Monday, July 21, 2025
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मानव तस्करी का राक्षसी खेल — 12 वर्षों से मासूमों की बोली लगाता था गिरोह, ऐसे हुआ बेनकाब

लखनऊ के कृष्णानगर में पुलिस ने एक अंतरराज्यीय मानव तस्करी गिरोह का पर्दाफाश किया है जो 12 वर्षों से मासूम किशोरियों को शादी और अनैतिक कार्यों के लिए बेचने का काम कर रहा था। मामले का खुलासा सीएम के पीएसओ की बेटी की तलाश के दौरान हुआ। पढ़ें पूरी रिपोर्ट

ठाकुर बख्श सिंह की रिपोर्ट

लखनऊ के कृष्णानगर क्षेत्र में पुलिस ने एक ऐसे मानव तस्करी गिरोह का भंडाफोड़ किया है, जो न सिर्फ कानून और व्यवस्था के लिए चुनौती बना हुआ था, बल्कि समाज के नैतिक ढांचे को भी चुपचाप खोखला कर रहा था। इस गिरोह ने विगत 12 वर्षों से असहाय और अकेली किशोरियों को अपने जाल में फंसा कर उन्हें शादी और अनैतिक धंधों में धकेलने का कारोबार चला रखा था।

कहां से टूटा मामला: सीएम पीएसओ की बेटी से जुड़ा रहस्य

इस पूरे मामले का खुलासा उस वक्त हुआ जब मुख्यमंत्री की सुरक्षा में तैनात एक निजी सुरक्षा अधिकारी (पीएसओ) की 16 वर्षीय बेटी 28 जून को घर से अचानक गायब हो गई। उसने एक भावुक वॉइस मैसेज में अपने पिता को कहा, “पापा, मुझे मत खोजना, मैं भगवान के पास जा रही हूं।”

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युवती अपने साथ भगवान विष्णु और लक्ष्मी की मूर्तियाँ भी ले गई थी, जिससे यह प्रतीत हुआ कि वह किसी धार्मिक विचार से प्रेरित होकर कहीं गई है। 30 जून को कृष्णानगर थाने में गुमशुदगी की शिकायत दर्ज हुई।

धर्म के बहाने जाल में फंसाया गया

जांच में सामने आया कि युवती मथुरा में एक संत से मिलने की इच्छुक थी। इसी धार्मिक भावना का फायदा उठाया सहडोल (म.प्र.) निवासी संतोष साहू ने, जो इस गिरोह का सरगना है। उसने किशोरी को चारबाग रेलवे स्टेशन पर बुलाया और फिर मथुरा ले जाने के बहाने प्रयागराज होते हुए उसे अपने घर ले गया। वहां उसने किशोरी को राजस्थान के साकेतनगर निवासी मनीष भंडारी को 50,000 रुपये में बेच दिया।

हालांकि, मनीष को डर सताने लगा कि लड़की पकड़ी गई तो मामला बिगड़ सकता है। लिहाज़ा, उसने किशोरी को लौटा दिया और संतोष को 45,000 रुपये वापस कर दिए।

सघन पुलिसिया प्रयासों से हुआ भंडाफोड़

किशोरी के गायब होने के बाद पुलिस ने छह टीमें गठित कीं और सघन छानबीन शुरू की। अंततः 8 जुलाई को किशोरी को सकुशल बरामद कर लिया गया। पूछताछ में जो सच्चाई सामने आई, उसने पुलिस को भी चौंका दिया। किशोरी की गवाही के आधार पर गुरुवार को संतोष साहू और मनीष भंडारी को गिरफ्तार किया गया।

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गिरफ्तारी के वक्त संतोष के पास से रायबरेली की एक और किशोरी भी बरामद हुई, जिसकी सूचना परिजनों को दे दी गई है।

गिरोह का नेटवर्क और कारोबार का खौफनाक सच

पूछताछ के दौरान यह सामने आया कि इस गिरोह का नेटवर्क उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड और राजस्थान तक फैला हुआ है। सबसे अधिक लड़कियों को राजस्थान में बेचा गया, जहां एक किशोरी को हाल ही में सीकर में 2.75 लाख रुपये में सौंपा गया था।

गिरोह ऐसे लोगों को निशाना बनाता था जो शादी के लिए लड़कियां “खरीदने” को तैयार रहते थे। एक लड़की की कीमत 50,000 से लेकर 2.75 लाख रुपये तक वसूली जाती थी।

गिरोह का संचालन: शिक्षा कम, चालाकी अधिक

संतोष साहू सिर्फ तीसरी कक्षा तक पढ़ा है लेकिन अपराध की दुनिया में उसका अनुभव और चतुराई घातक साबित हुई। पुलिस को भनक लगते ही वह मोबाइल नंबर बदल देता था।

  • मनीष भंडारी आठवीं तक पढ़ा है और पहले ट्रैवेल्स में गाड़ी चलाता था।
  • दोनों आरोपी पहले भी छत्तीसगढ़ की जेल में बंद रह चुके हैं।
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संतोष के खिलाफ लखनऊ, प्रयागराज, वाराणसी, छत्तीसगढ़ और प्रतापगढ़ में छह एफआईआर दर्ज हैं, वहीं मनीष पर दो केस दर्ज हैं। संतोष पर ₹25,000 का इनाम भी घोषित था।

कितनी मासूम जिंदगियों की कीमत लगाई गई?

इस सनसनीखेज मामले ने न सिर्फ कानून-व्यवस्था की पोल खोली, बल्कि समाज की सामूहिक असंवेदनशीलता को भी उजागर किया है। किशोरियों की धार्मिक और मानसिक अवस्था का फायदा उठाकर उन्हें जिस तरह से तस्करी का शिकार बनाया गया, वह बेहद शर्मनाक है।

अब ज़रूरत है कि ऐसे संगठित अपराधों पर केवल कानूनी ही नहीं, सामाजिक जागरूकता और सख्त निगरानी भी की जाए।

🛑 ये सिर्फ एक केस नहीं, एक चेतावनी है — बच्चों पर ध्यान दीजिए, समाज की चुप्पी भी अपराध है।

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