Sunday, July 20, 2025
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❝पुल नहीं, तो ज़िंदगी नहीं! बरसात में थम जाता है चित्रकूट के गांवों का दम❞

चित्रकूट के मानिकपुर विकासखंड के कई गांवों में बरसात के समय पुल न होने से ग्रामीणों को भारी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से तत्काल पुल निर्माण की मांग की है।

संजय सिंह राणा की रिपोर्ट

चित्रकूट(उत्तर प्रदेश): मानसून का मौसम जहां एक ओर किसानों के लिए खुशहाली लेकर आता है, वहीं चित्रकूट जिले के मानिकपुर विकासखंड के गढ़चपा, हनुवा, कौबरा, गौरिया और बराक्षी जैसे गांवों के लिए यह परेशानी और पीड़ा का कारण बन जाता है। कारण स्पष्ट है—इन गांवों को जोड़ने वाले प्रमुख मार्गों पर या तो पुलों का अभाव है या जो पुल बने हैं, वे जर्जर अवस्था में हैं।

बरसात में ठप हो जाता है जनजीवन

हाल ही में प्रधानमंत्री ग्रामीण रोजगार योजना के तहत हनुवा, कौबरा और गढ़चपा गांवों से सरैंया मेन रोड तक सड़क मार्ग का निर्माण तो कर दिया गया, लेकिन दुर्भाग्यवश, नदी पर पुल न बनाए जाने के कारण यह सड़क बरसात के समय अनुपयोगी साबित हो रही है। नदियों के उफान पर आते ही यह संपर्क मार्ग पूरी तरह ठप हो जाता है।

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परिणामस्वरूप, बीमार व्यक्तियों को अस्पताल तक पहुंचाना ग्रामीणों के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन जाती है। कई बार समय पर चिकित्सा सुविधा न मिलने के कारण जान जाने तक की नौबत आ जाती है।

क्यों बनी यह समस्या?

ग्रामीणों का मानना है कि यह संकट प्रशासनिक लापरवाही और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता का नतीजा है।

  • पुलों की कमी या उनकी जर्जर स्थिति
  • विभागीय अधिकारियों की उदासीनता
  • स्थानीय नेताओं की अनदेखी

इन सभी कारणों ने मिलकर क्षेत्र को विकास से वंचित कर दिया है।

ग्रामीणों की मुखर मांग

गांव के लोगों का कहना है कि यदि इन सड़कों पर स्थायी और मजबूत पुलों का निर्माण करवा दिया जाए, तो बरसात में होने वाली समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है। इसी क्रम में ग्रामीणों ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग की है कि वे इस मामले में शीघ्र हस्तक्षेप करें और पुल निर्माण की प्रक्रिया को प्राथमिकता दें।

पुल निर्माण क्यों है आवश्यक?

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पुल का निर्माण केवल आवागमन का साधन नहीं, बल्कि ग्रामीण विकास की रीढ़ होता है।

  • दर्जनों गांवों को जोड़ने वाले मार्ग होंगे सुगम
  • इमरजेंसी में बीमार व्यक्तियों को समय पर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध हो सकेगी
  • बाजार, स्कूल और सरकारी दफ्तरों तक पहुंच आसान होगी
  • स्थानीय अर्थव्यवस्था को मिलेगा संबल
  • गुणवत्ता को लेकर उठते सवाल

यह उल्लेखनीय है कि चित्रकूट में इससे पहले भी कई पुलों के निर्माण में गुणवत्ता की गंभीर अनदेखी सामने आ चुकी है। हाल ही में 51 करोड़ रुपये की लागत से बनाए गए 4 पुलों के अप्रोच मार्ग मात्र तीन दिनों की बरसात भी नहीं झेल पाए और बह गए। इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि निर्माण कार्यों में गुणवत्ता और निगरानी दोनों का घोर अभाव है।

क्या जागेगा प्रशासन?

अब सबकी निगाहें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर टिकी हैं। ग्रामीणों की मांग और हालात की गंभीरता को देखते हुए यह आवश्यक है कि सरकार इस मुद्दे पर संवेदनशीलता दिखाए और शीघ्र उचित कदम उठाए।

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जब तक ग्रामीण क्षेत्रों को मजबूत बुनियादी ढांचा नहीं मिलेगा, तब तक ‘विकास’ सिर्फ आंकड़ों में ही दिखाई देगा। यह समय है ज़मीनी हकीकत को समझने और उसे बदलने का

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