Sunday, July 20, 2025
spot_img

उत्तर प्रदेश 2027: 80-20 बनाम 90-10 की सियासी जंग, किसका फॉर्मूला पड़ेगा भारी?

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2027 की सियासी बिसात अभी से बिछाई जा रही है। सीएम योगी के 80-20 बनाम अखिलेश यादव के 90-10 फॉर्मूले की जंग में किसका पलड़ा भारी पड़ेगा? पढ़ें पूरी रिपोर्ट।

उत्तर प्रदेश की राजनीति एक बार फिर करवट लेने लगी है। 2027 विधानसभा चुनाव भले ही दूर हो, लेकिन सियासी गलियारों में हलचल अभी से तेज हो चुकी है। जहां एक ओर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने पुराने और आजमाए हुए ’80-20′ फॉर्मूले को फिर से धार दे रहे हैं, वहीं समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने इसके जवाब में नया ’90-10′ का कार्ड खेल दिया है।

बहरहाल, यह देखना दिलचस्प होगा कि यह चुनाव धार्मिक ध्रुवीकरण की दिशा लेता है या जातिगत गोलबंदी की राह पकड़ता है।

योगी आदित्यनाथ का ’80-20′ फॉर्मूला फिर से एक्टिव

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक बार फिर अपने चिर-परिचित हिंदुत्व के एजेंडे को हवा दे दी है। उनका कहना है कि यूपी में 80 फीसदी जनता ऐसी है जो बीजेपी और उसके विकास कार्यों को पसंद करती है, जबकि बाकी 20 फीसदी स्वार्थ की राजनीति करने वालों के साथ है।

Read  मुख्यमंत्री योगी को लेकर अमित शाह की टिप्पणी पर अखिलेश यादव का तंज: बोले- "मुंह से निकला रिपीट, मन में था डिलीट!"

इस बयान को स्पष्ट रूप से सांप्रदायिक आधार पर देखा जा रहा है, जहां 80 फीसदी हिंदू जनसंख्या बनाम 20 फीसदी मुस्लिम आबादी की राजनीतिक ध्रुवीकरण की रणनीति सामने आती है। गौरतलब है कि, योगी इस फॉर्मूले के जरिए जातीय विभाजन को दरकिनार करते हुए एक समग्र हिंदू पहचान को गढ़ने की कोशिश कर रहे हैं।

बीते उपचुनावों और विधानसभा चुनाव 2022 में भी इसी रणनीति ने भाजपा को बड़ा फायदा दिलाया था। तब बीजेपी को 255 सीटें मिली थीं, जबकि सपा को 111 सीटों पर संतोष करना पड़ा था। इसी सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए, योगी 2027 में भी इसी एजेंडे पर टिके रहने के संकेत दे चुके हैं।

अखिलेश यादव का ’90-10′ फॉर्मूला: जातियों का संगठित समीकरण

दूसरी ओर, सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने योगी के 80-20 नैरेटिव को खारिज करते हुए नया समीकरण पेश किया है—90 बनाम 10। अखिलेश का दावा है कि 90 फीसदी आबादी अब बीजेपी के खिलाफ खड़ी हो चुकी है।

Read  “सीएम खुद अंडा हैं, तभी….अखिलेश यादव ने सीएम के लिए बहुत कड़वी बात कह दी

खास बात यह है कि, यह 90 फीसदी वह तबका है जो पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक और महिलाएं हैं—जिसे पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) के नाम से सपा प्रचारित कर रही है। इसके साथ ही, सपा अब ब्राह्मण, ठाकुर और वैश्य जैसे सवर्ण वोटबैंक में भी सेंध लगाने की रणनीति बना रही है, जो परंपरागत रूप से बीजेपी के साथ रहा है।

अखिलेश यादव ने ऐलान किया है कि 8 से 14 अप्रैल के बीच अंबेडकर जयंती सप्ताह के तहत ‘स्वाभिमान-सम्मान समारोह’ का आयोजन सपा के दलित संगठन मिलकर करेंगे। इसका उद्देश्य साफ है—दलित समुदाय को बीजेपी से छीनकर सपा के पक्ष में खड़ा करना।

जातिगत बनाम धार्मिक ध्रुवीकरण: कौन बनेगा बादशाह?

यदि आंकड़ों की बात करें तो उत्तर प्रदेश में लगभग 43 फीसदी पिछड़े, 21 फीसदी दलित और करीब 19 फीसदी मुस्लिम आबादी है। यानी कुल मिलाकर करीब 85 फीसदी जनता वह है, जिसे सपा अपने साथ मानकर चल रही है। वहीं, सवर्ण आबादी लगभग 15 फीसदी है, जिसमें ब्राह्मण (8%), ठाकुर (4%) और वैश्य (2-3%) शामिल हैं।

Read  ‘सपा की नीतियां बेडरूम में बनती हैं, अखिलेश सिर्फ भाई-भतीजावाद के ठेकेदार’ : ब्रजेश पाठक का कानपुर में बड़ा हमला

इस पृष्ठभूमि में, जहां बीजेपी हिंदुत्व की एकजुटता को हवा दे रही है, वहीं सपा जातिगत समीकरणों के जरिए सत्ता की चाबी ढूंढ रही है। सियासी विश्लेषकों की मानें तो 2027 का चुनाव पूरी तरह से जातीय आधार पर लड़ा जाएगा।

कौन रहेगा भारी?

उत्तर प्रदेश की राजनीति में 2027 की लड़ाई केवल सीटों की नहीं, बल्कि दो विचारधाराओं की भी है। योगी आदित्यनाथ जहां धार्मिक पहचान को एकजुट करने में लगे हैं, वहीं अखिलेश यादव सामाजिक न्याय और जातीय समरसता की बात कर रहे हैं।

अब यह देखना बाकी है कि, यूपी की जनता किस नैरेटिव को स्वीकारती है—धर्म आधारित 80-20 या जाति आधारित 90-10?

➡️अंजनी कुमार त्रिपाठी की रिपोर्ट

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

0FansLike
0FollowersFollow
22,400SubscribersSubscribe

विधवा की पुकार: “मुझे मेरी ज़मीन लौटा दो” — दबंगों से त्रस्त महिला न्याय के लिए दर-दर भटक रही

चित्रकूट के मानिकपुर की विधवा महिला न्याय के लिए गुहार लगा रही है। दबंगों द्वारा ज़मीन कब्जाने की कोशिश, फसल कटवाने का आरोप और...

हर बार वही शिकायत! तो किस काम के अधिकारी?” – SDM ने लगाई फटकार

चित्रकूट के मानिकपुर तहसील सभागार में आयोजित संपूर्ण समाधान दिवस में उपजिलाधिकारी मो. जसीम ने अधिकारियों को दो टूक कहा—"जनशिकायतों का शीघ्र समाधान करें,...
- Advertisement -spot_img
spot_img

“मैं नालायक ही सही, पर संघर्ष की दास्तां अनसुनी क्यों?” — रायबरेली की आलोचना से आहत हुए मंत्री दिनेश प्रताप सिंह का भावुक पत्र

 रायबरेली की राजनीति में हलचल! उद्यान मंत्री दिनेश प्रताप सिंह ने फेसबुक पोस्ट के ज़रिए आलोचकों को दिया करारा जवाब। संघर्षों और उपलब्धियों को...

सड़क पर ही मिला सबक! सरेबाज़ार युवती ने उतारी चप्पल, पीट-पीटकर किया हलाकान

उन्नाव के शुक्लागंज बाजार में छेड़छाड़ से तंग आकर युवती ने युवक को चप्पलों और थप्पड़ों से पीटा। घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर...