Sunday, July 20, 2025
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लालगंज में सरकारी जमीन पर अतिक्रमण का मामला, भूमाफिया बेखौफ

आजमगढ़ के लालगंज में सरकारी जमीन पर भूमाफियाओं द्वारा कब्जा करने का मामला सामने आया है। नगर पंचायत द्वारा संरक्षित जमीन पर कब्जा हटाने में प्रशासनिक सुस्ती पर उठे सवाल।

जगदंबा उपाध्याय की रिपोर्ट

आजमगढ़। प्रदेश सरकार भले ही भू-माफियाओं पर नकेल कसने के लिए लगातार अभियान चला रही हो, लेकिन ज़मीनी हकीकत इससे उलट दिखाई देती है। एक ताज़ा मामला आजमगढ़ जिले के नगर पंचायत कटघर लालगंज, वार्ड नंबर 4 के संत रविदास नगर से सामने आया है, जहाँ सरकारी जमीन पर अतिक्रमण का गंभीर आरोप लगाया गया है।

शिकायत लेकर पहुँचे सभासद और स्थानीय लोग

नगर पंचायत के सभासद और संत रविदास नगर के कई स्थानीय नागरिकों ने इस संबंध में कमिश्नर आज़मगढ़ को शिकायती पत्र सौंपा है। शिकायत में कहा गया है कि आबादी संख्या 1405 की नवीन परती भूमि, जो कि नगर पंचायत की संरक्षित संपत्ति है, पर भूमाफियाओं की बुरी नजर है।

सरकारी योजना अधर में, अतिक्रमण सक्रिय

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गौरतलब है कि इस भूमि को नगर पंचायत द्वारा पहले ही सुरक्षित किया जा चुका था — खंभे और तार लगाकर इसकी घेराबंदी की गई थी। इसके बाद दिनांक 15 नवंबर 2022 को बाउंड्रीवाल और गेट निर्माण के लिए विधिवत निविदा जारी की गई, और फिर 28 मई 2023 को नगर पंचायत की बैठक में प्रस्ताव भी पारित किया गया।

हालांकि, निर्माण कार्य में देरी ने भूमाफियाओं को मौका दे दिया। कुछ अराजक तत्वों ने तार और खंभे उखाड़कर जमीन पर कब्जा करना शुरू कर दिया।

प्रशासनिक कार्रवाई के बाद भी नहीं रुका कब्जा

स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, तत्कालीन तहसीलदार लालगंज ने 18 फरवरी 2025 को बेदखली की कार्यवाही की थी। लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि अब तक कब्जा पूरी तरह से हटाया नहीं गया है। यह स्थिति न केवल शासन-प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े करती है, बल्कि कानून व्यवस्था को भी चुनौती देती है।

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स्थानीयों में रोष, प्रशासन की सुस्ती से नाराजगी

स्थानीय नागरिकों का कहना है कि अगर समय रहते प्रशासन ने सख्ती दिखाई होती तो आज यह जमीन अतिक्रमण से बचाई जा सकती थी। वहीं, यह भी आशंका जताई जा रही है कि कहीं प्रशासनिक मिलीभगत तो इस पूरे मामले में नहीं है।

एक ओर जहां योगी सरकार भू-माफियाओं के खिलाफ सख्त अभियान चला रही है, वहीं दूसरी ओर ऐसे मामले दिखाते हैं कि स्थानीय स्तर पर इस मुहिम को कमजोर किया जा रहा है। यदि समय रहते कार्रवाई नहीं हुई, तो यह मामला शासन के लिए बड़ी बदनामी का कारण बन सकता है।

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