Sunday, July 20, 2025
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8 साल, 34 मर्डर और लूट… दिन में दर्जी रात में कसाई बन जाता था ये सीरियल किलर, दहला देगी कहानी

भोपाल में सीरियल किलर आदेश कामरा का बेटा शुभम कामरा बना कातिल। मामूली विवाद में कृपाराम राजपूत की बेरहमी से हत्या कर दी। पढ़िए खौफनाक पिता-पुत्र की पूरी क्राइम स्टोरी।

पुनीत नौटियाल की रिपोर्ट

पिता से विरासत में मिला खूनी मिजाज?

भोपाल में एक दिल दहला देने वाली वारदात सामने आई है, जिसमें सीरियल किलर आदेश कामरा का बेटा शुभम कामरा भी अब कातिल बन चुका है। एक मामूली से विवाद में उसने एक शख्स की पीट-पीटकर जान ले ली। यह घटना न केवल भयावह है, बल्कि यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या अपराध भी वंशानुगत हो सकता है?

परिवारिक पृष्ठभूमि की बात करें तो आदेश कामरा का नाम भारत के सबसे खौफनाक सीरियल किलरों में शामिल है। उसने 8 साल में 33 से ज़्यादा ट्रक ड्राइवरों और क्लीनरों को मौत के घाट उतारा था।

कौन है आदेश कामरा?

आदेश कामरा मूल रूप से उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर का रहने वाला है, लेकिन वर्षों से उसका परिवार मध्य प्रदेश के मंडीदीप इलाके में रह रहा था। दिन में वह दर्जी का काम करता था, और रात को वह एक बेरहम कातिल बन जाता था।

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दिन में दर्जी, रात में कसाई— ये वाक्य उसके जीवन की सच्चाई बखूबी बयान करता है। उसने ट्रक चालकों को नशीला पदार्थ खिलाकर उनकी हत्या की और ट्रक बेच दिए। लाशें सुनसान जगहों पर फेंक दी जाती थीं।

8 साल तक चलता रहा मौत का सिलसिला

2010 से लेकर 2018 तक उत्तर भारत के कई राज्यों—मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और ओडिशा—में लगातार ट्रक ड्राइवर और क्लीनरों की लाशें मिल रही थीं। लेकिन कातिल का कोई सुराग नहीं था, क्योंकि अधिकतर वारदातें हाईवे पर होती थीं जहां सीसीटीवी मौजूद नहीं होते।

ऐसे खुला सीरियल किलर का राज़

आखिरकार भोपाल के पास बिलखिरिया में एक लाश के साथ सुराग भी मिला। एक संदिग्ध की गिरफ्तारी ने पूरे रैकेट की परतें खोल दीं। उसी पूछताछ में सामने आया कि इन हत्याओं के पीछे आदेश कामरा नामक दर्जी है। फिर शुरू हुआ उसका पीछा।

भोपाल पुलिस की टीम ने उसे उसके गांव सुल्तानपुर से गिरफ्तार किया। जंगलों में छिपे आदेश को पकड़ना आसान नहीं था, लेकिन एसपी क्राइम बिट्टू शर्मा की टीम ने उसे दबोच लिया।

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हत्या को मानता था ‘मोक्ष’

पूछताछ में आदेश कामरा ने जो बताया, वह हैरान कर देने वाला था। उसने बताया कि वह इन ट्रक ड्राइवरों को “मोक्ष” दिलाने के लिए मारता था। उसे लगता था कि उनकी ज़िंदगी बहुत दुखद है और वो उन्हें मुक्ति दे रहा है।

अपराध की शिक्षा ‘गुरु’ से

आदेश ने यह भी बताया कि उसे ये सब अपने मुंहबोले चाचा और ‘गुरु’ अशोक खांबरा से सीखने को मिला था। अशोक 80 के दशक में ट्रक लुटेरों का सरगना था। उसकी संगत में ही आदेश ने अपराध की दुनिया में कदम रखा और आठ वर्षों तक पुलिस की आंखों में धूल झोंकता रहा।

अब जीवन जेल में

फिलहाल आदेश कामरा भोपाल की सेंट्रल जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा है। जेल सूत्रों की मानें तो अब वह धार्मिक किताबें पढ़ता है और जेल के नियमों का पालन करता है। समय-समय पर उसकी पत्नी और बेटा उससे मिलने आते हैं, लेकिन अन्य कोई रिश्तेदार कभी नहीं दिखा।

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बेटा शुभम भी बना कातिल

अब बात करते हैं आदेश के बेटे शुभम कामरा की, जो अब अपने पिता की तरह अपराध के रास्ते पर चल पड़ा है। भोपाल के मिसरोद इलाके में शराब कंपनी में काम करने वाले कृपाराम राजपूत से मामूली विवाद में शुभम ने अपने चार साथियों के साथ मिलकर उसकी बेरहमी से हत्या कर दी।

बताया जा रहा है कि कृपाराम ने बहस के दौरान शुभम को थप्पड़ मार दिया था, जिससे आगबबूला होकर उसने डंडों से हमला किया और उसकी जान ले ली। पुलिस ने शुभम के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया है।

सवाल जो समाज से पूछे जाने चाहिए

अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या अपराध की मानसिकता जन्मजात हो सकती है? क्या किसी अपराधी का बेटा भी अपराधी बन जाएगा? शुभम का अपराध एक चेतावनी है—हमें न सिर्फ अपराध को रोकना है, बल्कि अपराध की जड़ें भी पहचाननी हैं।

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