Sunday, July 20, 2025
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थाने बने कबाड़खाना: योगी आदित्यनाथ ने दिखाई सख्ती, कबाड़ गाड़ियों पर चला प्रशासनिक बुलडोजर

उत्तर प्रदेश के थानों के सामने वर्षों से खड़े कंडम वाहनों पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जताई नाराजगी। निर्देश के बाद शुरू हुई अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई, गाड़ियों के लिए यार्ड की व्यवस्था।

सर्वेश द्विवेदी की रिपोर्ट

गोरखपुर। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की एक कड़ी चेतावनी के बाद गोरखपुर समेत प्रदेश भर के थानों के बाहर खड़े कंडम वाहनों को हटाने की प्रक्रिया तेज़ हो गई है।

दरअसल, मंगलवार 17 जून की शाम मुख्यमंत्री जब राप्तीनगर की ओर जा रहे थे, उसी दौरान शाहपुर थाने के सामने उनकी फ्लीट गुजर रही थी। उन्होंने सड़क किनारे बेतरतीब खड़े चार ट्रकों को देखा, जिनकी हालत खस्ताहाल थी। यही नहीं, उनकी नजर आसपास खड़ी अन्य जीर्ण-शीर्ण गाड़ियों पर भी पड़ी।

इसके बाद मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश देते हुए कहा—”जब पुलिस खुद ही सड़क पर अतिक्रमण करेगी तो आम नागरिकों से क्या उम्मीद की जा सकती है?” उन्होंने तत्काल प्रभाव से सभी थानों के बाहर खड़ी कबाड़ गाड़ियों के निस्तारण का निर्देश जारी किया।

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वर्षों पुरानी समस्या पर अब कार्रवाई

वास्तव में, यह कोई नई समस्या नहीं है। प्रदेश के सैकड़ों थानों के बाहर दुर्घटनाग्रस्त या कानूनी प्रक्रिया में जब्त की गई गाड़ियाँ वर्षों से ऐसे ही पड़ी हुई हैं। कोर्ट में लंबित मामलों और नीलामी प्रक्रिया में देरी के कारण ये वाहन सड़ते जा रहे हैं।

इन वाहनों के कारण न केवल अतिक्रमण की स्थिति बनती है, बल्कि कई बार आम लोगों को ट्रैफिक जाम जैसी समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है। लखनऊ, कानपुर, गाजियाबाद जैसे बड़े शहरों में स्थिति और भी गंभीर है। पुराने लखनऊ में तो कुछ थानों के सामने जाम लगना एक नियमित घटना बन चुकी है।

अब पुलिस को मिला यार्ड

मुख्यमंत्री की नाराजगी के तुरंत बाद प्रशासन हरकत में आया है। बुधवार को गोरखपुर पुलिस को शहर के बाहर एक यार्ड के लिए ज़मीन उपलब्ध करा दी गई है, जहाँ इन कंडम हो चुकी गाड़ियों को शिफ्ट किया जाएगा। यह ज़मीन गाड़ियों को अस्थायी रूप से रखने के लिए दी जा रही है, जब तक कि इनका कानूनी निस्तारण या नीलामी नहीं हो जाती।

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अब तक क्यों नहीं हुआ समाधान?

यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि वर्षों से चली आ रही इस समस्या का समाधान अब तक क्यों नहीं हो पाया। इसके पीछे मुख्य वजह है—कोर्ट में लंबित मामले, नीलामी प्रक्रिया में जटिलताएं, और प्रशासनिक उदासीनता। पुलिस थानों के पास पर्याप्त जगह नहीं होती, इसलिए जब्त की गई गाड़ियों को सड़क के किनारे ही खड़ा कर दिया जाता है। समय के साथ ये गाड़ियाँ पूरी तरह से खस्ताहाल हो जाती हैं।

अधिकारियों की चुप्पी लेकिन कार्रवाई शुरू

हालांकि, इस पूरे मामले पर अधिकारी अभी तक खुलकर कुछ नहीं बोल रहे हैं। लेकिन, अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, जिलों में पुलिस प्रशासन अब ऐसे वाहनों की सूची बना रहा है जिन्हें प्राथमिकता पर हटाया जाएगा। गाड़ियों के मालिकों को भी नोटिस भेजे जा रहे हैं ताकि यदि वे कानूनी दावे कर सकें तो प्रक्रिया पूरी हो सके।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सतर्क निगाह और स्पष्ट आदेश के बाद अब पुलिस विभाग को वर्षों पुरानी इस समस्या पर गंभीरता से काम करना होगा। थानों के बाहर फैले अतिक्रमण की सफाई न केवल ट्रैफिक व्यवस्था को सुधारने में सहायक होगी, बल्कि यह एक सशक्त संदेश भी देगा कि कानून के रक्षक खुद नियमों के पालन में पीछे नहीं हैं।

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