यों पर आधारित विश्लेषण प्रस्तुत करती है। इसमें स्थानीय मौसम के रुझान, अलर्ट, सामाजिक-आर्थिक प्रभाव, और आगामी
चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट
🌧️उत्तर प्रदेश (लखनऊ सहित) का हालात
सबसे पहले, लखनऊ में वर्तमान तापमान 36°C (96°F) है, जो कि मानसून आगमन से पहले की ग्रीष्म-मानसून संक्रमण अवधि का संकेत दे रहा है।
इसके उपरांत, आगामी 7 दिनों का पूर्वानुमान इस प्रकार है:
25–30 जून तक कई दिनों में हल्की से मध्यम बारिश के साथ तूफानी गतिविधियाँ हो सकती हैं। विशेषकर 26 और 30 जून को कुछ क्षेत्रों में तेज बूंदाबांदी और बारिश की संभावना ज़्यादा है।
इसके अतिरिक्त, राष्ट्रीय सीमाओं से सटे पूर्वी–उत्तर प्रदेश में monsoon की सीमाएं 16–21 जून के बीच सक्रिय रहीं ।
परिणामस्वरूप, किसानों को खेतों की तैयारी में मदद मिलेगी, परंतु अचानक तेज बारिश से जलभराव और ढलानों पर संभावित सेचिंग का खतरा बना रहेगा।
राजस्थान (जयपुर क्षेत्र)
दिलचस्प बात यह है कि, जून की शुरुआत में ही रायल्टी क्षेत्राबद्ध इलाके तेज मॉनसून रुझानों के संकेत दे रहे हैं। जयपुर में वर्तमान तापमान 32°C (89°F) हैं और forecasts में कई दिनों में बारिश की संभावना बनी हुई है।
विशेषकर, 96–60% से अधिक बारिश दर्ज की जाने वाली 31 जिलों में जयपुर, उदयपुर, कोटा और अजमेर प्रमुख हैं ।
18–21 जून में ठुकराने वाले तूफान/बौछारों की लहर भी चली ।
इसके परिणामस्वरूप, जून के उत्तरार्ध में तेज और बहुत भारी बारिश की चेतावनियां जारी हैं, जिससे बाढ़ और संपत्ति क्षति की आशंका बनी हुई है।
दिल्ली
हालांकि जून की शुरुआत में पलक झपकते ही thunderstorms और 96 km/hr तक की तेज हवा दर्ज की गई थी , परंतु अब स्थिति थोड़ी संतुलित दिख रही है।
अभी, दिल्ली में तापमान लगभग 33°C (91°F) के आसपास है तथा 24–30 जून के बीच कई दिनों में हल्की बारिश पूर्वानुमानित हैं।
27 और 29 जून को कुछ हिस्सों में तूफान की संभावनाएं जताई गई हैं, जो गर्मी से राहत प्रदान करेंगे पर साथ ही अव्यवस्थाएं भी ला सकते हैं।
इसके अतिरिक्त, हुड़दंग और यातायात बाधा से बचाव हेतु ‘Yellow Alert’ जारी है।
नतीजतन, राजधानीवासियों को स्वास्थ्य-और यात्रा से जुड़ी सावधानियाँ बरतनी होंगी।
पंजाब (लुधियाना)
पंजाब में मौजूदा पीक ग्रेजुएशन लगभग 38°C (100°F) रही, और बारिश की गतिविधियां 25 जून से तीव्र रूप लेने की संभावना है:
खास तौर पर, 26–30 जून के बीच लगातार हल्की से मध्यम बारिश और तूफानी गतिशीलता का पूर्वानुमान है।
इसके अतिरिक्त, मौद्रिक पूर्वानुमान के अनुसार अगले सप्ताह पंजाब में above‑normal बारिश की संभावना बनी है, जो कि लंबे दौर के औसत से 115% तक होने की उम्मीद जताई गई है ।
नतीजतन, किसानों को रबी फसलों के लिए जलस्तर सुरक्षित करने का अवसर मिलेगा, लेकिन फसलों की क्षति और जलभराव का सावधानीपूर्वक प्रबंधन आवश्यक होगा।
समग्र उत्तर भारत में मानसूनी प्रवाह
संक्षेप में, मानसूनी गतिविधि उत्तर भारत में सामान्य से पहले पहुंच चुकी है, और अधिकांश क्षेत्रों में तापमान में गिरावट और बारिश की लहरें छायी हुई हैं।
IMD का नवीनतम Yellow Alert हरियाणा में 29 जून तक लागू रहेगा, जिसमें छह से सात दिन तक हल्की–गंभीर बारिश एवं तूफान की भविष्यवाणी की गई है ।
अगस्त-जुलाई–सितंबर मौसम की तुलना में यह मानसून जून में तेजी से विस्तारित हुआ, मुख्यतः Bay of Bengal और अरब सागर से मिली अप्रत्याशित धाराओं के कारण ।
हालांकि मई के अंतिम सप्ताह में monsoon की गति रूक गई थी, परंतु राजसी मूसलाधार बारिश फिर सक्रिय हो गई है, और व्यापक क्षेत्रीय गतिविधियों को पुनः गति मिली है ।
सामाजिक, कृषि और अवसंरचनात्मक प्रभाव
किसान एवं कृषि:
उत्तर भारत में मानसून की शुरुआत से खेतों में नमी बनी है, जो खरीफ की बुआई को बढ़ावा देगी।
हालाँकि, किसानों को गलत समय पर या अत्यधिक बारिश से जल जमाव और फसलों को नुकसान के खतरे से सावधान रहना चाहिए।
शहरी इलाकों में प्रभाव:
जलभराव, यातायात बाधा और बिजली गिरने जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
IMD और स्थानीय प्रशासन द्वारा Yellow Alerts जारी करके निवासियों को सतर्क किया गया है।
स्वास्थ्य और जन–जीवन:
तापमान में गिरावट से Heatstroke की आशंका कम हुई है।
इसके बावजूद, बारिश से जुड़ी बीमारियों जैसे मतला–दस्त का खतरा बढ़ सकता है।
आपदा प्रबंधन:
अनुमानतः Bharat Forecasting System (BFS), जो 26 मई 2025 को लागू हुआ, उच्च संकल्प पूर्वानुमानों के कारण प्रशासन को प्रतिक्रियाशील और पूर्वानुमान तैयार करने में मदद करेगा ।
इससे नदी अधिरक्तता, बांध–संरक्षा और SADHARAN RESPONSE में समयगत सुधार होगा।
चुनौतियाँ और भविष्य की रणनीति
अत्यधिक बारिश से पहाड़ी इलाकों में चैनल–फ्लड जोन और कृषि भूमि प्रभावित हो सकती हैं।
शहरों में डाले गए इंफ्रास्ट्रक्ट्चर को जलनिकासी प्रणाली की समयबद्ध मरम्मत की आवश्यकता होगी।
मानसून की अप्रत्याशितता के चलते किसानों और planners को त्वरित सहायता की योजना बनानी होगी।
रणनीतियाँ
पूर्व में तैयारी: जलभराव-रोधी कदम, जलाशयों की सफ़ाई, सड़क सफ़ाई और कम सतहों की मरम्मत आवश्यक।
कृषि प्रबंधन: समयबद्ध बुआई एवं बीज संरक्षण, सही ढंग से crop insurance योजनाओं का कार्यान्वयन।
सामुदायिक सहभागिता: स्थानीय स्वयंसेवक समूह, मौसम ऐप्स की जानकारी, और प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली के इस्तेमाल से प्रतिक्रिया समय कम करना।
संक्षेप में, उत्तर भारत में मानसून की स्थिति इस समय सक्रिय, पूर्वानुमानित और अपेक्षाकृत सुरक्षा सुनिश्चित करने वाली रूप में उभरकर सामने आ रही है। चार प्रमुख राज्यों — उत्तर प्रदेश, राजस्थान, दिल्ली, पंजाब — में बारिश और मौसमी बदलाव गंभीर परंतु नियंत्रित रूप से दिखाई दे रहे हैं।
इसलिए, यह जरूरी है कि सरकारी एजेंसियाँ जानकारी प्रसारण, स्थानीय प्रशासन, और किसानों के साथ मिलकर सामूहिक रणनीति तैयार करें।
मानसून न केवल ठंडक और वर्षा का जरिया है, बल्कि इसकी असामान्यता से होने वाली समस्याओं से निपटने के लिए समय पर तैयार रहना आवश्यक है।