चित्रकूट के मानिकपुर की विधवा महिला न्याय के लिए गुहार लगा रही है। दबंगों द्वारा ज़मीन कब्जाने की कोशिश, फसल कटवाने का आरोप और प्रशासन की निष्क्रियता—जानिए पूरा मामला विस्तार से।
✍ संजय सिंह राणा की रिपोर्ट
चित्रकूट जनपद के मानिकपुर तहसील अंतर्गत ग्राम टिकरिया जमुनिहाई की एक विधवा महिला इन दिनों न्याय की आस में दर-दर भटक रही है। सुकवरिया पत्नी स्व. बद्री प्रसाद का आरोप है कि गांव के कुछ दबंग किस्म के लोग उसकी वर्षों पुरानी पुश्तैनी जमीन पर कब्जा जमाने की साजिश रच रहे हैं। आश्चर्यजनक बात यह है कि बार-बार शिकायतों के बावजूद जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारी अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर पाए हैं।
सुकवरिया ने बताया कि वह आराजी गाटा संख्या 442 मि, रकबा 1.250 हेक्टेयर की जमीन की वैध मालकिन हैं, जो उनके दिवंगत पति बद्री प्रसाद पुत्र चौधरी को पट्टे के रूप में प्राप्त हुई थी। इस भूमि पर वह चार दशक से अधिक समय से खेती करती आ रही हैं और इसे तारबंदी व मेड़ से घेरकर अपने उपयोग में रखे हुए हैं।
हालांकि, गांव के ही कुछ दबंग व्यक्तियों—राकेश, गुलाब (पुत्र बेटा नाई) और रज्जन (पुत्र महेश)—द्वारा उन्हें बार-बार धमकाया जा रहा है। पीड़िता का दावा है कि इन लोगों ने कहा है कि यदि वह जमीन नहीं छोड़ेगी, तो उसे जान से मार दिया जाएगा।
शिकायतों की फाइलें धूल फांक रही हैं, पर कार्रवाई शून्य
पीड़िता ने बताया कि इस गंभीर प्रकरण की शिकायत वह कई बार तहसील और राजस्व विभाग के अधिकारियों से कर चुकी हैं, मगर हर बार उसे आश्वासन के सिवाय कुछ नहीं मिला। महिला का आरोप है कि पूर्व लेखपाल जितेंद्र गुप्ता और कानूनगो गुरुचरण पांडेय की मिलीभगत से उसकी जमीन पर दबंगों को कब्जा दिलाने की कोशिश की जा रही है।
इतना ही नहीं, संपूर्ण समाधान दिवस के दौरान भी महिला ने अधिकारियों को गुहार लगाई, लेकिन अब तक कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं हुई। इस दौरान महिला ने कहा कि यदि वर्तमान लेखपाल अरबाज़ सिद्दीकी से निष्पक्ष जांच कराई जाए, तो सारी सच्चाई सामने आ सकती है।
कटवा दी गई फसल, फिर भी पुलिस ने भगा दिया
सुकवरिया ने एक और हैरान कर देने वाला खुलासा करते हुए बताया कि उसके खेत में लगी फसल को रातोंरात दबंगों ने कटवा दिया। जब उसने थाना मारकुंडी में इसकी शिकायत की, तो उल्टा उसे ही डांट-फटकारकर थाने से भगा दिया गया। पुलिस की इस बेरुखी से महिला का न्याय व्यवस्था से विश्वास उठता नजर आ रहा है।
विरोधी पक्ष का दावा और प्रशासन का रुख
वहीं दूसरी ओर, आरोपी गुलाब नाई का कहना है कि विवादित जमीन उनकी है और विधवा महिला जबरदस्ती कब्जा करना चाहती है। इसी तरह, कानूनगो गुरुचरण पांडेय ने भी दावा किया कि महिला की जमीन गाटा संख्या 442 मि के पीछे है, लेकिन वह सामने की जमीन पर कब्जा करना चाह रही है।
लेकिन, सूत्रों की मानें तो इस पूरे प्रकरण में पूर्व लेखपाल जितेंद्र गुप्ता और कानूनगो द्वारा दस्तावेजों की हेराफेरी कर दबंग भू-माफियाओं को लाभ पहुंचाने की कोशिश की गई है। बताया जा रहा है कि महिला की जमीन से सटी जमीन को किसी दबंग ने खरीद लिया और अब वह सीमाएं बदलवाकर सुकवरिया की जमीन को भी हड़पना चाहता है।
प्रशासन पर गंभीर सवाल…
सबसे अहम सवाल यह है कि जब एक गरीब विधवा महिला न्याय के लिए संपूर्ण समाधान दिवस में बार-बार अपनी बात रख रही है, तब भी अधिकारियों की निष्क्रियता क्यों बनी हुई है? क्या यह भ्रष्टाचार का उदाहरण नहीं है? क्या राजस्व विभाग में बैठे जिम्मेदार अधिकारी दबंगों के प्रभाव में आकर अपने कर्तव्यों को नजरअंदाज कर रहे हैं?
न्याय की तलाश में आंखें पथरा गईं…
सुकवरिया जैसी महिलाएं समाज के उस तबके का प्रतिनिधित्व करती हैं, जिनकी आवाज अक्सर सिस्टम के कोलाहल में दब जाती है। सवाल यह नहीं है कि ज़मीन किसकी है, सवाल यह है कि जब तक इसकी निष्पक्ष जांच नहीं होती, तब तक एक बुजुर्ग विधवा महिला को भय, धमकी और अन्याय क्यों झेलना पड़ रहा है?
यदि समय रहते जांच नहीं हुई और न्याय नहीं मिला, तो यह मामला न केवल प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़ा करेगा, बल्कि लोकतंत्र में आम नागरिक के अधिकारों पर भी गंभीर चोट साबित होगा।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि राजस्व विभाग के नए लेखपाल अरबाज़ सिद्दीकी इस प्रकरण की निष्पक्ष जांच करवा पाएंगे या नहीं। क्या सुकवरिया को उसका हक मिलेगा? या फिर यह कहानी भी एक फाइल में बंद होकर हमेशा के लिए न्याय की प्रतीक्षा में रह जाएगी?