Sunday, July 20, 2025
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विकास की सड़कों पर भ्रष्टाचार का बहाव — पहली बारिश ने ही खोल दी ‘विकास’ की पोल

चित्रकूट जिले में करोड़ों की लागत से बने पुलों की अप्रोच सड़कें पहली ही बारिश में बह गईं। सरकारी धन की लूट और घटिया निर्माण कार्यों की असलियत सामने आ गई है, जिम्मेदार अब तक मौन।

संजय सिंह राणा की रिपोर्ट

चित्रकूट। उत्तर प्रदेश का चित्रकूट जिला, जिसे कुछ वर्षों पहले “आकांक्षी जिलों” की श्रेणी में शामिल कर विकास की मुख्यधारा से जोड़ने की पहल की गई थी, आज विकास के नाम पर किए जा रहे भ्रष्टाचार की बदनुमा तस्वीर बनता जा रहा है।

सरकारी योजनाओं के तहत करोड़ों रुपये की लागत से कराए जा रहे निर्माण कार्य पहली ही बारिश में ध्वस्त हो गए हैं। इससे न सिर्फ आमजन की उम्मीदों पर पानी फिरा है, बल्कि प्रशासनिक व्यवस्था और निर्माण एजेंसियों की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।

पहली बारिश और पुल की अप्रोच सड़क बह गई!

मानिकपुर विकास खंड के कल्याणपुर से धारकुंडी मार्ग पर स्थित बरदहा नदी पर बना करोड़ों रुपये की लागत वाला पुल पहली ही बारिश में अपनी अप्रोच सड़क गंवा बैठा। इस पुल को उत्तर प्रदेश राज्य सेतु निगम द्वारा बनवाया गया था, जिसमें ठेकेदार रामबाबू गुप्ता थे।

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बताया जा रहा है कि निर्माण कार्य में इतनी जल्दबाजी और लापरवाही बरती गई कि पुल की अप्रोच सड़क गुणवत्ता की कसौटी पर खरी ही नहीं उतर सकी। परिणामस्वरूप पहली ही तेज बारिश में सड़क बह गई। यह दृश्य सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और जनता का गुस्सा भी भड़क उठा।

कई जगहों पर खुलीं ‘विकास’ की परतें

भौंरी-हरदौली राजापुर संपर्क मार्ग पर वाल्मीकि नदी पर बना नवनिर्मित पुल भी भ्रष्टाचार की पोल खोल रहा है। यहां भी अप्रोच रोड बारिश में बह चुकी है। सोशल मीडिया पर जब तस्वीरें वायरल हुईं, तो पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने “X” (पूर्व ट्विटर) पर सत्ताधारी भाजपा सरकार पर तीखा हमला बोला।

सदर ब्लॉक कर्वी की ग्राम पंचायत मकरी पहरा में पयस्वनी (मंदाकिनी) नदी पर बने पुल में दरारें पड़ने से हड़कंप मच गया है। ग्रामीणों का कहना है कि पुल की अप्रोच सड़क बहने के कारण आवागमन पूरी तरह से ठप हो गया है।

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जिलाधिकारी ने लिया संज्ञान, लेकिन क्या होगी ठोस कार्रवाई?

जैसे ही इन घटनाओं की जानकारी जिलाधिकारी शिवशरणप्पा जी एन को हुई, वह मौके पर पहुंचे और पुल निर्माण की गुणवत्ता का निरीक्षण किया। उन्होंने लापरवाही बरतने वालों पर सख्त रवैया अपनाने की बात जरूर कही, लेकिन अब तक किसी भी ठेकेदार या कार्यदायी संस्था के विरुद्ध कोई कठोर कार्रवाई नहीं हुई है।

जनता का सवाल: कब होगी जवाबदेही तय?

अब बड़ा सवाल यह है कि आखिर करोड़ों रुपये खर्च करने के बाद भी यदि निर्माण कार्य इस कदर भ्रष्ट और अव्यवस्थित हो रहा है, तो उसके लिए जिम्मेदार कौन है?

क्या राज्य सेतु निगम और ठेकेदार के खिलाफ कोई विधिक कार्यवाही होगी? क्या ऐसी लापरवाही पर कोई मुकदमा दर्ज किया जाएगा? या फिर एक बार फिर इस “विकास” की लीपापोती कर दी जाएगी?

चित्रकूट जैसे पिछड़े जिले को यदि वास्तव में विकास की ओर ले जाना है, तो सबसे पहले भ्रष्टाचार और गैर-जिम्मेदार निर्माण कार्यों पर रोक लगानी होगी। पहली बारिश में बहती अप्रोच सड़कों ने यह तो स्पष्ट कर दिया है कि अभी भी सिस्टम में बहुत कुछ बदलना बाकी है।

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