Monday, July 21, 2025
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प्रिंसिपल और टीचर में ढिशुम-ढिशुम: थप्पड़ मारा, चोटी पकड़कर पटका, मोबाइल तोड़े, लेडी डॉन की तरह लड़ने

कहते हैं शिक्षक हमें सही मार्ग दिखाते हैं, लेकिन…

कहते हैं शिक्षक हमें सही राह दिखाते हैं। लेकिन मध्य प्रदेश के खरगोन से सामने आए एक हैरान करने वाले वीडियो ने इस विश्वास को झकझोर कर रख दिया है। यहां शिक्षा के मंदिर में ही महिला प्राचार्य और शिक्षिका के बीच ऐसा विवाद हुआ, जिसने स्कूल की गरिमा को शर्मसार कर दिया। दोनों ने एक-दूसरे पर न केवल हाथ उठाया, बल्कि चोटी पकड़कर गुंडों की तरह मारपीट भी की। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।

विवाद की जड़ क्या थी?

यह घटना खरगोन जिला मुख्यालय से महज 8 किमी दूर स्थित एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय की है। यहां की महिला प्राचार्य प्रवीण दाहिया और लाइब्रेरियन मधुरानी के बीच किसी बात को लेकर कहासुनी हो गई थी। बहस इस कदर बढ़ी कि दोनों ने एक-दूसरे का वीडियो बनाना शुरू कर दिया। तभी प्राचार्य दाहिया ने मधुरानी को थप्पड़ मार दिया और उसका मोबाइल छीनकर तोड़ दिया।

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स्कूल बना रणभूमि: चोटी पकड़कर मारपीट

मोबाइल टूटते ही मामला हाथापाई तक पहुंच गया। दोनों महिलाएं एक-दूसरे की चोटी पकड़कर दीवार तक धकेलने लगीं। प्राचार्य ने लाइब्रेरियन को कई थप्पड़ मारे। मौके पर मौजूद कुछ शिक्षक बस तमाशा देखते रहे, किसी ने बीच-बचाव नहीं किया। यह पूरा घटनाक्रम वहां खड़े किसी व्यक्ति ने मोबाइल में रिकॉर्ड कर लिया और वह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।

पुलिस थाने से लेकर अस्पताल तक पहुंचा मामला

मारपीट के बाद दोनों महिलाएं अलग-अलग समय पर मेंगांव थाने पहुंचीं और एक-दूसरे के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई। दोनों को मेडिकल जांच के लिए जिला अस्पताल भेजा गया, जहां प्राचार्य दाहिया को ICU और लाइब्रेरियन मधुरानी को सामान्य वार्ड में भर्ती किया गया।

प्रशासन की त्वरित कार्रवाई

जैसे ही घटना की जानकारी प्रशासन तक पहुंची, सहायक आयुक्त प्रशांत आर्या स्कूल और अस्पताल पहुंचे और मामले की जांच शुरू की। कलेक्टर भव्या मित्तल को जैसे ही वीडियो और रिपोर्ट मिली, उन्होंने दोनों को तत्काल प्रभाव से पद से हटाने के आदेश जारी कर दिए। दोनों को फिलहाल सहायक आयुक्त कार्यालय में अटैच कर दिया गया है।

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एकलव्य विद्यालय की अहमियत

यह विद्यालय दिल्ली से संचालित एकलव्य आदर्श आवासीय योजना के अंतर्गत आता है। यहां हर साल लगभग ₹5 करोड़ की राशि बच्चों की पढ़ाई और रहने-खाने पर खर्च की जाती है। इस योजना का उद्देश्य आदिवासी और पिछड़े वर्ग के छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना है।

अब आगे क्या?

फिलहाल जिला प्रशासन ने मामले की विस्तृत जांच शुरू कर दी है और इसकी रिपोर्ट दिल्ली मुख्यालय को भेजी जा रही है। यह संभव है कि दोनों के खिलाफ सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई हो। इस घटना ने न केवल स्कूल की छवि को नुकसान पहुंचाया, बल्कि शिक्षा जगत की गरिमा पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।

*सुनीता परिहार की रिपोर्ट*

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