Monday, July 21, 2025
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खेल मैदानों की दुर्दशा पर सख्ती के संकेत, लापरवाह ग्राम प्रधानों पर गिर सकती है गाज

चित्रकूट के गांवों में खेल मैदानों की बदहाली उजागर, लापरवाह ग्राम प्रधानों पर गिरेगी गाज, प्रशासन ने दिए साफ-सफाई व रखरखाव के निर्देश

चित्रकूट। ग्रामीण क्षेत्रों में युवा प्रतिभाओं को निखारने के उद्देश्य से मनरेगा योजना के अंतर्गत करोड़ों रुपये खर्च कर खेल मैदानों का निर्माण कराया गया, लेकिन इन मैदानों की वर्तमान स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। अनेक गांवों में बने ये खेल मैदान लापरवाही और उपेक्षा के कारण गंदगी का अंबार बनते जा रहे हैं, जिससे शासन की मंशा और जनधन की बर्बादी होती दिख रही है।

स्थलीय निरीक्षण में उजागर हुई हकीकत

इस प्रतिनिधि द्वारा जब मानिकपुर ब्लॉक की ग्राम पंचायत निही, कल्याणपुर व ऐलहा बढ़ैया का निरीक्षण किया गया, तो खेल मैदानों की स्थिति बेहद दयनीय पाई गई।

एक ओर जहां मैदानों में न तो नामपट्ट लगाए गए हैं और न ही रंगाई-पुताई कराई गई है, वहीं दूसरी ओर बाउंड्री वॉल की जालियों पर जंग लग चुकी है। इंटरलॉकिंग खड़ंजा जगह-जगह से टूट चुका है और मैदानों में गंदगी की भरमार है, जिससे बच्चों के खेलने तक में कठिनाई हो रही है।

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प्रशासन ने लिया संज्ञान, जारी हुए नोटिस

इस गंभीर स्थिति को देखते हुए उपायुक्त श्रम रोजगार धर्मजीत सिंह ने खण्ड विकास अधिकारी को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि खेल मैदानों की सफाई, रंगाई-पुताई तथा रखरखाव सुनिश्चित किया जाए। साथ ही, जिन ग्राम पंचायतों में लापरवाही पाई गई है, वहां के ग्राम प्रधानों और सचिवों को नोटिस जारी कर आवश्यक कार्यवाही की जाए।

खण्ड विकास अधिकारी की त्वरित प्रतिक्रिया

इस संबंध में जब खण्ड विकास अधिकारी पवन कुमार सिंह से संवाद किया गया, तो उन्होंने बताया कि संबंधित ग्राम प्रधानों को नोटिस भेजे जा चुके हैं और शीघ्र ही मैदानों की मरम्मत, रंगाई-पुताई व साफ-सफाई का कार्य प्रारंभ कराया जाएगा।

लोकधन की बर्बादी या बदलाव की शुरुआत?

अब सवाल यह उठता है कि प्रशासन द्वारा किए गए यह प्रयास किस हद तक असरकारी सिद्ध होंगे? क्या ग्राम प्रधान और सचिव समय रहते जिम्मेदारी निभाएंगे या फिर खेल मैदान इसी तरह उपेक्षा की भेंट चढ़ते रहेंगे?

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गांवों में युवा प्रतिभाओं के विकास हेतु निर्मित इन खेल मैदानों का उचित रखरखाव आवश्यक है। यह केवल खेल के अवसर नहीं, बल्कि गांव के भविष्य की नींव हैं। यदि इनका संरक्षण समय पर नहीं किया गया, तो न केवल शासन की मंशा विफल होगी, बल्कि ग्रामीण युवाओं का मनोबल भी प्रभावित होगा।

➡️संजय सिंह राणा की रिपोर्ट

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