आजमगढ़ में आम आदमी पार्टी का शिक्षा बचाओ आंदोलन तेज, प्राथमिक विद्यालय पल्हनी को बंद करने के फैसले के विरोध में बच्चों-अभिभावकों संग जोरदार प्रदर्शन। कृपाशंकर पाठक और अनिल यादव ने सरकार पर साधा निशाना।
🖋 जगदम्बा उपाध्याय की रिपोर्ट
आजमगढ़, उत्तर प्रदेश। प्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में सरकारी उदासीनता के खिलाफ आम आदमी पार्टी ने मोर्चा खोल दिया है। रविवार को आम आदमी पार्टी की आजमगढ़ इकाई ने तहसील सदर स्थित प्राथमिक विद्यालय पल्हनी को बंद करने के प्रशासनिक फैसले के विरोध में एक प्रभावशाली प्रदर्शन किया। इस आंदोलन की अगुवाई जिला उपाध्यक्ष अनिल यादव ने की, जिसमें बच्चों और उनके अभिभावकों ने भी सक्रिय भागीदारी की।
📌 स्कूल के गेट पर विरोध, बच्चों संग आप कार्यकर्ताओं का प्रदर्शन
गौरतलब है कि यह आंदोलन केवल राजनीतिक औपचारिकता नहीं, बल्कि एक जनचेतना का प्रतीक बन गया। विद्यालय के मुख्य द्वार पर जुटे बच्चे, अभिभावक और आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता हाथों में तख्तियां लिए सरकार से सवाल कर रहे थे—“शिक्षा क्यों बंद?”।
📢 आप के प्रदेश उपाध्यक्ष कृपाशंकर पाठक ने सरकार की नीतियों पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा:
“बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर ने शिक्षा को शेरनी का दूध बताया था, लेकिन आज योगी सरकार उसी दूध की धार को रोकने पर आमादा है।”
पाठक ने आंकड़ों के माध्यम से सरकार की प्राथमिकता पर सवाल उठाते हुए कहा कि योगी सरकार के कार्यकाल में अब तक लगभग 26,000 सरकारी स्कूल बंद किए जा चुके हैं, और 50,000 और स्कूलों को बंद करने की योजना पर काम चल रहा है। इसके विपरीत, 2024 में 27,308 शराब की दुकानों के लाइसेंस जारी किए गए, जिससे 2,000 करोड़ रुपये की प्रोसेसिंग फीस वसूली गई।
📣 आंदोलन जारी रहेगा जब तक आदेश वापस न हो — अनिल यादव
जिला उपाध्यक्ष अनिल यादव ने ऐलान किया कि स्कूल बंद करने के आदेश वापस न होने तक आप कार्यकर्ता गांव-गांव में स्कूलों के सामने आंदोलन जारी रखेंगे। उन्होंने कहा:
“सरकारी स्कूल गरीबों की शिक्षा का एकमात्र सहारा हैं। यदि ये भी बंद हो जाएंगे तो शिक्षा का अधिकार केवल अमीरों तक सिमट जाएगा।”
उन्होंने यह भी बताया कि आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद और उत्तर प्रदेश प्रभारी के आह्वान पर पूरे प्रदेश में ऐसे बंद किए गए स्कूलों के सामने प्रदर्शन किया जाएगा।
🧑🤝🧑 स्थानीय समर्थन और कार्यकर्ताओं की सक्रियता
इस आंदोलन में पार्टी के कई वरिष्ठ और स्थानीय नेता शामिल हुए, जिनमें पूर्व सभासद प्रेमचंद, अच्छेलाल बांसफोर, अरविंद यादव, आशिक अली, राजेश सिंह, रमेश मौर्य, उमेश यादव, रामप्रसाद यादव, तथा एडवोकेट एम.पी. यादव प्रमुख रहे। इन सभी ने एक स्वर में कहा कि यह लड़ाई शिक्षा बचाने की है, जिसे किसी भी कीमत पर नहीं छोड़ा जाएगा।
जहां एक ओर सरकार शराब की दुकानों के लाइसेंस पर मुनाफा कमा रही है, वहीं दूसरी ओर स्कूलों को बंद करके शिक्षा के दरवाज़े गरीबों के लिए बंद कर रही है। ऐसे में आम आदमी पार्टी का यह आंदोलन न केवल एक राजनीतिक प्रतिक्रिया है, बल्कि एक जनआंदोलन की शक्ल लेता दिखाई दे रहा है। आने वाले दिनों में यह संघर्ष और भी व्यापक रूप ले सकता है।