लखनऊ में पावर कॉर्पोरेशन ने निजीकरण के विरोध में बैठक बहिष्कार कर रहे बिजलीकर्मियों को दी सख्त चेतावनी। गर्मी के मौसम में कार्य बहिष्कार को बताया अनुचित, आपूर्ति बनाए रखने के निर्देश।
चुन्नीलाल प्रधान की रिपोर्ट
लखनऊ, उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन ने बिजली कंपनियों के निजीकरण के विरोध में समीक्षा बैठकों और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का बहिष्कार करने वाले बिजलीकर्मियों को कड़ी चेतावनी दी है। कॉर्पोरेशन अध्यक्ष डॉ. आशीष कुमार गोयल ने स्पष्ट किया कि इस तरह की गतिविधियों को विद्युत आपूर्ति में बाधा के रूप में माना जाएगा और इसके लिए कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
बैठक का बहिष्कार बना कारण
दरअसल, दो दिन पहले 87 इंजीनियरों द्वारा समीक्षा बैठक को बीच में छोड़ने की घटना के बाद यह चेतावनी दी गई है। उस घटना के बाद संबंधित इंजीनियरों को नोटिस जारी किया गया था और अब कड़ी कार्रवाई की संभावना जताई जा रही है।
अध्यक्ष ने क्या कहा?
सोमवार को ट्रांसफार्मर वर्कशॉप और सामग्री प्रबंधन की समीक्षा बैठक में डॉ. गोयल ने कहा:
“समीक्षा बैठकें बिजली व्यवस्था और आपूर्ति से सीधा जुड़ी होती हैं। किसी भी कर्मचारी द्वारा बहिष्कार करना आपूर्ति में व्यवधान के दायरे में आएगा। यह अस्वीकार्य है।”
साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वह सेवा शर्तों और कर्मचारियों की समस्याओं पर संवाद के लिए सदैव तत्पर हैं। हालांकि, उन्होंने यह दोहराया कि नीति निर्धारण सरकार का विषय है, न कि कर्मचारी संगठनों का।
गर्मी में हड़ताल को अनुचित बताया
उन्होंने यह भी कहा कि मौजूदा गर्मी के मौसम में हड़ताल या कार्य बहिष्कार जैसे कदम जनता के हित में नहीं हैं और ऐसी किसी भी हरकत पर विभाग को सख्त निर्णय लेने के लिए बाध्य होना पड़ेगा।
आपूर्ति बनाए रखने के निर्देश
इसके अतिरिक्त, पावर कॉर्पोरेशन अध्यक्ष ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि—
- ट्राली ट्रांसफार्मर हर स्थिति में कार्यरत रहें।
- क्षतिग्रस्त ट्रांसफार्मर की स्थिति में बिजली आपूर्ति तुरंत बहाल हो।
- ट्रॉली ट्रांसफार्मर को 48 घंटे के भीतर हटाकर अन्य जरूरतमंद क्षेत्रों में स्थानांतरित किया जाए।
सामग्री प्रबंधन पर ज़ोर
उन्होंने भंडार गृहों में सामग्री की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने और ट्रांसफार्मर क्षतिग्रस्तता के अनुपात में कार्यशाला खर्च घटाने का भी निर्देश दिया। इसके अलावा, आरडीएसएस योजना के अंतर्गत कार्य केवल उन्हीं स्थानों पर किए जाएं जहां इनकी आवश्यकता सर्वाधिक हो और सुधार साफ दिखाई दे।
अंत में, वरिष्ठ अधिकारियों को शक्ति भवन से निर्देश मिला कि वे भंडार केंद्रों और कार्यशालाओं का निरीक्षण कर एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करें।