Sunday, July 20, 2025
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ज़मीन विवाद ने पकड़ा तूल, पुलिस की निष्क्रियता से दबंगों का कब्जा, पीड़ित पहुंचे मुख्यमंत्री दरबार

देवरिया के भेड़ी गांव में ज़मीन विवाद गहराता जा रहा है। पीड़ित शिक्षक शिवाकांत शुक्ल ने पट्टीदारों पर अवैध कब्जे का आरोप लगाया है। पुलिस की चुप्पी से दबंग बेखौफ हैं, पीड़ित ने मुख्यमंत्री दरबार में न्याय की गुहार लगाई है।

अर्जुन वर्मा की रिपोर्ट

देवरिया, उत्तर प्रदेश। पूर्वी उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में ज़मीन विवाद लगातार गहराता जा रहा है। खासकर एकौना थाना क्षेत्र के भेड़ी गांव से आई ताज़ा घटना ने प्रशासनिक निष्क्रियता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यहां दबंग पट्टीदारों ने शिक्षक शिवाकांत शुक्ल की पुश्तैनी ज़मीन पर जबरन कब्जा कर लिया है, और हैरानी की बात यह है कि पुलिस की निष्क्रियता ने इस कब्जे को और भी आसान बना दिया।

दबंगों ने किया अवैध निर्माण, पुलिस बनी रही मूकदर्शक

दरअसल, शिवाकांत शुक्ल गांव में पुराने घर के पास स्थित लगभग 7 डिस्मिल ज़मीन के मालिक हैं। इस ज़मीन पर अभी बंटवारा नहीं हुआ है, लेकिन उनके ही सगे पट्टीदारों ने मौके का फायदा उठाते हुए जबरन कब्जा कर लिया। यही नहीं, कब्जे के साथ ही वहां अवैध निर्माण भी कर लिया गया।

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शिवाकांत का आरोप है कि उन्होंने कई बार एकौना थाने में शिकायत दर्ज कराई, लेकिन हर बार पुलिस सिर्फ समझौता कराने की बात कहकर मामले को टालती रही। इस लापरवाही का फायदा उठाकर दबंगों ने उनकी ज़मीन पर छत डालकर स्थायी निर्माण कर लिया।

थाने की बेरुखी से टूटा भरोसा, अब मुख्यमंत्री दरबार की शरण

लगातार प्रशासनिक उपेक्षा से हताश शिवाकांत शुक्ल अब मुख्यमंत्री दरबार का दरवाज़ा खटखटाने जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि सोमवार को भी उन्होंने एकौना थाने में आवेदन देकर मुकदमा दर्ज कराने की मांग की, मगर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। इससे उनका परिवार असहाय और डरा हुआ महसूस कर रहा है।

पुलिस का पक्ष

इस मामले पर जब थानाध्यक्ष अभिषेक राय से बात की गई तो उन्होंने बताया कि मामला डीह की ज़मीन से जुड़ा है और दोनों पक्ष सगे पट्टीदार हैं। उन्होंने कहा कि पुलिस ने अवैध निर्माण की जानकारी को संज्ञान में लिया है, लेकिन भूमि विवाद न्यायालय के माध्यम से ही हल होगा।

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देवरिया जिले में इस प्रकार के भूमि विवाद कोई नई बात नहीं हैं, लेकिन जब कानून के रक्षक ही मूकदर्शक बन जाएं तो पीड़ित कहां जाए? शिवाकांत शुक्ल का मामला प्रशासन और कानून व्यवस्था की निष्क्रियता का एक और उदाहरण बन गया है। अब यह देखना होगा कि मुख्यमंत्री दरबार से उन्हें न्याय मिल पाता है या नहीं।

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