Sunday, July 20, 2025
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बनारस का तबला अब बजेगा दुनिया भर में, भरवा मिर्च करेगी स्वाद का धमाका

उत्तर प्रदेश के 21 पारंपरिक उत्पादों को मिला GI टैग, बनारसी तबला और भरवा मिर्च को मिली राष्ट्रीय मान्यता। जानें कैसे प्रदेश बना GI उत्पादों का हब और क्या होगा इसका किसानों व कारीगरों पर असर।

उत्तर प्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक और शिल्प परंपरा को वैश्विक पहचान मिल रही है। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी दौरे के दौरान प्रदेश के 21 पारंपरिक उत्पादों को भौगोलिक संकेतक (GI) टैग प्रमाण पत्र प्रदान किया। यह कार्यक्रम न केवल “एक जिला, एक उत्पाद” (ODOP) नीति की सफलता को दर्शाता है, बल्कि इससे राज्य की विशिष्ट पहचान को भी नया आयाम मिला है।

वाराणसी के दो खास उत्पाद – बनारसी तबला और भरवा मिर्च को मिली राष्ट्रीय मान्यता

बनारसी तबला, जो संगीत प्रेमियों के बीच एक खास स्थान रखता है, और पारंपरिक स्वाद वाली बनारसी भरवा मिर्च को अब GI टैग प्राप्त हो गया है। इससे इन दोनों उत्पादों को न केवल कानूनी सुरक्षा मिलेगी, बल्कि इन्हें ब्रांड के रूप में स्थापित होने का भी अवसर मिलेगा।

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अन्य महत्वपूर्ण GI टैग प्राप्त उत्पाद

इसके अतिरिक्त, वाराणसी के कई अन्य उत्पाद जैसे:

शहनाई

मेटल कास्टिंग क्राफ्ट

म्यूरल पेंटिंग

लाल पेड़ा

ठंडई

तिरंगी बर्फी

चिरईगांव का करौंदा

को भी GI टैग प्राप्त हुआ है। इन उत्पादों से जुड़े हजारों कारीगरों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में पहचान मिलेगी, जिससे उनके जीवनस्तर में सुधार की संभावनाएं बढ़ेंगी।

उत्तर प्रदेश बना GI उत्पादों में देश का अग्रणी राज्य

उत्तर प्रदेश वर्तमान में 77 GI टैग प्राप्त उत्पादों के साथ पूरे भारत में पहले स्थान पर है। इसमें से अकेले काशी क्षेत्र के पास 32 GI टैग हैं, जो इसे दुनिया का GI हब बनाते हैं। विशेषज्ञ डॉ. रजनीकांत के अनुसार, काशी से जुड़े लगभग 20 लाख लोग और 25,500 करोड़ रुपये का सालाना कारोबार इस सफलता की कहानी बयां करता है।

बरेली, मथुरा, बुंदेलखंड और अन्य क्षेत्रों की कला को भी पहचान

अन्य जिलों के कुछ प्रमुख GI टैग प्राप्त उत्पादों में शामिल हैं:

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बरेली: फर्नीचर, जरी-जरदोजी, टेराकोटा

मथुरा: सांझी क्राफ्ट

बुंदेलखंड: काठिया गेहूं

पीलीभीत: बांसुरी

चित्रकूट: वुड क्राफ्ट

आगरा: स्टोन इनले वर्क

जौनपुर: इमरती

ये सभी उत्पाद न केवल स्थानीय पहचान को दर्शाते हैं, बल्कि GI टैग के जरिए इन्हें अंतरराष्ट्रीय बाजार में एक विशिष्ट स्थान मिल रहा है।

GI टैग: किसानों और कारीगरों के लिए वरदान

GI टैग किसी उत्पाद की विशिष्टता और मौलिकता को दर्शाता है। इससे उत्पादकों को उचित मूल्य मिलता है, ब्रांड वैल्यू में वृद्धि होती है, और रोजगार के नए अवसर सृजित होते हैं। योगी सरकार की ODOP नीति और GI टैगिंग पहल ने राज्य को देश में शीर्ष स्थान पर पहुंचा दिया है।

➡️चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट

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