Sunday, July 20, 2025
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फर्जी दस्तावेज़ों से 10 साल तक शिक्षक की कुर्सी पर बैठा जालसाज, आखिरकार सलाखों के पीछे

श्रावस्ती में फर्जी दस्तावेजों के सहारे 10 वर्षों तक सहायक शिक्षक की नौकरी करने वाले जालसाज को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। जानें पूरी कहानी।

✍️ अब्दुल मोबीन सिद्दीकी की रिपोर्ट

श्रावस्ती: उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती जिले से शिक्षा व्यवस्था को हिला देने वाली एक बड़ी खबर सामने आई है। यहां एक युवक ने फर्जी दस्तावेजों और जाली पहचान के सहारे 10 वर्षों तक सहायक शिक्षक के रूप में नौकरी की, लेकिन अब उसका खेल खत्म हो गया है।

📌 झूठ के सहारे शिक्षा की बुनियाद पर बैठा था जालसाज शिक्षक

बेसिक शिक्षा विभाग की प्रारंभिक जांच में खुलासा हुआ कि आरोपी ने फर्जी जाति प्रमाण पत्र, टीईटी सर्टिफिकेट, डीएड अंकपत्र और फर्जी नाम-पता के सहारे 2011 में नौकरी हथिया ली थी।

वह राहुल वर्मा पुत्र कृष्ण कुमार वर्मा के नाम से नियुक्त हुआ था और प्राथमिक विद्यालय त्रिलोकपुर, जमुनहा, श्रावस्ती में सहायक शिक्षक के रूप में तैनात रहा।

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🕵️‍♂️ असली नाम अजय वर्मा उर्फ डम्पी, फरार था आठ महीने

जांच में सामने आया कि आरोपी का असली नाम अजय वर्मा उर्फ डम्पी है, जो हरदोई जिले के ग्राम अनंग बेहटा (मजरा अब्दुल पुरवा) का निवासी है। शिक्षा विभाग की गंभीर जांच में यह सिद्ध हुआ कि उसके समस्त दस्तावेज फर्जी हैं। इसके बाद बेसिक शिक्षा अधिकारी ने उसे बर्खास्त कर दिया।

📝 26 नवंबर 2024 को दर्ज हुआ था केस

इस घोटाले की गंभीरता को देखते हुए खंड शिक्षा अधिकारी, जमुनहा ने 26 नवंबर 2024 को हरदत नगर गिरनट थाने में अजय वर्मा के विरुद्ध धोखाधड़ी, फर्जीवाड़ा और शासकीय सेवा में कूट रचना जैसी धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया था।

🚨 15 हजार का इनामी घोषित था आरोपी

पुलिस को एक वर्ष से चकमा दे रहा आरोपी अंततः सब-इंस्पेक्टर अंकुर वर्मा की टीम के हत्थे चढ़ गया। 15 हजार रुपये का इनाम घोषित होने के बाद, पुलिस की सक्रियता और निगरानी ने अजय वर्मा की गिरफ्तारी को संभव बनाया।

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👨‍⚖️ न्यायालय में पेश, भेजा गया जेल

गिरफ्तारी के पश्चात आरोपी को आवश्यक विधिक कार्रवाई के बाद न्यायालय में प्रस्तुत किया गया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया।

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🧾 यह घटना न सिर्फ शिक्षा व्यवस्था की कमजोरियों को उजागर करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि फर्जीवाड़े के सहारे कितने लंबे समय तक सरकारी व्यवस्था को गुमराह किया जा सकता है। अब ज़रूरत है कि सरकारी नियुक्तियों में दस्तावेजों की कड़ी जांच और सत्यापन व्यवस्था को और अधिक सुदृढ़ किया जाए।

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