Sunday, July 20, 2025
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साहेब, काहे मा बनाई खाना… जब चूल्हा रखैं तक की जगह नहीं बची.. बाढ़ की विनाश लीला

संजय सिंह राणा की रिपोर्ट

चित्रकूट के भैसौंधा गांव में बाढ़ से घरों में पानी भर गया है, जिससे ग्रामीणों को भीषण कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। पीड़ित परिवार नमकीन और समोसे खाकर गुजारा कर रहे हैं। जिला प्रशासन ने राहत और मुआवजे की प्रक्रिया शुरू की है।

चित्रकूट जिले के सदर ब्लॉक अंतर्गत ग्राम पंचायत भैसौंधा के वंशीपुर मजरे में हाल ही में हुई भारी बारिश ने जनजीवन को पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया है। बारिश का पानी सीधे ग्रामीणों के घरों में घुस गया, जिससे स्थिति बेहद चिंताजनक हो गई है। कई कच्चे मकान भरभराकर गिर चुके हैं और जो बचे हैं, उनमें रहना खतरे से खाली नहीं।

सड़कें बनीं शरणस्थली, घरों में तबाही का मंजर

ग्रामीणों के अनुसार, पानी ने न सिर्फ उनके मकानों को नुकसान पहुंचाया, बल्कि घरों में रखा अनाज, भूसा, बर्तन और दैनिक उपयोग की अन्य आवश्यक वस्तुएं भी बह गईं। कई परिवारों ने मजबूरी में सड़कों पर तंबू गाड़कर या छांव में रहने का ठिकाना ढूंढ़ा है।

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एक महिला पीड़िता ने भावुक स्वर में कहा

भोजन के लिए मोहताज हुए लोग

स्थिति इतनी दयनीय है कि ग्रामीणों के पास अब खुद के लिए और मवेशियों के लिए भी भोजन नहीं बचा है। इन हालात में वे बाजार से लाई गई नमकीन, बिस्कुट और समोसे जैसे हल्के खाद्य पदार्थों से अपनी भूख मिटा रहे हैं। कई लोग भूखे पेट ही रात बिताने को मजबूर हैं।

प्रशासन तक पहुंचाई गई पीड़ा

इन संकटों से त्रस्त ग्रामीणों ने जिलाधिकारी और उपजिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपकर जल्द से जल्द आर्थिक सहायता और राहत सामग्री की मांग की है। साथ ही, जिला पंचायत अध्यक्ष और अपर मुख्य अधिकारी, जिला पंचायत को ज्ञापन देकर गांव में नाले का निर्माण कराए जाने की भी मांग की है, ताकि बारिश का पानी भविष्य में इस तरह घरों में घुस न सके।

प्रशासन ने लिया संज्ञान, सर्वे टीम रवाना

हालात की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई की है। राजस्व विभाग की टीम को मौके पर भेजा गया है जो पीड़ित परिवारों के घरों का निरीक्षण कर रही है।

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बताया जा रहा है कि जल्द ही रिपोर्ट शासन को भेजी जाएगी, जिसके आधार पर प्रभावितों को उचित मुआवजा और राहत दी जाएगी।

बारिश ने उजाड़ा आशियाना, उम्मीदें टिकीं प्रशासन पर

इस बाढ़ से ग्रामीणों के जीवन की गाड़ी जैसे पटरी से उतर गई है। वे प्रशासन से राहत की उम्मीद लगाए बैठे हैं। उनका कहना है कि यदि समय रहते उचित कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले दिनों में भूख, बीमारी और अवसाद जैसी समस्याएं और विकराल रूप ले सकती हैं।

भैसौंधा गांव के वंशीपुर के बाढ़ पीड़ित आज भी खुले आसमान के नीचे जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं से जूझ रहे हैं। अब देखना होगा कि शासन और प्रशासन कितनी तत्परता से राहत पहुंचाता है और कब तक इन ग्रामीणों के घरों में दोबारा चूल्हा जल पाता है।

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