बरेली में भाजपा नेता की फाइनेंस कंपनी पर 100 करोड़ की ठगी का आरोप। 15,000 से अधिक निवेशकों की रकम बकाया, निवेशकों में भारी आक्रोश और प्रदर्शन।
ठाकुर बख्श सिंह की रिपोर्ट
बरेली, उत्तर प्रदेश । उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में एक चौंकाने वाला घोटाला सामने आया है, जिसमें भाजपा से जुड़े एक नेता की फाइनेंस कंपनी पर करीब 100 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का आरोप लगा है। इस कथित आर्थिक अपराध से लगभग 15,000 निवेशक प्रभावित हुए हैं, जिनमें से कई ने अपनी जमा पूंजी, गहने और यहां तक कि मकान बेचकर निवेश किया था।
अचानक बंद हुई कंपनी, निवेशकों में मचा हाहाकार
शुक्रवार को जैसे ही “अमर ज्योति यूनिवर्स निधि लिमिटेड” के बंद होने की खबर फैली, निवेशकों में हड़कंप मच गया। बदायूं के मीरा सराय शेखूपुर रोड स्थित कंपनी के कार्यालय में सन्नाटा पसरा था, वहीं बरेली में कंपनी निदेशकों के घरों के बाहर नारेबाजी और प्रदर्शन शुरू हो गया।
भाजपा नेता पर लगा गंभीर आरोप
गौरतलब है कि इस कंपनी के निदेशक सूर्यकांत मौर्य, बरेली भाजपा के महानगर मंत्री हैं, जबकि उनके भाई शशिकांत मौर्य भी कंपनी के संचालन से जुड़े हैं। आरोप है कि कंपनी ने पिछले तीन दशकों से एफडी और आरडी योजनाओं के नाम पर अधिक मुनाफे का लालच देकर आम जनता से पैसे जुटाए।
निवेशकों का आरोप: पैसा मांगा तो मिली टालमटोल
पिछले एक साल से निवेशकों को उनका पैसा वापस नहीं मिल रहा था। जब भी भुगतान की बात होती, कंपनी के अधिकारी कोई न कोई बहाना बनाते रहे। अंततः शुक्रवार को जब ऑफिस से सामान हटाया जा रहा था, तब करीब 200 निवेशक, जिनमें बड़ी संख्या में महिलाएं थीं, मौके पर पहुंचकर विरोध प्रदर्शन करने लगे।
बरेली में घेराव, लेकिन नेता घर से नहीं निकले
निवेशकों ने बरेली स्थित सिंधुनगर कॉलोनी में सूर्यकांत और शशिकांत मौर्य के घर का घेराव किया। इस दौरान घर के दरवाजे बंद रहे और पुलिस द्वारा समझाने की कोशिश पर बहस भी हुई। पुलिसकर्मियों ने कहा कि दोनों भाई घर पर मौजूद नहीं हैं, केवल महिलाएं ही अंदर हैं।
सोशल मीडिया पर दी गई सफाई, कानूनी प्रक्रिया की दुहाई
शाम होते-होते शशिकांत मौर्य ने सोशल मीडिया पर एक बयान जारी कर कहा कि उनकी मंशा गलत नहीं है, लेकिन अब मामला कोर्ट में है, इसलिए वे केवल न्यायालय के आदेश के अनुसार ही आगे कदम उठाएंगे।
पुलिस का बयान: अब तक तहरीर नहीं मिली
बरेली के एसपी सिटी मानुष पारीक ने कहा कि अभी तक इस मामले में कोई औपचारिक तहरीर नहीं दी गई है। तहरीर मिलने के बाद मामले की जांच कर उचित कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
यह मामला न सिर्फ एक बड़ी आर्थिक ठगी को उजागर करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि राजनीतिक रसूखदारों द्वारा संचालित वित्तीय संस्थाएं आम जनता के भरोसे का कैसे गलत फायदा उठा रही हैं।